मित्र अब तक काफ़िर के 44 अंक
अपडेट दे चुका हूँ। अब कहानी कश्मीर घाटी को छोड़ कर दिल्ली मे प्रवेश कर रही है। मै
आपकी राय जानना चाहता हूँ कि क्या काफ़िर को अंत करके एक नयी रचना को आरंभ करने का उचित
समय आ गया है? अगर सच पूछिये तो सामरिक दृष्टि से भारत का निजाम बदलने से राजनीतिक पटल के हर हिस्से
मे भी बदलाव देखने को मिल रहा है। इसलिये मेरे मन मे ख्याल आया कि काफ़िर की दूसरी कड़ी
“गहरी चाल” को प्रस्तुत करने का यही समय है। आपका इस बारे मे क्या विचार है, इसके बारे मे जरुर कमेन्ट्स मे लिखियेगा। आपके लिये
मेरी ओर से “गहरी चाल” की एक छोटी सी झलक:
काफ़िर का अगला भाग
“गहरी चाल” से
थोड़ी देर के बाद तीनों
दिग्गजों ने रा के निदेशक गोपीनाथ के साथ हाल मे प्रवेश किया और चारों हमारे सामने आकर
बैठ गये थे। गोपीनाथ की नजरें आरफा पर टिकी हुई थी। अजीत की आवाज गूँजी… गोपीनाथ, यह
आरफा चौधरी है। गोपीनाथ कुछ बोलता उससे पहले मैने कहा… सर, कुछ भी बताने से पहले यह
विश्वास करना चाहती है कि आप ही गोपीनाथ है। मेरी बात सुन कर गोपीनाथ ने मुस्कुरा कर
अपनी जेब से अपना परिचय पत्र निकाल कर उसके सामने रख कर बंगाली मे कहा… जिस आदमी को
तुम अब्दुल गनी चौधरी के नाम से जानती हो उसका असली नाम अनमोल बिस्वास था। एकाएक आरफा
के चेहरा खिल उठा था। कुछ बंगाली मे बड़बड़ाते हुए उसने अपने ब्लाउज मे हाथ डाल कर एक
मुड़ा-तुड़ा कागज निकाल कर गोपीनाथ के सामने रख दिया। सबकी आँखें उस कागज पर जम गयी
थी। गोपीनाथ ने वह कागज उठाया और खोल कर पढ़ा और फिर अजीत की ओर बढ़ा दिया। तीनों ने
एक नजर कागज पर डाल कर आरफा की ओर देखा तो वह संजीदा हो उठी थी। उसकी बड़ी-बड़ी आखों
मे आँसू झिलमिला रहे थे। गोपीनाथ ने कुछ देर उससे बंगाली मे बात की और फिर उसे वापिस
मेरे आफिस मे भिजवा दिया था।
उसके जाने के बाद
गोपीनाथ ने कहा… मेजर, तीन हफ्ते पहले अनमोल की लाश ढाका पुलिस को एक गंदे नाले मे
मिली थी। तुम्हारे अनुसार यह लड़की लगभग एक हफ्ते पहले सीमा पार करते हुए तुमने पकड़ी
थी। मैने मेज पर पड़े हुए कागज को उठा कर उस नजर डालते हुए कहा… जी सर। उस कागज पर अंग्रेजी
मे लिखे हुए शब्दों को पढ़ कर मेरा दिमाग चकरा गया था।
‘मेरा नाम अनमोल बिस्वास
है। इस कागज के टुकड़े को तुरन्त रा के निदेशक के पास पहुँचा दीजिए। इसमे भारत के खिलाफ
कोडनेम वलीउल्लाह के नाम से आईएसआई की नापाक साजिश “आप्रेशन खंजर” का खुलासा किया गया
है।‘
बस इतना ही लिखा हुआ था। मैने कागज को उलट-पलट कर देखा तो उसके सिवा और कुछ भी नहीं लिखा हुआ था। अजीत ने मुस्कुरा कर कहा… मेजर, इसमे जितने भी अंग्रेजी अक्षर ‘आई’ पर बिन्दु है उसमे से एक माइक्रो डाट फिल्म हो सकती है। अनमोल शहीद हो गया परन्तु वह आरफा की मदद से अपना काम से पूरा कर गया है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि उसकी शहादत को हम जाया न होने दें। गोपीनाथ तुरन्त माईक्रोफिल्म को डीकोड करके मुझे इसकी जानकारी दो। हम यहीं पर तुम्हारा इंतजार कर रहे है। गोपीनाथ उस कागज के टुकड़े को लेकर हाल से बाहर निकल गया और मै आने वाली चुनौती के बारे मे सोचने लगा। एकाएक इस मीटिंग की मंशा अब मुझे समझ मे आ गयी थी। मूसा से मिली हुई जानकारी के कारण एकाएक भारतीय सुरक्षा तंत्र चौकन्ना हो गया था लेकिन ”कोडनेम वलीउल्लाह” और “आप्रेशन खंजर” ने एक बार फिर से हमारे सामने एक नयी चुनौती खड़ी कर दी थी।
बात तो आप बिलकुल सही कह रहे विरभाई, भारत का निजाम और मिजाज दोनो बदले है, जो हालात दस बिस साल पहले थे वो आज तो बिलकुल नही है. हमने पाकिस्थान का वो भीक मंगे जैसा हाल किया है जीसे रोज भिख मांगके अपना पेट पालना पडता हो, हां हमे चौकन्ना जरूर रहना होगा अंदरके सपोलेसे, जो हर वक्त देशको अंदरसे खोखला करणेके लिये तय्यार बैठे है, रही नई कडी की शुरुवात की बात, वो तो हमेशा की तरह धमाकेदार है, वैसे भी समिरका काम का दायरा पुरा देश बन गया तो कहानीका प्लॉट बदलना लाजमी है. बेसबरीसे इंतेजार मे बैठे है अगली कडी के🤔
जवाब देंहटाएंप्रशान्त भाई आपका तहे दिल से शुक्रिया। काफ़िर की अगली कड़ी 'गहरी चाल' भी जल्दी ही आरंभ करुँगा। उम्मीद है कि आप दुसरी कड़ के साथ भी ऐसे ही जुड़ कर मेरा मनोबल बड़ायेंगें।
हटाएंकाफिर का अगला भाग पढ़ने के लिए आतुर हूं, और भारत की दशा और दिशा बदलने की शुरुआत एक नया भाग से शुरू होना लाजमी ही अच्छी बात है और गहरी चाल की झलकी बहुत ही बढ़िया थी और जहां पहले भाग में समीर अकेला ही चल रहा था अब इस झलकी में लगता है की उसके साथ ढेरो और हाथ आयेंगे। बेसब्री से इंतजार रहेगा आपके अगले अंक का।
जवाब देंहटाएंअल्फा भाई धन्यवाद। आपको होली की खुशियाँ मुबारक। मै कोशिश करुँगा कि 'गहरी चाल' भी आपको उतनी पसन्द आये जितना काफ़िर पसन्द आयी थी।
हटाएंकाफ़िर नाम बहुत जबरदस्त है वीर भाई,लेकिन अगर अब कहानी पूरे देश और आस पास की साजिशो पर जाए गी तो गहरी चाल जबरदस्त नाम है,काफिर समीर की कहानी है,इस नाम से लगाव हो गया है,
जवाब देंहटाएंहरमन भाई आपका कहना उचित है। काफ़िर एक व्यक्ति के बचपन से युवा और फिर एक जांबाज सैनिक बनने तक की कहानी है। मेरे साथ आगे भी बने रहियेगा। शुक्रिया मित्र। आपको होली की खुशियाँ मुबारक। मै कोशिश करुँगा कि 'गहरी चाल' भी आपको उतनी पसन्द आये जितना काफ़िर पसन्द आयी थी।
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