आतंक का अंत
आज बहुत दिनों की
निगरानी के बाद एक खुदाई संकेत मिला था जिसने मेरा विश्वास और भी पुख्ता कर
दिया कि हो न हो इस मकान में जरूर कोई छिप कर रह रहा है। रात को मर्जीना के साथ एक
मैराथन एकाकार के बाद मैं अपनी उखड़ती हुई साँसों को संभालने के लिए बाहर निकला था कि तभी उस मकान की दूसरी मंजिल के कमरे का बल्ब जला और कुछ ही पलों के बाद वह बुझ गया। इसे किस्मत कहूँ या इत्तेफाक लेकिन यह तो तय हो गया था कि उस मकान में
जरूर कोई रह रहा है। उस रात मैं ठंड में बाहर बैठ कर मैं उस मकान की दूसरी मंजिल
पर निगाह जमा कर बैठा रहा लेकिन दोबारा वह बल्ब नहीं जला। नींद में उठ कर बाहर
निकला होता तो शायद उस हादसे को नज़र का धोखा समझ लेता लेकिन उस वक्त मैं पूरे
होशोहवास में था इसीलिए नज़र के धोखे की कहानी को मैंने सिरे से नकार दिया।
जरूर कोई इस मकान में रह
रहा है लेकिन यह भी सही था कि क्या यहाँ पर हबीबी छिपा हुआ है? अभी तक मुझे कोई ऐसा पुख्ता सुबूत नहीं मिल सका था कि मैं
अपनी टीम को मोबिलाइज़ या मूव करने के लिए कहता। अब ज्यादा दिन इंतजार नहीं कर
सकता था। यह काम इतना संवेदनशील था कि सिर्फ एक मौका मिलना था। अगर गलत मकान हुआ
तो सारी कहानी शुरू होने से पहले खत्म हो जाएगी परंतु अब जान को जोखिम में डालने
का वक्त आ गया था। आज मुझे यहाँ आये हुए तीन हफ्ते से ज्यादा हो गये थे। अब मुझे
फिरोज़ पर शक हो रहा था कि क्या उसने हबीबी का सही पता दिया था। मेरी निगाह आज भी
सामने बने हुए भव्य मकान पर जमी हुई थी। न तो कोई उस मकान से बाहर आता हुआ दिखायी
दिया था न हीं आज तक कोई उसके अंदर जाते हुए दिखा था। उस मकान की खासियत उसके
चारों ओर बनी हुई ऊँची दीवार थी जो पूरे मकान को दुनिया की नजर से छिपा कर रखे हुई
थी।
जिस दिन मैं यहाँ आया था उसी दिन उस मकान से कुछ
दूरी पर सड़क से दूर एक बंजर जमीन के किनारे दो बड़ी चट्टानों के सहारे मैंने एक
कच्ची सी झोंपड़ी डाल ली थी। आज भी अपने मैले कुचैले कपड़ों में बस वहीं बैठ कर
सुबह से उस मकान पर नजर रखे हुए था। सड़क दूर होने की वजह से इस ओर कोई ज्यादा
चहल-पहल नहीं थी। उस मकान के पीछे की दीवार मिलिट्री ट्रेनिंग स्कूल की दीवार लगी
हुई थी जिसकी वजह से उस सड़क पर काफी आवक-जावक लगी रहती थी और उस मकान के मेन गेट
की ओर वीरानी छायी रहती थी। आज रात मैंने निश्चय कर लिया था कि किसी भी तरह मुझे
एक बार अंदर घुस कर देखना पड़ेगा। मैं वहीं बैठे रात होने का इंतजार कर रहा था कि
इतने दिनों में पहली बार शाम के धुंधलके में एक कार उस मकान के गेट पर आ कर रुकी।
उसमें से एक बुर्कापोश महिला उतरी। एक पल के लिए उसने चारों ओर नजर घुमाई और तेजी से लोहे के मेनगेट के किनारे बने हुए छोटे से गेट को खोल कर अंदर चली गयी। अभी मैं उस
बुर्कापोश महिला के बारे सोच हीं रहा था कि मुझे अपने पीछे किसी के खड़े होने का
आभास हुआ। जैसे हीं मैंने मुड़ कर अपने पीछे की ओर देखा तो एकाएक मेरे मुँह से
निकल गया… तुम…और यहाँ। मैं कुछ और बोल पाता उससे पहले मेरी हीं बेरेटा की
नाल मेरे माथे के बीचोंबीच आ कर टिक गयी थी……।
वाशिंगटन
वाशिंगटन में रात का समय और एक बड़े से कॉन्फेरेंस रूम में एक खुफिया मीटिंग में पाँच लोग दबी हुई आवाज में बात कर रहे थे। …इस आमिर खान ने बना-बनाया खेल खराब कर दिया है। अगर इसे जल्दी न्यूट्रिलाइज नहीं किया तो हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। उनमें से एक आदमी बोला… उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया गया है और सीआईए का बियान्ड साल्वेज नोटिस भी दुनिया भर मे अमरीकी दूतावासों में पहुँच गया है। अब उसका बचना मुश्किल होगा। तभी जॉन एटकिंस ने धीमे स्वर में कहा… जनरल शेंग का अब पूरी चाईनीज पीपुल्स आर्मी पर एक छत्र कंट्रोल है। वह हमारे इशारे के इंतजार में बैठा हुआ है। इशारा मिलते हीं उसकी सेना बॉर्डर क्रॉस करके सारे देश पर अपना कब्जा कर लेगी और वहाँ के सारे फिजिकल एस्सेटस हमारे कंट्रोल में दे दिये जाएंगे। तभी पहले वाले आदमी ने कहा… तो आप गो अहेड का ऑर्डर क्यों नहीं दे रहे हैं? अबकी बार प्रोफेसर धीरे से बोला… पहला कारण है कि अकारण जनरल शेंग अपनी सीमा नहीं लाँघ सकता। इस काम के लिए हमने हबीबी से सौदा किया है। हबीबी को कारण देना था जिसकी वजह से जनरल शेंग सीमा पार करके वहाँ पर अपना आधिपत्य वहाँ जमा सके। दूसरा कारण है कि आमिर अब इस पूरे प्लान को जान गया है। जैसे शेंग का ट्रूप मोबिलाईजेशन कभी भी हो सकता है। वैसे हीं अगर यह प्लान लीक हो गया तो हम सब की मौत भी निश्चित है। सभी पाँचों ने एक दूसरे की ओर देखा और फिर दबी जुबान में एक दूसरे की खामिया निकालने में लग गये।
इस्लामाबाद
आईएसआई के हेडक्वार्टस के कमरे मे जनरल पाशा अपने साथियों के साथ कुछ विचार विमर्श मे उलझा हुआ था कि तभी मेज पर रखा हुआ लाल फोन बज उठा। जनरल पाशा ने जल्दी से अपने साथियों को बाहर जाने का इशारा किया और रिसीवर को कान से लगा कर फौजी अंदाज मे बोला… जी जनाब। …हमारे मेहमान की मेजबानी कैसी चल रही है? …जनाब उसे हमने बेहद सुरक्षित जगह पर रखा हुआ है। आप बेफिक्र रहे जनाब। …हक्कानियों के मामले मे भी तुमने ऐसा कुछ ही कहा था लेकिन फिर देख लिया कि क्या हुआ। इस मामले मे अगर कोई चूक हो गयी तो सब कुछ खत्म हो जाएगा। …जनाब आप बेफिक्र रहे। उन्होंने क्या आपको उस आमिर खान के बारे मे कोई नयी जानकारी दी है? …अभी तक तो नहीं। लेकिन स्टेट डिपार्टमेन्ट की ओर से उसके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी हो गया है। उन्होंने मुझे बताया है कि उनकी एक टीम इस वक्त अफगानिस्तान मे आमिर खान को ढूंढने के लिए निकल चुकी है। बस तुम्हें इस बात का ख्याल रखना है कि किसी भी हालत मे हबीबी कोई नुक्सान न पहुँचे। …जनाब आप बेफिक्र रहे। उसे कुछ नहीं होगा। …ठीक है। बस चौकस रहना। …जनाब एक बात कहूँ अगर आप बुरा न माने। …बोलो। …जनाब मुझे लगता है कि आमिर नाम का कोई इन्सान है ही नहीं। यह सीआईए की सोची समझी हुई चाल है। आप खुद ही सोचिए कि अगर आमिर खान उनके लिए काम कर रहा है तो क्या यह मुम्किन है कि स्टेट डिपार्टमेन्ट को उसके बारे मे कोई जानकारी नहीं होगी। मेरी बात मानिए हुजूर कि सीआईए हमारी आँखों मे धूल झोंक रही है। वह हमे आमिर खान मे उलझा कर हबीबी को हलाक करने की फिराक मे लगे हुए है। …जनरल तुम अपना दिमाग ज्यादा मत चलाओ। जैसा कहा जा रहा है वैसा करो। जनरल पाशा कुछ और बोला पाता कि दूसरी ओर से लाईन काट दी गयी। जनरल पाशा कुछ पल रिसीवर को कान से लगाए रखा और फिर तैश मे आकर जोर से रिसीवर को मेज पर पटक कर कमरे से बाहर निकल गया।
जीन दोस्तोंको विरभाईकी तालिबान और अफगाण की pdf चाहीये वो मुझे prashantdhumal2@gmail.com पे मेल करे.
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