सोमवार, 11 मार्च 2024

 

 

गहरी चाल-50

 

तीसरा हफ्ता आरंभ होते ही सारे शिड्युल मे बदलाव आ गया था। अब सेना के रणकौशल  प्रशिक्षण का कोर्स था। उप्युक्त फिजिकल ट्रेनिंग के साथ अब मोर्चेबन्दी और हालात का स्थान पर आंकलन करने की क्षमता को फील्ड मे टेस्ट करने का समय था। यहाँ पर मैप रीडिंग व दिशा का ज्ञान की तकनीकों से परिचय कराया गया था। अब तक जो कुछ क्लास रुम मे सीखा था अब उसको फील्ड पर अभ्यास करने का समय था। पाँचो टीम एक दूसरे की प्रतिद्वन्द्वी के रुप मे काम करती थी। ब्लैंक कार्टिजिस से फायरिंग करते थे। पिस्टल का डर और दाँये हाथ मे कंपन अभी तक नहीं गयी थी। अंजली ने एक तरीका खोज निकाला था। पिस्टल हाथ मे लेने से पहले वह बाँये हाथ मे अपना रुमाल पकड़ा देती थी। उसका रुमाल मेरे बाँये हाथ मे होने से मेरा दाँया हाथ स्थिर हो जाता था। पहले दो दिन मुझे फायर करने मे मुश्किल पेश आयी थी। सामने दुश्मन को देख कर भी मेरा जिस्म तनावग्रस्त हो जाता और समय पर फायर नहीं कर पाता था। इसके कारण अंजली खतरनाक स्थिति मे आ जाती थी। अंजली ने रणनीति बदलते हुए मुझ स्काउट की भुमिका देकर कवर देने की जिम्मेदारी स्वयं उठा ली थी। एक हफ्ते के फील्ड अभ्यास से मेरा फायरिंग का मेन्टल ब्लाक स्वत: ही कमजोर होता चला गया था। इस अभ्यास मे एक बात पता चल गयी थी कि अंजली पर खतरा मंडराता हुआ देख कर सारे दिमागी खलल तुरन्त दूर हो जाते थे।

तीसरे हफ्ते के अन्त तक टीम नम्बर पाँच दूसरे स्थान पर पहुँच गयी थी। मैप रीडिंग व दिशा ज्ञान मे अंजली की टक्कर मे दूर-दूर तक कोई नहीं था। स्थिति का आंकलन और उसके उप्युक्त सैन्य रणनीति मे अपने स्पेशल फोर्सेज और काठमांडू के अनुभव के कारण मै अब तक सभी से बेहतर साबित हो रहा था। हम दोनो की जोड़ी फील्ड मे अभ्यास करने के दौरान सभी टीमो पर भारी पड़ रही थी। पहले स्थान पर सेना की इन्फेन्ट्री कोर से आये हुए साथी थे। वह आरंभ से ही प्रथम स्थान पर टिके हुए थे। तीसरे हफ्ते के अन्त तक आते-आते हमारे स्कोर की दूरी बहुत हद तक कम हो गयी थी। अब पाँच मील की क्रासकंट्री मे भी हम भी उन्हें चुनौती दे रहे थे। सभी अभ्यास फील्ड पर होने के कारण हमारी पकड़ मजबूत होती चली जा रही थी। अब कठिनाईयों और जटिलता का स्तर बढ़ता चला जा रहा था। गुरिल्ला ट्रेनिंग और उनके हमले को विफल करने का अभ्यास आरंभ हो गया था। अब तक जो कुछ भी सीखा था जैसे मैपरीडिंग, दिशा ज्ञान, हैन्ड टु हैन्ड कोम्बेट, फायरिंग, स्थिति का आंकलन और उसके अनुरुप सैन्य रणनीति व शारिरिक और मानसिक समन्वय उसकी फील्ड मे एक साथ परीक्षा हो रही थी। चौथा हफ्ता आरंभ होते ही अजीत सर से मुझे शाम को आफीसर्स मेस पहुँचने का निर्देश मिला था। उस दिन का शिड्युल पूरा होने पर लौटते हुए अंजली को बता कर मै एनएसजी की स्टाफ कार लेकर देर शाम को आफीसर्स मेस पहुँच गया था।

वही पुराना माहौल और वैसी ही भीड़ आफीसर्स मेस के बार मे दिख रही थी। उन तीनो को देखने के लिये मैने अपनी निगाह चारों ओर दौड़ाई तो पाया वह एक किनारे मे बैठ कर ड्रिंक्स ले रहे थे। अजीत सर के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खिंची हुई थी। जनरल रंधावा और वीके किसी चर्चा मे मग्न थे। मै उनकी ओर चला गया था। …ईविनिंग सर। बोल कर मैने अपने पुराने अंदाज मे सैल्युट किया और उनके सामने जाकर बैठ गया था। मुझे देखते वीके और जनरल रंधावा चुप हो गये थे। …मेजर क्या लोगे? …सर, आप जो ले रहे है वही ले लूँगा। जनरल रंधावा ने वेटर बुला कर मेरे लिये एक लार्ज विहस्की का आर्डर देकर कहा… पुत्तर पता चला है कि इस बार तुम दोनो का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा था। …पता नहीं सर। हाँ यह सच है कि अब हम दूसरे स्थान पर आ गये है। …समीर, अंजली कोई साधारण लड़की नहीं है। हमे पता चला है कि वह अच्छी निशानेबाज के साथ सैन्य रणनीति बना कर उसको कार्यान्वित करने मे विलक्षण बुद्धि रखती है। …सर मै इस बारे मे कैसे बता सकता हूँ। इसका तो आंकलन ट्रेनिंग के बाद स्कोर कार्ड देख कर ही पता चल सकेगा। …मेरा ख्याल है कि वह किसी फौजी द्वारा एक प्रशिक्षित लड़ाकू है। मैने अजीत सर की ओर देखा तो वह मुझे देख रहे थे।

…तुम दोनो फालतू बात मे समय मत गवाँओ और सीधे मुद्दे पर आओ। वीके की झिड़की सुन कर अजीत सर ने कहा… समीर, अब तुम्हें जल्दी से जल्दी सीमा पार जाना पड़ेगा। उरी के जवाब देने का एक्शन प्लान को ग्रीन सिगनल मिल गया है। हमारा विचार है कि अब समय आ गया है कि तुम मानेसर से फौरन निकल ड्युटी जोइन करो। मै अपने गलास से एक घूँट भर कर शुष्क गला तर करके बोला… सर, मै कल सुबह ड्युटी पर रिपोर्ट कर लेता हूँ। …ब्रिगेडियर चीमा वहाँ पर अफगान तालिबान और पाकिस्तान तेहरीक के बीच समन्वय बनाने की कोशिश कर रहे थे। अब एक हफ्ते मे अपना ब्लू प्रिन्ट हमारे सामने रखो। अजीत सर ने समझाते हुए कहा… हक डाक्ट्रीन भारत को तोड़ने के लिये बनायी गयी थी तो अब उसी डाक्ट्रीन को पाकिस्तान मे कार्यान्वित करना है। उन्होंने हमारे लिये लश्कर और जैश बनाये थे तो अब उसी तरह से हमे भी तालिबान और तेहरीक को पाकिस्तान मे इस्तेमाल करना पड़ेगा। इस काम मे हमारी मदद अमरीकन फोर्सेज भी करेंगी। उनकी बात सुन कर एक पल के लिये मै अंजली के बारे मे सोचने पर मजबूर हो गया था। कुछ सोच कर मैने कहा… सर, वह मुझे अकेले तो फिलहाल जाने नहीं देगी। जनरल रंधावा न तुरन्त कहा… तो उसको भी ले जाओ। हमारे गिलास खाली हो गये थे। जनरल रंधावा ने रिफिल करने का वेटर को इशारा किया और फिर बोले… पुत्तर, कल तुम्हें वहाँ के हालात पर ब्रीफ करने के लिये काबुल से हमारे दूतावास मे नियुक्त मिलिट्री अटाचे श्रीनिवास आ रहा है। इसी लिये दस बज तक आफिस पहुँच जाना। हमने एनएसजी के निदेशक को तुम्हारे कोर्स छोड़ने के लिये निर्देश दे दिये है।

मै उनसे इजाजत लेकर मानेसर की ओर वापिस चल दिया था। अपने बैरक मे पहुँचते हुए नौ बज चुके थे। दोनो बच्चे सो गये थे। थापा जा चुका था। अंजली मेरी राह देख रही थी। मुझे देख कर वह उठ कर बैठते हुए बोली… क्या हुआ? …कल सुबह मुझे यह जगह छोड़नी पड़ेगी। …क्यों? …मुझे वापिस ड्युटी पर रिपोर्ट करना है। अंजली कुछ नहीं बोली लेकिन उसके चेहरे पर कुछ चिंता की लकीरें खिंच गयी थी। अपने कपड़े बदल कर मै उसके साथ लेट गया था। दोनो के लिये एक बेड असुविधाजनक था परन्तु एक दूसरे के जिस्मानी स्पर्श ही सारे दिमागी खलल को शांत करके लिए काफी था। उसने करवट लेकर अपना सिर मेरे सीने पर रख कर पूछा… क्या सोच रहे हैं? …तुम्हारे बारे मे सोच रहा था। क्या तुम वापिस काठमांडू चली जाओगी? …अभी कुछ सोचा नहीं है। कुछ दिन रुक कर वापिस जाने की सोचूँगी। बस एक वादा किजिये कि आप मुझसे पूछे बिना फील्ड आप्रेशन्स मे नहीं जाएँगें। उसे समझाते हुए मैने कहा… अंजली, यह मेरी ड्युटी है। अगर वह मुझे अफगानिस्तान भेजना चाहे तो भी मै उन्हें मना नहीं कर सकता। वह गहरी सोच मे डूब गयी थी।

…अब क्या हुआ? वह तमक कर बोली… अफगानिस्तान एक जंग का ऐसा मैदान है कि कोई यकीन से नहीं कह सकता कि उसका दुश्मन कौन है। तालिबान एक ओर चार गुटों मे बँटा हुआ है और उनके बीच मे वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। दूसरी ओर अमरीकन फोर्सेज है जो सिर्फ गोरे को छोड़ कर बाकी सभी को दुश्मन मानते है। तीसरी ओर पाकिस्तान की फौज और आईएसआई है जो अपने फायदे के लिये किसी पर भी घात लगा सकती है। चौथी ओर छोटे-छोटे गुटों की भरमार है जो किसी की नहीं सुनते है। बस कुछ डालर और हथियार के लिये वह अपनी निष्ठा  बदलते रहते है। …झाँसी की रानी तुम तीन और मुख्य जंगबाजों को अनदेखा कर रही हो। पहला चीन जो अपनी सबसे महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना अफगानिस्तान से निकालने की सोच रहा है। दूसरा तेहरीक-ए-तालिबान जो अफगानिस्तान मे बैठ कर पाकिस्तानी फौज को निशाना बना रहे है। तीसरा बलूचिस्तान रेसिस्टेन्स फ्रन्ट जिसमें बलूच कम और पश्तून ज्यादा है। फिलहाल तो वह अफगानिस्तान मे तालिबान और तेहरीक की मदद कर रहे है परन्तु आगे उनके निशाने पर पाकिस्तानी फौज होगी। …इतना सब कुछ जानने के बाद भी आप वहाँ जाने की कैसे सोच सकते है? उसका गुस्सा और बेबसी उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी।

…तुम्हें मुझ पर विश्वास है? …अपने से कहीं ज्यादा। …तो चिंता मत करो। इतना बोल कर उसको पकड़ कर अपने आगोश मे जकड़ कर लेट गया लेकिन वह अभी भी किसी सोच मे डूबी हुई थी। …चलिये उठिये। मैने अंधेरे मे पल्कें झपका कर उसकी ओर देखा तो वह मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच रही थी। मैने उठ कर उस पर नजर डाली तो उसने तब तक जमीन पर अपने बेड का गद्दा बिछा दिया था। मेरे उठते ही उसने मेरा गद्दा भी उसके साथ लगा कर डबल बेड बना कर बोली… आईये। अब आराम से सो सकेंगें। …बानो अब कौन अहमक सोना चाहेगा। इतना बोल कर मै उसे बाँहों मे जकड़ कर जमीन पर लेट गया। जब से ट्रेनिंग के लिये रिपोर्ट किया था तब से हम केडेट की तरह रह रहे थे। हमारे लिये इस कैंम्पस मे आखिरी रात थी। हमारी पहल छेड़खानी से आरंभ हुई और फिर धीमे से एकाकार की भावना सुलगने लगी। ट्रेनिंग समाप्त करते ही अंजली अपने सभी सुरक्षा कवच जैसे स्पोर्ट्स ब्रा, लियोटार्ड और स्पान्डेक्स लेगिंग उतार कर खाकी टी-शर्ट और ढीली सी कोम्बेट पैन्ट पहन लेती थी। रात को सोने की युनीफार्म मेरी भी यही होती थी।

अंजली की टी-शर्ट को धीरे से सरका कर जैसे ही उसकी नग्न कमर को छुआ तो मेरे स्पर्शमात्र से वह सिहर उठी थी। मैने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों मे कैद कर लिया और सके गुलाबी होंठों का रस सोखना आरंभ कर दिया। उसके उन्नत वक्षस्थल को छूते ही उसके मुख से एक दर्दभरी आह निकल गयी थी। …आज क्या उसे दूध नहीं पिलाया? वह कुछ नहीं बोली बस जल्दी से उसने अपनी टी-शर्ट उतार कर बेड पर रख दी थी। मै उसके दूध के कलश को खाली करने मे जुट गया था। हर जुम्बिश पर दूध की धार बह उठती थी। मेरे एक हाथ उसके नग्न पुष्ट नितंब को कभी सहलाता और कभी कस कर दबा देता। कभी उसक मुख से सीने का दर्दभरी आह और कभी उत्तेजना से भरी सीत्कार निकल जाती थी। …अंजली। …हुँ। मैने धीरे से अपनी टाँगे उसकी टाँगों मे अटका कर खोलते हुए अपने अग्रभाग को उसके अग्रभाग पर टिका कर धीरे से दबाया तो कुछ दिनो से दबी हुई एकाएक कामेच्छा भड़क गयी थी। सब कुछ भुला कर आनन फानन मे हमारे जिस्म से बाकी कपड़े भी हट गये थे। बैरेक की जमीन पर दो नग्न जिस्म एक दूसरे मे गुथे पड़े हुए थे।

पता नहीं क्यों लेकिन उस रात मै एक बार फिर से अंजली की कहानी जीवन्त करने मे जुट गया था। कभी उसके कान पर चूमता और कभी गले पर और कभी पीठ पर अपने गर्म होंठों को रगड़ कर उसके जिस्म मे आग भरने मे जुट गया था। वह बेहाल हो कर तड़पती और कभी मेरी गिरफ्त से छूटने के लिये कसमसाती लेकिन उतनी ही उसके जिस्म मे आग भड़क जाती और उसकी आनंद भरी सीत्कार मुख से निकल जाती। मेरे हाथ उसके उन्नत शिखरों को अपने काबू मे किये हुए थे। अंधेरे मे हम दोनों निर्वस्त्र हो कर बेल की तरह हम एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे के जिस्म को स्पर्श करते हुए नाजुकता, कोमलता और कठोरता को महसूस कर रहे थे। मेरी उँगलियाँ और मेरे होंठ उसके जिस्म के पोर-पोर पर अपनी छाप छोड़ कर आगे बढ़ते जा रहे थे। वह कभी मचलती, कभी तड़पती और कभी थरथरा उठती थी। उसका नाजुक कोमल हाथ कामपिपासा मे झूमते हुए अजगर को गरदन से पकड़ कर धीरे-धीरे सहला रही थी। उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच गयी थी। हम दोंनो अब अभिसार के लिए तैयार हो गये थे। लक्ष्य मेरे सामने था और लक्ष्यभेदन के लिए मैने उसके मचलते हुए जिस्म को स्थिर किया। उसने मेरे पौरुष को अपने वर्जित क्षेत्र पर आहिस्ता से घिसते हुए दिशा दिखाई और मैने अपनी कमर को धीरे से आगे बढ़ कर लक्ष्य के मुहाने पर जा कर रुक गया। अंजली भी अपेक्षा मे स्थिर हो गयी थी। मेरे होंठों ने उसके होंठों को जकड़ लिया और धीरे से दबाव बढ़ाया तो एक आँख वाला भुजंग सारी बाधाएँ पार करके जड़ तक समा गया था। दो जिस्म अब एक हो गये थे।

कुछ देर स्थिर रहने के बाद उसने इशारा किया और मै अपनी राह पर चल दिया। कुछ ही देर मे सिस्कारियों और तेज चलती हुई साँसे ही बैरगूंज रही थी। हम एक दूसरे के अन्दर भड़कती हुई कामाग्नि को बुझाने के लिए आगे बढ़ते जा रहे थे। चक्रवाती तूफान अपने पूरे वेग पर था। हमारे लिए वक्त थम गया था। एक समय आया कि अंजली की सिस्कारियाँ बन्द हो गयी थी। एकाएक उसके मुख से लम्बी सी उत्तेजना से भरी किलकारी निकली और उसका जिस्म पल भर के लिए अकड़ा और फिर निढाल हो लस्त हो कर पड़ गया। मै भी चरम सीमा पर पहुँच चुका था। मैने एक आखिरी और भरपूर वार किया और इसी के साथ बहुत देर से उबलता हुआ ज्वालामुखी फट गया। अंजली को अपने कामरस से सींच कर मै भी निढाल हो कर उस पर गिर गया था। काफी देर तक हम वैसे ही पड़े रहे। वह धीरे से हिली तो मै उसके उपर से हट कर किनारे लेट गया था। कुछ ही देर मे उसे अपने सीने से लगा कर मै गहरी नींद मे खो चुका था। 

बिगुल की आवाज सुन कर मै उठा तब तक अंजली तैयार हो चुकी थी। मैने जल्दी से कपड़े पहने और अंजली को रोकते हुए कहा… आज सुबह मुझे ड्युटी पर रिपोर्ट करना है। अगर तुम कोर्स पूरा करना चाहती हो तो तुम यही रुक जाओ लेकिन मुझे आज जाना होगा। …आपको कल रात को क्या हो गया था। उसकी बात सुन कर मै झेंप गया था। …कुछ नहीं बस तुम सभी से बिछुड़ने का डर कल शाम से सता रहा था। हमारी नजरे जैसे ही चार हुई तो वह मुस्कुरा कर बोली… बिछड़ कौन रहा है। जब दोजख मे साथ रहने का वादा किया है तो क्या आप सोचते है कि आपका साया आपका साथ इतनी आसानी से छोड़ देगा। यह मत भूलिये कि मै आज भी सैन्य रणनीति मे सबसे बेहतर हूँ। मैने जल्दी से कहा… झाँसी की रानी प्लीज जल्दी चलो। मुझे आज आफिस टाइम से पहुँचना है। …देखिये मैने सारा सामान पैक करवा दिया है। थापा गाड़ी मे सामान रखवा रहा है। एक बार ग्राउन्ड पर चल कर अपने प्रशिक्षको और सभी साथियों को धन्यवाद करके वापिस फ्लैट पर चलते है। मुझे अच्छा नहीं लगता कि हम उन्हें बिना बताये इस कोर्स को छोड़ कर ऐसे ही निकल जायें। मै तो चुपचाप निकलने की सोच कर बैठा हुआ था परन्तु उसकी बात नहीं टाल सका… चलो सब से मिल कर चलते है। हम दोनो ग्राउन्ड की दिशा मे चल दिये थे।

ग्राउन्ड पर सभी पहुँच चुके थे। ड्रिल मास्टर कुट्टी और उसके साथ दो इंस्ट्रक्टर कैडेट्स का निरीक्षण कर रहे थे। एक लाइन गायब देख कर कुट्टी जोर से चिल्लाया… टीम पाँच कहाँ है? हमे दूर से आते हुए हमारे साथियों ने देख लिया था परन्तु किसी ने कुछ नहीं कहा तो कुट्टी अपने साथ चलते हुए इंस्ट्रक्टर पर घुर्राया… दोनो को पेनल्टी पोइन्टस मार्क कर दो। तब तक हम दोनो पहुँच गये थे। मै सावधान होकर जोर से चिल्लाया… मास्टर यह कैडट कुछ कहना चाहता है। इजाजत दिजिये। कुट्टी ने मुड़ कर मेरी ओर देखा और जलती हुई निगाहों से घूरते हुए बोला… इजाजत है। …मास्टर हमे अपने आफिस मे रिपोर्ट करने का निर्देश मिला है। हम इस कोर्स को बीच मे छोड़ कर वापिस जा रहे है। कुट्टी जो हम दोनो पर फटने को तैयार बैठा था एकाएक यह सुन कर खामोश हो गया। हमारे साथी भी आश्चर्य से हमारी ओर देख रहे थे। अचानक कुट्टी अपनी एड़ियों पर घूमा और मेरे साथियों की ओर मुड़ कर जोर से चिल्लाया… कैडेट्स डिस्मिस। इतना बोल कर वह मेरे पास आकर बोला… मेजर साहब, एक हफ्ते की बात है तो आप दोनो इस वक्त कोर्स को क्यों छोड़ कर जा रहे है? अब मै उसे क्या बताता तो मैने अंजली की ओर देखा तो वह तुरन्त बोली… मास्टर डिप्लोयमेन्ट के कारण जाना पड़ रहा है। हम तो आप सभी को धन्यवाद देने के लिये आये है। आपके साथ रह कर बहुत कुछ सीखने को मिला। इतना बोल कर अंजली सभी साथियों के पास चली गयी थी।

कुट्टी और इंस्ट्रक्टरों को धन्यवाद देकर मै भी उनके पास चला गया था। सभी अंजली से जाने का कारण पूछ रहे थे। वह सभी को वही कहानी सुना रही थी। मेरे पहुँचते ही एक बार फिर से वही सवाल मुझ पर दाग दिये थे। शेखावत ने अचानक कहा… तुम दोनो तो अलग कोर से हो तो दोनो को एक साथ कैसे जाना पड़ रहा है। उसने ऐसा मुद्दा उठा दिया कि सबका ध्यान उस ओर चला गया था। सिमरनजीत ने उसकी बात का अनुमोदन करते हुए कहा… हाँ जाट ठीक कह रहा है। अंजली तो सिगनल कोर मे है और समीर तुम स्पेशल फोर्सेज मे तो फिर कैसे तुम दोनो का बुलावा एक ही समय आ गया। इससे पहले कोई और सवाल करता मैने जल्दी से कहा… यार अंजली मेरी बीवी है। पहले धक्के से अभी उभर नहीं पाये थे कि एक और धक्का लग गया था। सभी अचरज से हमारी ओर देख रह थे। तभी कुट्टी हमारे पास आकर बोला… तुम दोनो हस्बेन्ड-वाइफ हो? …यस मास्टर। इससे पहले और कोई सवाल जवाब होते कि तभी थापा अपनी गोदी मे केन और मेनका का हाथ पकड़ कर आता हुआ दिखा तो अंजली ने जल्दी से इशारे से दिखाते हुए कहा… यह हमारे दो बच्चे है। थापा मेरे पास आकर बोला… साबजी, गाड़ी तैयार है। मै अब जल्दी से जल्दी वहाँ से निकलना चाहता था। अंजली अपने साथियों से केन और मेनका को मिलवाने मे व्यस्त हो गयी थी। मेरे से बात करते हुए सब तनाव मे आ गये थे। ट्रेनिंग कोर्स के बैच का रिश्ता जीवन भर के लिये बन जाता है परन्तु इतने दिनों का हमारा प्रगाड़ रिश्ता पल भर मे नष्ट हो गया था। अगले पाँच मिनट मे सभी को धन्यवाद करके हम अपने फ्लैट की ओर निकल गये थे।

मै टाइम से पहले अपने आफिस पहुँच गया था। जनरल रंधावा ने मेरे आफिस मे प्रवेश किया तो झट से खड़ा होकर सैल्युट करके बोला… गुड मार्निंग सर। …समीर वहाँ से निकलने मे कोई परेशानी तो नहीं हुई थी। …नहीं सर। …अंजली भी वापिस आ गयी? …जी सर। …चलो अच्छा हुआ। मेरे साथ चलो। इतना बोल कर वह चल दिये थे। मै जल्दी से उनके साथ चल दिया। वीके के दरवाजे पर दस्तक देकर वह दरवाजा खोल कर अन्दर चले गये और मै भी उनके पीछे आ गया था। अजीत सर पहले से ही बैठे हुए थे। मुझे देख कर वह बोले… मेजर तीन हफ्ते की ट्रेनिंग कैसी रही? …मनोबल के लिये तो बहुत अच्छी रही परन्तु अभी एक कमजोरी से पूरी तरह उबर नहीं पाया। वीके ने मुस्कुरा कर कहा… मेजर जब तुमने पहला एन्काउन्टर किया होगा तो क्या इसी प्रकार की स्थिति का तुमने सामना नहीं किया था। …नो सर। मेरे बहुत से साथियों के साथ ऐसा हुआ था परन्तु मेरे साथ ऐसा उस ब्लास्ट के बाद ही हुआ था। अबकी बार अजीत सर ने कहा… समीर जब तुम्हारे हाथ से पहला आतंकवादी ढेर होता है तब ऐसा मानसिक ब्लाक अकसर देखने मे आता है। पिस्तौल चलाने वाले हाथ मे कंपन और हड़कन कुछ दिनो तक रहती है। समय के साथ फिर सब ठीक हो जाता है। …सर, श्रीनिवास के साथ मीटिंग कब होगी? …समीर वह मीटिंग राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की मीटिंग है। रा का निदेशक गोपीनाथ कुछ खुलासा करना चाहता है। उन खुलासों के आधार पर हमे अपनी रणनीति तय करनी पड़ेगी। रणनीति के पश्चात उसको कार्यान्वित करने का तरीका वही रहेगा। तुम फील्ड संभालोगे और रंधावा कंट्रोल सेन्टर मे बैठ कर तुम्हारे और अन्य एजेन्सियों के साथ कुर्डीनेशन देखेंगें। …यस सर। तभी अजीत सर के फोन की घंटी बजने लगी तो उन्होंने जल्दी से काल लेकर बात करने बैठ गये। बात समाप्त करने के पश्चात अजीत सर ने कहा… वीके ने बताया है कि गोपीनाथ की मीटिंग का समय दो बजे का तय हुआ है। रा, आईबी, विदेश सचिव, गृह सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति और कुछ अन्य लोग उसमे उपस्थित होंगें।

हमारे चलने से पहले अजीत सर ने कहा… समीर दो बजे से पहले मेरे आफिस मे आ जाना। इसी के साथ हम उनके कमरे से बाहर निकल आये थे। अपने आफिस पहुँच कर मै विदेश डिस्पैच मे अफगानिस्तान का रिकार्ड देखने बैठ गया। कल रात को अंजली से हुई बात के बाद मै कुछ चीजे देखना चाहता था। दोपहर तक मैने अंजली की एक-एक बात को चेक कर लिया था। दो बजे से कुछ पहले मै अजीत सर के आफिस मे पहुँच गया था। अजीत सर अकेले बैठे हुए किसी सोच मे गुम थे। मुझे देखते ही वह बोले… लांचिंग पेड्स को ध्वस्त करने के लिये किसका इस्तेमाल करने की सोच रहे हो? …15 कोर की स्पेशल फोर्सेज को ऐसे आप्रेशन्स का काफी अनुभव है। अजीत सर बोले… तो एक बार फिर से सीमा पार करने की सोच रहे हो? …यस सर। तभी उनके इन्टरकाम की घंटी बजी तो उन्होने काल लेते हुए बोले… हैलो। कुछ पल दूसरी ओर को सुन कर बोले… उन्हें यहीं भेज दो। इतना बोल कर उन्होंने रिसीवर रख कर मेरी ओर देख कर बोले… तुमसे मिलिट्री पुलिस के कुछ लोग मिलने आ रहे है। मैने उन्हें यहीं बुला लिया है। पाँच मिनट के बाद अजीत सर के दरवाजे पर दस्तक हुई और तीन मिलिट्री पुलिस के अधिकारियों ने कमरे मे प्रवेश किया और मुस्तैदी के साथ सैल्युट करके सामने खड़े हो गये थे। अजीत सर ने बैठने का इशारा करके कहा… यह मेजर समीर बट है।

तीनो अधिकारी बैठ गये थे। उनमे से एक मेजर रैंक के अधिकारी ने मेरी ओर देखते हुए अपना सवाल दागा… आप का नाम? …मेजर समीर बट। …मेजर बट यह पूछताछ कैप्टेन डाक्टर अदा बट, आर्मी मेडिकल कोर के गायब होने के सिलसिले मे हो रही है। कैप्टेन बट के साथ आपका क्या रिश्ता है? इस सवाल को सुन कर एक पल के लिये मै बोलते हुए गड़बड़ा गया था। अदा के गायब होने की खबर सुन कर मेरा जिस्म ठंडा पड़ गया था। मेरी जुबान को जैसे लकवा मार गया था। वह अधिकारी दोबारा बोला… मेजर बट, आपने जवाब नहीं दिया। मैने जल्दी से लड़खड़ाती आवाज मे कहा… रिश्ते मे वह मेरी बहन लगती है। …मेजर साहब, आपकी बहन कैप्टेन अदा बट ने अभी तक अपनी ड्युटी जोइन नहीं की है। हमे कमांड अस्पताल जम्मू की ओर से रिपोर्ट मिली थी। सारी जाँच के बाद पता चला है कि वह इगतपुरी रेलवे स्टेशन पर उतर कर गायब हो गयी है। क्या आपके पास उनकी कोई जानकारी है? …जी नहीं। …मेजर साहब, भारतीय सेना कानून की दंड सहिता अधिनियम के अनुसार उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करने का नोटिस हमने पन्द्रह दिन पहले उनके श्रीनगर के स्थायी पते पर भिजवा दिया था। उनके पास 30 दिन का समय है अन्यथा उनके खिलाफ कार्यवाही आरंभ करनी पड़ेगी। इतना बोल कर उस व्यक्ति ने एक नोटिस मेरी ओर बढ़ा दिया था। मैने एक सरसरी नजर उस नोटिस पर डाली और पावती लागबुक पर साईन करके नोटिस लेकर पूछा… अगर उसका अपहरण हुआ है तब आपकी ओर से यह नोटिस बेमानी हो जाएगा। वह व्यक्ति चलते हुए बोला… हमारी जांच से पता चला है कि वह बिना जोर जबरदस्ती किये अपनी मर्जी से इगतपुरी स्टेशन पर उतरी थी। इसीलिये कोई पुलिस रिपोर्ट इस संदर्भ मे स्थानीय पुलिस स्टेशन मे नहीं रजिस्टर की गयी है। इतना बोल कर वह लोग चले गये थे। इतनी देर मे मेरा सारा जिस्म पसीने से नहा गया था।

अजीत सर ने धीरे से कहा… समीर, घबराने की कोई बात नहीं है। फिलहाल गोपीनाथ की मीटिंग को भूल जाओ और जनरल रंधावा से मिल कर तुरन्त उसका पता लगाने की कोशिश करो। मै जल्दी से उठ कर जनरल रंधावा के आफिस की ओर चला गया था।  जनरल रंधावा अपने आफिस मे बैठे हुए थे। मुझे देखते ही वह बोले… पुत्तर, मै तेरे पास ही आ रहा था। गोपीनाथ की मीटिंग का टाईम हो गया है। मैने जल्दी से कहा… सर, आपकी मदद चाहिये। कैप्टेन अदा बट पूना से जम्मू के लिये निकली थी परन्तु वह अब तक वहाँ नहीं पहुँची। इतना बोल कर मैने उस नोटिस को उनके सामने रख कर कहा… मुझे इसके बारे मे सारी जानकारी चाहिये। वह नोटिस पढ़ने के बाद जनरल रंधावा ने कहा… पुत्तर, इगतपुरी स्टेशन से जाँच शुरु करते है। इतना बोल कर वह अपने फोन मे व्यस्त हो गये और मै उन्हें छोड़ कर अपने आफिस मे आकर बैठ गया था। मैने अदा की बैचमेट श्री से पता किया तो वह भी उसके गायब होने की बात से अनजान थी। मुझे अंजली और बच्चों की चिन्ता सता रही थी। अगर पीरजादा मीरवायज और जैश ने अदा को अगुवा किया है तो उनके निशाने पर अंजली और आसिया भी होंगी। मैने आसिया से बात करके अपने आपको आश्वस्त किया और फिर अंजली को इसके बारे मे बताने के लिये अपने फ्लैट की ओर निकल गया था।

फ्लैट मे प्रवेश करते ही अंजली ने पूछा… इतनी जल्दी कैसे आ गये? मेरे चेहरे पर उड़ी हुई हवाइयां देख कर वह तुरन्त बोली… क्या हो गया? तभी मेरे फोन की घंटी बजी तो मैने तुरन्त काल लेते हुए कहा… हैलो। …पुत्तर, क्या वह मकबूल बट की बेटी है? …यस सर। …समीर, इगतपुरी के रेलवे स्टेशन की निकासी द्वार पर सीसीटीवी की रिकार्डिंग मे कैप्टेन अदा बट किसी आदमी के साथ बाहर जाती हुई दिख रही है। …वह आदमी कौन है? …जोरावर बाटामालू। एक समय कुपवाड़ा और उसके आस-पास के क्षेत्रों मे जैश का एरिया कमांडर हुआ करता था। लगभग सात साल बाद पहली बार इसको किसी ने भारत की सीमा मे देखा है। …सर, क्या कोई जबरदस्ती की गयी थी? …नहीं। रिकार्डिंग मे कैप्टेन अदा बट अपनी मर्जी से उसके साथ जाती हुई दिख रही है। मैने चकराते हुए पूछा… जोरावर बाटामालू के साथ भला उसका क्या संबन्ध हो सकता है। …यही बात जाँच टीम के लिये रहस्य बन गयी है और इसी कारण सेना मुख्यालय ने अनुशासानत्मक कार्यवाही के निर्देश दिये है। फिलहाल हम जोरावर बाटामालू को ट्रेक करने की कोशिश कर रहे है। जैसे ही उसके बारे मे कोई जानकारी मिलेगी मै तुम्हें खबर कर दूँगा परन्तु तब तक तुम कोई एक्शन नहीं लेना। इतनी बात करके जनरल रंधावा ने फोन काट दिया था। बात समाप्त होते ही मेरी नजर अंजली पर पड़ी जो मुझे बड़े ध्यान से देख रही थी। उसके चेहरे पर तनाव की रेखा उभर आयी थी।

…क्या हुआ? मैने अदा की जानकारी देकर उससे कहा… तुम ठीक कह रही थी। अब उनके निशाने पर मै आ गया हूँ। तुम आज ही दोनो बच्चों को लेकर काठमांडू चली जाओ। यह जगह तुम्हारे लिये अब सुरक्षित नहीं है। …आप क्या करने की सोच रहे है? …पता नहीं। यह बोलते हुए मेरी आवाज भर्रा गयी थी। वह कुछ नहीं बोली और मुझे वहीं छोड़ कर अन्दर चली गयी। मै सोफे पर बैठ कर अपने अगले कदम के बारे मे सोच ही रहा था। जोरावर बाटामालू सात साल बाद यहाँ दिखने का मतलब था कि जैश सिर पर कफन बाँध कर फारुख की मौत का बदला लेने के लिये सक्रिय हो गयी है। कुछ देर के बाद वह दोनो बच्चों को लेकर मेरे पास आकर बोली… मै अभी इनको लेकर काठमांडू जा रही हूँ। बस ख्याल रहे कि अब आप पीरजादा मीरवायज के निशाने पर आ गये है। इसलिये सीमा पार जाने की सोचना भी नहीं। यह बात आप अपने अफसरों को भी साफ शब्दों मे समझा देना। इतना बोल कर वह गेट पर खड़े थापा से बोली… थापा, सामान जीप मे रखो। हमे अभी एयरपोर्ट जाना है। थापा सामान जीप मे रखने मे जुट गया और वह मेरे पास आकर बोली… अच्छा मै चलती हूँ। मै उठ कर खड़ा हुआ और उसको अपनी बाँहों मे कस कर जकड़ते हुए बोला… कैप्टेन यादव को अपनी फ्लाईट की जानकारी दे देना। वह एयरपोर्ट पर तुम्हें लेने आ जाएगा। अपना और बच्चों का ख्याल रखना। …आप बेफिक्र रहिये। अच्छा खुदा हाफिज। इतना बोल कर वह मुझसे अलग हो गयी। केन को स्सपेन्डर मे डाल कर उसने मेनका का हाथ पकड़ा और चली गयी थी। मै वहीं कुछ देर शून्य मे ताकता हुआ खड़ा रहा और फिर धम्म से सोफे पर बैठ गया।

थापा ने लौट कर बताया कि मैडम पाँच बजे की नेपाल एयरलाइन्स की फ्लाईट पकड़ कर काठमांडू चली गयी है। मैने कैप्टेन यादव को फोन पर उनकी फ्लाईट की जानकारी देने के पश्चात कहा… कैप्टेन, आफिस पर चार लोगों को तैनात कर देना। उन सबकी सुरक्षा का भार अबसे तुम पर है। इतनी बात करके मैने फोन काट कर नीलोफर का नम्बर मिलाया। …हैलो। …नीलोफर, अपने लश्कर के नेटवर्क से पता करो कि इस वक्त जोरावर बाटामालू कहाँ है? …क्यों क्या हुआ? …मुझे आज ही पता चला है कि उसने अदा को अगुवा किया है। इतना ही पता चल जाये कि क्या वह अभी भी हमारी सीमा मे है या वह पाकिस्तान पहुँच गया। …समीर, मै आज ही वापिस आ रही हूँ। इतना बोल कर उसने फोन काट दिया था। मेरा दिमाग अब सुचारु रुप से काम कर रहा था। पीरजादा मीरवायज और उसके जैश को सबक सिखाने का मैने निश्चय कर लिया था। अगले तीन दिन मै ब्लू प्रिन्ट बनाने मे जुट गया था। नीलोफर उसी रात को वापिस आ गयी थी। वह अपने लश्कर के नेटवर्क से लगातार जोरावर बाटामालू के बारे पता करने की कोशिश मे जुटी हुई थी। जोरावर बाटामालू को आखिरी बार इगतपुरी स्टेशन पर देखा गया था और उसके बाद तो जैसे उसे जमीन निगल गयी थी।

रोज ही अंजली से मेरी बात हो जाती थी। वह गोल्डन इम्पेक्स के काम मे व्यस्त हो गयी थी। इधर मेरा ब्लू प्रिन्ट तैयार होता जा रहा था। फाईनल रुपरेखा तैयार करके एक हफ्ते के बाद मै वह फाईल लेकर तिगड़ी के सामने बैठा हुआ था। वीके ने फाईल देखते ही कहा… आप्रेशन अज्ञातवीर। यह क्या नाम रखा है? अजीत सर और जनरल रंधावा मेरी ओर देख रहे थे। मैने अपना ब्लू प्रिन्ट खोल कर उनके सामने रखना शुरु किया कि तभी मेरे फोन पर एक मेसेज मिलने की घंटी बजी। जब से अदा की खबर मिली थी तभी से मेरे लिये हर मेसेज महत्वपूर्ण हो गया था। मैने तुरन्त फोन निकाल कर मेसेज देखा तो एक पल के लिये मेरी धड़कन रुक गयी थी।   

मैने तो हमेशा आपका साया बन कर रहने की सोची थी परन्तु खुदा के आगे किसका बस चलता है। एक जरुरी कारण से मुझे दोजख को चुनना पड़ रहा है। काफ़िरों के लिये दोजख मे कोई जगह नहीं है। आपके साथ बिताये हुए हर पल को अपने जहन मे सजों कर आपको बिना बताये जा रही हूँ। इसके लिये आप मुझे माफ कर दिजियेगा। अगर खुदा ने चाहा तो फिर मिलूँगी वर्ना कयामत तक हर पल आपसे मिलने का इंतजार करुँगी। खुदा हाफिज।

…मेजर। वीके की आवाज गूँजी परन्तु फोन के डिस्प्ले पर उभरा हुआ हर शब्द मेरे दिल मे शूल की भाँति प्रहार कर रहा था। मै एकाएक उठा और उनसे बिना कुछ बोले कमरे से बाहर निकल गया था।

2 टिप्‍पणियां:

  1. इस अंक को पढ़कर सचमुच लाजवाब हुआ और चौंका भी उस भयाभय दुर्घटना से समीर उभरा ही था की इस अंक में उसको लगातार दो दो झटके मिले अपने निजी जिंदगियों से जुड़ी जहां अदा के अगवा होना या फिर खुद आतंकियों के साथ चले जाना एक रहस्य बन गया था तो उसके ऊपर हया के ऐसे उसको छोड़ कर चले जाना समीर के लिए शायद बहुत ही कमजोर कर देने वाले पल ला दिया है ऊपर से उसको मिशन में भी जाना है तो कैसा यह पल वो निकालेगा यह देखना मजेदार होगा, आगे के अंक की प्रतीक्षा में।

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