सोमवार, 13 मार्च 2023

  

काफ़िर-उपसंहार

  

दिल्ली मे आये एक महीना आराम से निकल गया था। एक दिन सुबह ब्रिगेडियर चीमा ने फोन पर सूचना दी कि नीलोफर अचानक श्रीनगर से गायब हो गयी है। यह सुन कर मै चौंक गया था। ब्रिगेडियर चीमा ने मुझे सावधान रहने की हिदायत देकर फोन काट दिया था। उसी शाम मेरा सामना आफीसर्स मेस मे तिकड़ी से हो गया था। वीके और जनरल रंधावा बार मे बैठ कर ड्रिंक्स ले रहे थे। तबस्सुम रुम मे मेरे लौटने का इंतजार कर रही थी। एक पल के लिए मै उन्हें अनदेखा करने की सोच रहा था कि तभी वीके ने हाथ हिला कर आवाज दी… मेजर समीर। अब उन्हें अनदेखा भी नहीं किया जा सकता था तो मै उनकी ओर चला गया।

उनका अभिवादन करके मै सावधान की मुद्रा मे खड़ा हो गया था। वीके ने कहा… आओ मेजर हमे जोईन करो। अजीत भी हमे जल्दी ही जोईन करेगा। इतना बोल कर वीके ने वेटर को इशारा किया… वन मोर व्हिस्की। मेरे बैठते ही वीके ने कहा… सुरिंदर से पता चला है कि नीलोफर श्रीनगर से गायब हो गयी है? …यस सर, मुझे भी आज सुबह ही पता चला है। …सुरिंदर जल्दी ही फारुख को छोड़ने वाला था। शायद तभी उसने गायब होकर हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है। …सर, मुझे लगता है कि फारुख के डर से वह वहाँ से भाग निकली होगी। …यही हमारा भी सोचना है। जनरल रंधावा ने कहा… मेजर, दो ही विकल्प हमारे सामने है। पहला तो उसकी कोन्टेक्ट लिस्ट के नामों पर ध्यान केन्द्रित करके उनका एक-एक करके सफाया किया जाये अन्यथा उसके कोन्टेक्ट्स के साथ तुम संपर्क साध कर उनके नेटवर्क से जुड़ने की कोशिश करो। उसी समय अजीत सुब्रामन्यम ने बार मे प्रवेश किया और हमें एक कोने मे बैठे हुए देख कर हमारी ओर आ गया था। उसने बैठते हुए पूछा… मेजर नया आफिस जोईन कर लिया? …यस सर। …यह जगह तो रास नहीं आ रही होगी। …सर, ऐसी बात नहीं है। इसी के साथ ड्रिंक्स का दौर आरंभ हो गया था।

कुछ देर इधर उधर की बात करने के पश्चात मैने कहा… सर, एक बात आपको बतानी है कि फारुख की मांग पर ब्रिगेडियर चीमा ने मुझे उससे आखिरी बार मिलने भेजा था। फारुख ने मुझे उसकी बेटी को ढूंढ कर कत्ल करने के लिये कहा था। इस काम के लिये उसने सबकी नजर से बचा कर मुझसे कहा कि हमारी सारी परेशानियों की जड़ कोडनेम वलीउल्लाह  है। पल भर मे तीनों का नशा हवा हो गया था। कुछ सोच कर वीके ने कहा… क्या यह कोडनेम उन सात अंकों के नम्बर से जुड़ा हो सकता है? …पता नहीं सर। परन्तु जिस तरीके से उसने बताया था उससे साफ था कि यह कोडनेम भारत के खिलाफ किसी गहरी साजिश का हिस्सा है। तीनों ने अपने फोन नम्बर देते हुए कहा… हम लोग अपने तरीके से इसके बारे मे पता लगाने की कोशिश करेंगें। तुम भी अब इसी काम पर लग जाओ क्योंकि कोडनेम वलीउल्लाह  किसी भारी मुसीबत की ओर इशारा कर रहा है। …सर यही तो समझ मे नहीं आ रहा कि कहाँ से शुरु करुँ? अजीत ने तुरन्त कहा… समीर, सबसे पहले नीलोफर की कोन्टेक्ट लिस्ट से शुरु करो। हम काफी देर रात तक इस विषय पर माथापच्ची करते रहे परन्तु किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सके थे। जब तक मै अपने कमरे मे पहुँचा था तब तक तबस्सुम जाग रही थी। मै नशे मे था परन्तु उसको देखते ही मै सावधान हो गया था। …तुमने खाना खा लिया? …आपका इंतजार कर रही थी। मैने जल्दी से फोन उठाया और रुम सर्विस का नम्बर लगा कर खाने का आर्डर देकर कहा… तबस्सुम मेरा इंतजार मत किया करो। खाने के समय पर खाना मंगा लिया करो। इतना बोल कर मै अपने कपड़े बदलने चला गया था।

अगले दिन अपने लैपटाप पर से नीलोफर की फाईल निकाल कर उन लोगों के नाम देखने लगा जिसको पिछले दो साल मे नीलोफर ने पैसे पहुँचाये थे। उस लिस्ट मे जाने-माने सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक, अफसर, पुलिस, पत्रकार, वकील, मौलवी, स्वयं सेवी संस्थान व अन्य लोग थे। शाम को वही लिस्ट लेकर मै आफीसर्स मेस की बार मे उन तीनो के साथ बैठा हुआ था। वह लिस्ट देख कर वीके ने कहा…  रंधावा यह लिस्ट इस बात का प्रमाण है कि हक डाक्ट्रीन ने हमारे देश को अंदर से खोखला कर दिया है। कोई सोच भी नहीं सकता कि केन्द्र सरकार के अत्यन्त गोपनीय स्थानों मे भी फारुख सेंधमारी करने मे सफल हो गया था। अजीत ने कुछ सोचते हुए कहा… इन नामों को देख कर एक बात तो तय हो गयी है कि मुख्य रुप से उदारवादी, वामपंथी और कट्टर इस्लामिक समूहों का गठजोड़ इसमे साफ दिख रहा है। वीके ने तुरन्त झल्ला कर बात काटते हुए कहा… तो फिर हमारे समाज मे उनकी पहुँच से बचा कौन? अजीत ने सिर हिलाते हुए जवाब दिया… वीके तुम ठीक कह रहे हो। सभी प्रकार के लोग तो इस लिस्ट मे है। बस एक छोटा सा कट्टर राष्ट्रवादियों का समूह अभी भी बचा हुआ है। वीके ने उस लिस्ट को हवा मे हिलाते हुए कहा… क्यों सरदार अगर यह लिस्ट राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के सामने भी रख दी जाये तो क्या लगता है कि सरकार कुछ ठोस कदम उठाने की स्थित मे होंगें? जनरल रंधावा ने बड़े बुझे हुए स्वर मे कहा… मै इस बारे मे क्या कह सकता हूँ। जब हमारा मुख्य सुरक्षा सलाहकार ही इस लिस्ट मे है तो सुरक्षा समिति ही पूरी तरह से शक के घेरे मे आ गयी है। मै चुपचाप उन तीनो की बातें सुन रहा था। इस बात को सुन कर अजीत और वीके गहरी सोच मे डूबे गये थे।

श्रीनगर से आये हुए तीन महीने हो गये थे। राष्ट्रीय रक्षा कालेज मे मुझे फौजी अफसरों को काउन्टर इन्टेलीजेन्स और आतंकवाद से निपटने के विषयों पर प्रशिक्षण देने का काम सौंपा गया था। वही कैम्पस मे मुझे दो कमरों का फ्लैट भी मिल गया था। मेरा सारा दिन बस पढ़ने और पढ़ाने मे निकलने लगा था। पाकिस्तान और हक डाक्ट्रीन पर लगातर अपना ज्ञान वर्धन करते हुए नीलोफर की कोन्टेक्ट लिस्ट मे दिये गये नामों के बारे मे जानकारी भी इकठ्ठी कर रहा था। पहले महीने को छोड़ कर लगभग रोजाना ही मेरी शाम उन तीनों के साथ गुजरती थी। हमारा सारा समय कोडनेम वलीउल्लाह  को कैसे डीकोड किया जाये उसकी रणनीति बनाने मे निकल रहा था। एक शाम आफीसर्स मेस की बार मे बैठ कर तिकड़ी इस बात पर चर्चा कर रही थी कि पिछले तीन साल मे सेना की दृष्टि से हमारी काउन्टर आफेन्सिव स्ट्रेटेजी की कौनसी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ रही थी।

वीके ने कहा… मेजर, तुम्हारा पत्थरबाजों के लिये तैयार किया स्टैन्डर्ड प्रोटोकोल जो अब कश्मीर मे स्थित सभी सुरक्षा एजेन्सियों इस्तेमाल मे ला रही है। यह एक बड़ी सटीक उप्लब्धि साबित हुई है। इसके कारण पत्थरबाजी की घटनाओं मे काफी कटौती हो गयी है। मेरे हिसाब से आप्रेशन आघात-1 और 2 भी काफी कामयाब रहे है। जनरल रंधावा ने कहा… मेजर, तुमने जो फोन के द्वारा कोन्टेक्ट लिस्ट और व्हाट्स एप ग्रुप्स का इस्तेमाल किया था अब उसके उपर सेना ने बेहद आधुनिक क्रास रेफ्रेन्सिंग सिस्टम तैयार कर लिया है। अब जो भी एन्काउन्टर मे मारा जाता है उसके दूसरे साथी तुरन्त हमारी नजर मे आ जाते है। अगर वह कश्मीर मे है तो उनकी लोकेशन ट्रेकिंग और कुछ हद तक उनकी बातचीत का भी पता चल जाता है। अजीत ने कुछ सोच कर कहा… जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य मुझे लगता है वह कश्मीर मे टेरर फाईनेन्सिंग पर नकेल कसने का है। इसके कारण मुजफराबाद का रास्ता तो लगभग बन्द ही हो गया है। अब तो आईएसआई ने नेपाल सीमा से भारत मे घुसपैठ और तस्करी करने का मुख्य रास्ता बनाने मे जुटी हुई है। क्यों मेजर तुम्हारा क्या ख्याल है? …सर, मैने तो जो कुछ किया वह तो आपके कहने पर किया था। जिस दिन फारुख बाहर निकल कर हमारे लिये काम करने लगेगा वह हमारी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। वीके ने हामी भरते हुए कहा… जरुर लेकिन जो भी अब तक किया है उसे कम करके भी नहीं आँका जा सकता। उस दिन बस यही बात करते हुए हमारी महफिल समाप्त हो गयी थी।

मुझे आफीसर्स मेस से अपने फ्लैट पर पहुँचते हुए रात के दस बज चुके थे। यही मेरी रोजमर्रा की दिनचर्या बन गयी थी। सुबह नौ बजे तैयार होकर कालेज चला जाता था और रात को दस बजे तक घर मे घुसता था। मै जानबूझ कर देर से अपने फ्लैट पर आता था क्योंकि मेरी नजर जब भी तबस्सुम पर पड़ती तो मिरियम की याद ताजा हो जाती थी। उसके साथ बिताये सिर्फ कुछ दिन की यादें मेरे जहन पर हावी हो जाती थी। हमारा आमना-सामना न हो इसीलिये मै देर से आने लगा था। आज भी जब मै अपने फ्लैट पर पहुँचा तब तक वह अपने कमरे मे वापिस जा चुकी थी। नशे का सुरुर दिमाग पर हावी हो रहा था। मै आँख मूंद कर लेटा हुआ तबस्सुम के बारे मे सोच रहा था। अचानक मिरियम की छवि आँखों के सामने आ गयी थी। अपना ध्यान भटकाने के लिये मैने करवट ली तो अचानक किसी को अपने पास खड़े होने का एहसास हुआ तो मैने नशे से भारी पल्कें झपका कर अंधेरे मे उस ओर देखा तो स्ट्रीट लाइट की छनती हुई धीमी रौशनी मे मुझे तबस्सुम खड़ी हुई दिखी तो मै झटके से उठ कर बैठ गया था। वह मुझे ही देख रही थी।

…क्या हुआ मिरियम? न चाहते हुए वह नाम मेरे मुँह से अचानक निकल गया था। वह मेरे समीप आकर बोली… तो मिरियम को याद कर रहे थे? मैने जल्दी से लड़खड़ाती हुई आवाज मे कहा… सौरी, तबस्सुम इतनी रात हो गयी तुम अभी तक सोयी नहीं? …मै तो रोज देर रात तक आपको करवटें बदलते हुए देखती हूँ परन्तु आपकी नजर मुझ पर आज पड़ी है। एकाएक वह मेरे साथ लेटती हुई बोली… अगर आप मुझे तबस्सुम समझ कर अपने से दूर कर रहे हो तो फिर तुम मुझे मिरियम समझ कर अपना बना लिजिये। मै अकेले रहते-रहते थक गयी हूँ। उसकी बात का क्या जवाब देता तो मै चुपचाप उससे कुछ दूरी बना कर लेट गया था। वह कुछ देर लेटी रही और फिर सरक कर मेरे मेरे सीने पर सिर रख मेरे साथ लेट गयी। जब हम एक दूसरे की दिल की धड़कनों मे खोये हुए थे तब कैंम्पस से कुछ दूरी पर दिल्ली का निजाम बदलने की तैयारी आरंभ हो गयी थी।

सुबह से चुनाव के नतीजे आने आरंभ हो गये थे और केन्द्र की सरकार मे बहुत बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे थे। देर रात तक दस साल से सत्ता पर काबिज सरकार का अंत तय हो गया था। राजनीति मे पहले भी मेरी कभी रुचि नहीं रही थी और दिल्ली की सत्ता के बारे मे तो मै बिल्कुल अनिभिज्ञ था। अगले कुछ दिन सत्ता के आये हुए बदलाव के बारे मे आफिस मे सुनने को मिल जाता था परन्तु रुचि न होने के कारण मैने उस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया था। उस रात के बाद वीके, जनरल रंधावा और अजीत की ओर से भी किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया तो समय मिलने के कारण तबस्सुम को लेकर शाम को घूमने निकल जाता था। कभी हम बाहर खाना खा कर सिनेमा देखने चले जाते थे। इसी बहाने हम नजदीक आ गये थे। हमारे बीच संकोच की कुछ दीवारें भी ढह गयी थी परन्तु अभी भी मैने अपनी ओर से उससे दूरी बना कर रखी हुई थी।  

एक महीने के बाद एक दिन वीके ने दिन मे फोन करके कहा… मेजर, आज आफीसर्स मेस मे टाइम से पहुँच जाना। बस इतना कह कर उसने फोन काट दिया था। कालेज से निकल कर जब मैने तबस्सुम को बताया कि आज हम बाहर नहीं जा सकेंगें तो सुनते ही उसका मूड आफ हो गया था। …हमेशा की तरह पी के मत आईएगा। …उनके साथ मीटिंग है तो भला मै उन्हें कैसे मना कर सकता हूँ। कुछ देर उसकी शिकायतों का दौर चला और फिर अगले दिन सिनेमा दिखाने का वादा करके मै शाम को आफीसर्स मेस पहुँच गया था।

वीके, अजीत और जनरल रंधावा पहले से ही बैठे हुए थे। तीनो के चेहरे पर खुशी से खिले हुए प्रतीत हो रहे थे। सबका अभिवादन करके मै उनके सामने चुपचाप जाकर बैठ गया। जनरल रंधावा ने ड्रिंक्स मंगा कर सबसे पहले खबर सुनायी कि नयी सरकार के गठन के बाद वीके ने प्रधानमंत्री के निजि आफिस का कार्यभार संभाल लिया है। उस वक्त मुझे इस खबर की महत्वता का अंदाजा नहीं था परन्तु इस बात का एहसास हो गया था कि नयी सरकार मे वीके काफी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त हो गये है। अभी ड्रिंक्स का दौर चल ही रहा था कि तभी वीके ने कहा… तुम सबको एक और खुशखबरी देनी है। आज ही प्रधानमंत्री ने हमारे दोस्त अजीत सुब्रामन्यम को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्त किया है। इस खबर को सुन कर मुझे आत्मिक खुशी मिली थी क्योंकि उस पद की महत्वता का इतने दिनो मे मुझे अंदाजा हो गया था। जनरल रंधावा को भी उसी सुरक्षा सलाहकार समिति के सदस्य के रुप मे नियुक्त किया गया था। मै भी उनकी खुशी मे शामिल हो गया था।

अचानक अजीत ने कहा… मेजर, हमने तुम्हें राष्ट्रीय रक्षा कालेज से हटा कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के आफिस मे लाने का निश्चय किया है। तुम्हारा क्या विचार है? …सर, भला मै वहाँ क्या करुँगा? वीके ने जवाब दिया… मेजर, कोडनेम वलीउल्लाह  को डीकोड करना हमारी प्रथमिकता है। उस आफिस के जरिये तुम इस साजिश पर से पर्दाफाश करने मे आसानी होगी और अब हक डाक्ट्रीन का अंत करने का समय आ गया है। …सर, आप मुझे आदेश दिजिये कि कब रिपोर्ट करना है। उस शाम बस इतनी बात करके वह सब चले गये थे। उस शाम मै खुशी-खुशी वापिस लौट रहा था परन्तु उस वक्त मुझे नहीं पता था कि इस बदलाव के कारण मेरी जिंदगी पर कितना गहरा असर पड़ेगा। 

 

इस्लामाबाद

…दिल्ली की सत्ता कट्टर हिन्दूवादी पार्टी के हाथ मे चली गयी है। अब आपको अपनी तंजीमो को निष्क्रिय करना पड़ेगा। इस मामले मे अब हम आपका साथ नहीं दे सकते है। अभी तक भारत की सरकार ने कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने के लिये कभी भी रुचि नहीं दिखायी थी परन्तु इस बदले हुए हालात मे नयी सरकार का रुख बेहद कड़ा होगा। इसीलिए हम आपकी इस मुहिम मे और साथ नहीं दे सकते है। जनरल शरीफ और जनरल मंसूर चुपचाप उस विदेशी महिला की बात सुन रहे थे।

जनरल शरीफ ने कुछ सोच कर कहा… जुलिया यह तो वादा खिलाफी है। जनरल हक ने अफ़गानिस्तान मे आपकी मदद सिर्फ इसी शर्त पर की थी कि आप कश्मीर मे हमारी मदद करेंगें। …सौरी जनरल शरीफ, आपको गलतफहमी है। आपके जनरल हक ने हमसे अफ़गानिस्तान के लिये करोड़ो डालर की आर्थिक मदद ली थी। मिस्टर स्टोन ने जनरल हक के साथ अच्छे रिश्ते होने के कारण हक डाक्ट्रीन तैयार की थी जिसका हमारी सरकार या एजेन्सी से कोई सरोकार नहीं था। मिस्टर स्टोन ने उस डाक्ट्रीन को कार्यान्वित करने का कोई वादा नहीं किया था। उस डाक्ट्रीन को कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी सिर्फ आपकी थी। …परन्तु जुलिया, उस डाक्ट्रीन को कार्यान्वित करने के लिये आपने आर्थिक मदद देने का वायदा किया था। …जनरल, आप गलत बयानी कर रहे है। आर्थिक मदद की बात जरुर सच है परन्तु वह आर्थिक मदद हक डाक्ट्रीन के लिये थी यह सरासर झूठ है। नये राष्ट्रपति के प्रशासन ने अब अफ़गानिस्तान से निकलने का निर्णय लिया है इसीलिए अब हमारी ओर से आर्थिक मदद मे कटौती की गयी है।

…जुलिया, दिल्ली का हिन्दुवादी निजाम का कश्मीर की राजनीति पर कोई खास प्रभाव नहीं है। जो भी सरकार केंद्र मे आती तो उसे कश्मीर के नेतृत्व के अनुसार ही काम करना पड़ता था। इस सत्ता परिवर्तन से हमारी रणनीति पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। …जनरल, शायद आप लोग सपनो की दुनिया मे रहने की आदत डाल चुके है। वक्त रहते जाग जाईए अन्यथा पछताएँगें। मैने आप तक अपनी सरकार का पैगाम पहुँचा दिया है। खुदा हाफिज।

उस स्त्री के जाते ही जनरल शरीफ ने मंसूर बाजवा से कहा… तुरन्त आप्रेशन खंजर को लाँच करो। इस हिन्दुवादी निजाम की नींव हिलाने का समय आ गया है।

6 टिप्‍पणियां:

  1. मिजाज और निजाम 2014 के बाद पुरी तरहसे बदल गये, शायद पाकी फौजी निजाम और तंजीमे इसे आंकने मे फेल हो गये, इस वजहसे उन्हे आज दुनियाभरमे दर दर की ठोकरे खानी पड रही, एक काश्मीर की हठधर्मी पुरे पाक को ले डुबी.

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    1. आप सत्य बोल रहे प्रशान्त भाई। निजाम के बदलने से सोच और कार्यशैली बदल जाती है। इस बदलाव को हम अपनी आँखों से देख और दिल मे महसूस कर रहे है। रास्ता कठिन है लेकिन आगे बढ़ने की प्रेरणा और प्रण मजबूत है। धन्यवाद।

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  2. बहुत ही जबरदस्त अंक और काफिर का अंत जो की नई शुरुआत है किसी बड़ी गहरी चाल की, अब समीर का पल्ला जिहादीयों से ना होके सत्ता, प्रशासन और राजनीति के दाव पेंच से होगा।क्या समीर यहां अपने आप को साबित कर पाएगा यह अहम सवाल है। इसी के साथ समीर अपने निजी जिंदगी में भी उच्च नीच से गुजर रहा है जहां वो मिरियम की यादें नीचे झुका रही वहीं तबस्सुम का अपनापन उसको कुछ बेहतर कर रही हैं। अफसा का हर दम काठमांडू जाना और जिहादियों का नेपाल को अपना नया बेस बनाना अपने आप में कुछ गडबड लग रहा है, अब इसका खुलासा देखना दिलचस्प होगा।

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    1. अल्फा भाई, मेरी कृति काफ़िर से इतने दिनो तक जुड़े रहे उसके लिये धन्यवाद। आशा करता हूँ कि आपको इसकी दूसरी कड़ी- 'गहरी चाल' भी पसन्द आएगी। वैसे तो बहुत पाठक है लेकिन आप जैसे मित्रों की टिप्पणियाँ मेरा उत्साह और मनोबल दुगना कर देती है। जल्द ही अगली कड़ी की प्रस्तावना आपके सम्मुख रखूँगा।

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  3. 'गहरी चाल' कब तक आएगा वीर भाई।

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    1. विक्रम सम्वत 2080 के प्रथम दिवस पर गहरी चाल की प्रस्तावना आपके सम्मुख रखूँगा। उम्मीद करता हूँ कि आप इसी तरह मेरा उत्साह बढ़ाएँगें। धन्यवाद।

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