निज़ामे-मुस्तफा
कहीं
यूरोप महाद्वीप के आखिरी सिरे पर मैं अकेला खड़ा हुआ उगते हुए सूर्य की किरणें को
दूर क्षितिज पर शान्त सुमुद्र की लहरों के साथ अठखेलियाँ करता हुआ निहार रहा था।
आज मुझे इस वीरानी में रहते हुए दो साल से ज्यादा बीत गये है
लेकिन लगता है जैसे कल की हीं बात हो। लादेन को जिस दिन अमेरिकी फौज ने एब्बटाबाद
में हलाक किया था उसी दिन से मेरे जीवन की दिशा बदल गयी थी। बड़ी मुश्किल से अपनी
और अपने परिवार की जान बचाता हुआ न जाने कितने मील का सफर कर के मैं यहाँ पर
पहुँचा था। एक हीं क्षण में मेरी जिंदगी की सारी कहानी मेरी खुली आँखों के सामने
से गुजर गयी थी।
पिछले
पाँच साल में कितना कुछ बदल गया था। ऐसा नहीं कि लादेन की मौत का बदला लेने के लिए
अल कैदा और तालिबान मुझे मारने के लिए जुट गया था। उन्होंने तो मेरे खिलाफ सिर्फ फतवा ही जारी किया था लेकिन
जिस देश की फौज के साथ मिल कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में न जाने मैंने कितनी बार
अपनी जान की बाजी लगायी थी आज उसी देश की सारी सुरक्षा एजेन्सियाँ मुझे मारने में
जुट गयी थी। न जाने अमेरिकी सरकार ने मेरे ऊपर कितने जघन्य अपराधों के इल्जाम लगा
कर रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया था। मेरे ऊपर हत्या के आरोप के साथ-साथ देशद्रोह
और ड्रग स्मग्लिंग का भी चार्ज लगा दिया गया था। इन सब के पीछे वाशिंगटन के कुछ
चुनिंदा बड़े पावर ब्रोकर्स का हाथ था जो अपने फायदे के लिए मुझे न्यूट्रिलाइज
करने में जुट गये थे। हालात ऐसे पैदा हो गये थे कि स्टेट डिपार्टमेंट ने मुझे
बियोन्ड सालवेज़ घोषित कर दिया गया था।
नार्थ
केप की 300 फ़ीट उँची पहाड़ी पर खड़ा हुआ
मैं अपनी पिछली जिंदगी के बारे सोच रहा था। आठ साल पहले इन्डियन एयरफोर्स का विंग
कमांडर वीरेन्द्र सिंह राठौर एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में जीते जी मर गया था। उसकी जगह आमिर खान कुन्दुज के नये जीवन की शुरूआत अफगानिस्तान के
पहाड़ों के बीचोंबीच गोल बोलाक नाम की जगह से हुई थी। हाँलाकि दोनों नाम एक हीं
आदमी के थे लेकिन दोनों की जिन्दगियों में कितना जमीन आसमान
का फर्क था। इन बीते हुए सालों में मैंने बहुत कुछ खोया लेकिन उससे कहीं ज्यादा
पाया भी था। इस नयी जिंदगी में मेरे बहुत सारे दुश्मन बन गये थे परंतु उनसे कहीं
ज्यादा मेरे घनिष्ठ दोस्त बन गये थे। अपने भारतीय स्वरूप को पूरी तरह भुला कर अब
मैं पूरी तरह अफगान बन चुका था। …आज से आप मूल रूप से
अफ़गान बन गये है। एकाएक हुमा की कही हुई बात याद आते ही मेरे चेहरे पर क्षण भर के लिए
एक मुस्कान तैर गयी थी।
अफगान
बन कर मैंने अमेरिकी मदद से अफगानिस्तान में पहले ड्रग्स के कार्टेल को जड़ से
उखाड़ फेंका और उसके बाद आतंवादियों के खिलाफ जंग छेड दी। अल कैदा और तालिबान की
कमर तोड़ने के दौरान मैंने अंजाने में एक पूरी अन्तरराष्ट्रीय जमात अपने खिलाफ
खड़ी कर ली थी जो इस लड़ाई से अपना घर भर रहे थे। ऐसा नहीं था कि सभी मेरे दुश्मन
बन बैठे थे। मेरी टीम अभी भी मेरे साथ थी। मेरे अन्य दोस्तों के बावजूद अब वाशिंगटन उन सब पर भारी पड़ रहा था और इसीलिए वह दूर से हीं मेरी मदद कर
रहे थे। बियान्ड सालवेज के नोटिस की खबर भी मुझे रोजर ज़ेलिन्स्की से मिली थी।
अपनी पिछली जिंदगी के बारे मे सोच रहा था कि अचानक एक चिरपरिचित
आवाज मेरे कानों में पड़ी और मेरा ध्यान टूट गया।
मैने पलट कर देखा।
सकीना चलते हुए मेरे पास पहुँच कर बोली… वीर यहाँ अकेले में क्या कर
रहे हो। इन पिछले आठ सालों में सकीना में रत्ती भर भी फर्क
नहीं आया है। आज भी मुझे वैसी हीं लग रही थी जैसी उसे मैंने पहली बार देखा था।
अपने नजदीक आते हीं उसे मैंने अपनी बाँहों में भर लिया। …क्या
हुआ वीर? …कुछ नहीं बस अपनी पिछली जिंदगी के बारे में सोच
रहा था कि तभी तुम आ गयी। इतने सालों के बाद भी तुममे कोई
फर्क नहीं आया है। आज भी तुम मुझे वैसी हीं लग रही हो जैसी
तुम निकाह के बाद काबुल जाने से पहले लग रही थी। उस दृश्य को याद करके एकाएक सकीना
का चेहरा लाल हो गया… वीर…अपने आपको
छुड़ाती हुई बोली… किसी नफीसा का फोन आया था। उसने कहा है कि
वह आधे घंटे के बाद फिर फोन करेगी।
वह
नाम सुन कर मेरे दिमाग में एक धमाका हुआ और मेरा पूरा जिस्म काँप गया। सकीना ने भी
मेरे अंदर आये हुए बदलाव को महसूस कर लिया था। मेरे चेहरे पर उड़ती हुई हवाईयों
को देख कर वह बोली… यह नफीसा कौन है?
उसका हाथ पकड़ कर घर की ओर खींच कर ले जाते हुए मैंने कहा… सकीना उसको यहाँ का नंबर कैसे मिला? हम को जल्दी से
इस जगह को छोड़ना पड़ेगा। हमारा कवर नष्ट हो गया है। अब किसी भी वक्त शूटिंग
पार्टी इधर पहुँच जाएगी। जरूरत का सामान ले लो और चलो। पिछले दो साल से सकीना को अपने साथ ले कर भाग हीं रहा
था। किसी भी जगह तीन महीने से ज्यादा नहीं काट पाया था। काफी इधर उधर भागने के बाद
नार्वे के हानिग्सवाग नाम के छोटे से तटीय कस्बे में रहते हुए हमें एक साल हो गया
था। मैंने सोच लिया था कि अब सब कुछ शान्त हो गया है। लेकिन एक बार फिर से
घटनाचक्र ने घूमना शुरू कर दिया था…।
ईस्लामाबाद
ट्रीन-ट्रीन…ट्रीन-ट्रीन…फोन की घंटी की आवाज ने पूरे कमरे को गुंजायमान कर दिया था। मेज पर रखे हुए कमप्युटर पर कुछ टाइप करती हुई स्त्री ने तुरन्त फोन का रिसीवर उठा कर पूरी मुस्तैदी से कहा… जनरल पाशा आफिस। दूसरी ओर से आती हुई आवाज को सुनते ही वह स्त्री हड़बड़ाते हुई बोली… जनाब। फिर वह जल्दी से इन्टरकाम को उठा कर बोली… सर यूएस स्टेट डिपार्टमेन्ट से काल है। एक पल के लिए वह चुपचाप खड़ी रही फिर जल्दी से फोन के डायल पर कुछ नम्बर दबा कर बोली… सर, जनरल शुजाल पाशा इस आन द लाइन।
…जनरल। …जनाब। कैसे याद किया? …हबीबी की हत्या के बाद वहाँ का क्या हाल है? …जनाब उसकी बीवी ने अपना जाल फैलाना शुरू कर दिया है। वह सभी छोटी और बड़ी अलगाववादी पार्टियों से मिल रही है और उन सभी को अपने साथ काम करने के लिए मनाने मे जुटी हुई है। उसकी मदद के लिए हमने बलूच इन्फेन्ट्री के लोगों को भी उसके साथ लगा दिया है। …कब तक वह अपने काम को अंजाम दे सकती है? …जनाब इसके बार मे क्या कह सकता हूँ। परन्तु एक बात बेहद विश्वास से कह सकता हूँ कि हबीबी की नागिन का काटा पानी नहीं मागंता। वह हबीबी से कहीं ज्यादा खतरनाक है। एकाएक दूसरी ओर से आती हुई आवाज घुर्राहट मे बदल गयी… मै तुम्हारी कमजोरियों के बारे मे बहुत कुछ जानता हूँ। इसीलिए मेरा समय गवांये बिना उस आदमी के बारे मे पता लगाओ जिसने हमारे को चुनौती देने की कोशिश की है। …जनाब हम अपने काम मे लगे हुए है। जल्दी ही आपको खुशखबरी मिलेगी। …शटअप…उस पर दबाव बनाओ कि वह अपना काम जल्दी से जल्दी पूरा करें… इतना कह कर शुजाल पाशा की बात सुने बिना दूसरी ओर से फोन काट दिया। अपनी पेशानी पर आयी हुई बूँदों को पौंछते हुए शुजाल पाशा जोर से बड़बड़ाया… आमिर खान एक बार मेरे हाथ लग गया फिर सबको दिखाऊँगा कि मै क्या चीज हूँ।
welcome back veer bhai... me bata nahi sakta ki me kitna khush hu aapko active dekhkar..kya ab is par daily updates aayenge pls rply
जवाब देंहटाएंPDF me mail kar de
जवाब देंहटाएंAgar kisi ke paas taliban or nizam e mustafa ka pdf hai to send me on this gmail id soon
जवाब देंहटाएंshubham.freelance888@gmail.com
plz send me nizam-e-mustafa & CIA on indersingh1983@gmail.com
जवाब देंहटाएंplz send me nizam-e-mustafa & CIA and jung mohabbat or dhokha on goutamsrajawat85@gmail.com
जवाब देंहटाएंplease someone send me pdf of nizam-e-mustafa rajk3786@gmail.com
जवाब देंहटाएंanyone plz send nizam-e-mustafa on indersingh1983@gmail.com
जवाब देंहटाएंWelcome back vir bhai,aap wapish aa hi gaye ,thx god,kaha they aap vir bhai itney din
जवाब देंहटाएंVir bhai, kahan gayab ho.
जवाब देंहटाएंGubbara fod ke chale jate ho
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंplz send me nizam-e-mustafa & CIA on indersingh1983@gmail.com
जवाब देंहटाएंवीरभाई पहले तो आप और आपकी पुरी फॅमिली को नये सालकी दिलसे ढेर सारी शुभकामना.💐💐💐💐 आप और पुरा परिवार सकुशल रहे यही भगवानसे प्रार्थना🙏
जवाब देंहटाएंअब मेरे स्वार्थ की बात😁आपके सारे मिशन की pdf मुझे चाहीये,प्लिज आप मेरे ई-मेल पे भेजे. prashantdhumal2@gmail.com
जीन दोस्तोंको विरभाईकी तालिबान और अफगाण की pdf चाहीये वो मुझे prashantdhumal2@gmail.com पे मेल करे.
जवाब देंहटाएंनिजाम ए मुस्तफा की पीडीएफ है क्या ?
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंPlease send me nizam-e-Mustafa
जवाब देंहटाएंUsamamh064@gmail.com
जवाब देंहटाएंAll pdf novel
Sir nizam-e-mustafa aur cia ki pdf chayihe
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंHow to get Nizam-e-Mustafa, CIA & Jang, Mohabbat & Dhokha'
जवाब देंहटाएंMile to muje bhi dena rajeshparmar1969@gmail.com
हटाएंHi virbhai
जवाब देंहटाएंHi virbhai
जवाब देंहटाएंplese send me nizam e mustafa
जवाब देंहटाएंemail shubhangmishra81@gmail.com
If anyone has pdf of Nizam-e-Mustafa, CIA & Jang, Mohabbat & Dhokha'
जवाब देंहटाएंPlease email at
abhishekbdelhi@gmail.com
I have - Afghan, Taliban and Aatank ka ant..
जवाब देंहटाएंNeed next ones.
Aatank ka ant. Bej de please
हटाएंrattanlallal@yahoo.co.in
Talivan ki kdibejdo
जवाब देंहटाएंTalivan kdi bej do
जवाब देंहटाएं