रविवार, 17 मार्च 2024

 

 

उपसंहार

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

कान्फ्रेन्स रुम मे गोपीनाथ और अन्य लोग गहन चर्चा मे उलझे हुए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को प्रवेश करते हुए देख कर सब अपनी-अपनी जगह पर जा कर बैठ गये थे। अजीत सुब्रामन्यम ने मीटिंग का उद्देश्य बता कर गोपीनाथ को माइक देकर कहा… टाईम का ख्याल रखना। गोपीनाथ ने एक पल रुक कर बोलना आरंभ किया… अमरीका अपना मन बना चुका है कि अब उसे अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाने का समय आ गया है। इस लिये तालिबान के सारे गुटों को बातचीत करने के लिये कतार बुलाया है। कतार का अमीर इन दोनो गुटों के बीच मध्यस्ता कराने की कोशिश कर रहा है। हमारे लिये पहली चुनौती तो अपने लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने की है। दूसरी चुनौती तालिबान की ओर से है। तीसरी चुनौती चीन की सड़क परियोजना की ओर से नजर आ रही है। चौथी और सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान से मिल रही है। वहाँ राहदारी एक ऐसा मुद्दा बन गया है कि पाकिस्तान सभी के लिये रोड़े अटका रहा है। इस राहदारी के कारण भारत की भुमिका अफगानिस्तान मे नगण्य हो गयी है। हम अफगानिस्तान मे बिजली, सड़क, स्वास्थ व शिक्षा की परियोजनायें स्थापित कर रहे है। वहाँ पर हालात खराब होने से जान और माल की हानि होने की संभावना बढ़ जाएगी। इन हालात मे हमारी ओर से पहल की गयी थी जिसके कारण तालिबान का नेतृत्व, सीआईए, अमरीकन फौज और हमारा विदेश विभाग एक प्लेटफार्म पर आकर इसका हल निकालने मे लगे हुए थे। हमारी ओर से इस मसले को सुलझाने के लिये ब्रिगेडियर चीमा उनके साथ काम कर रहे थे। हाल ही मे आईएसआई ने अपनी तंजीमों की मदद से ब्रिगेडियर चीमा पर हमला करवा कर पूरी योजना को पटरी से उतार दिया है। वहाँ के हालात की जानकारी देने के लिये काबुल मे नियुक्त मिलिट्री अटाचे कर्नल श्रीनिवास अब आपके सामने सारे तथ्य रखेंगें। इतना बोल कर श्रीनिवास को बोलने का इशारा करके गोपीनाथ अपने स्थान पर जाकर बैठ गया था।

कर्नल श्रीनिवास ने एक नजर सभी पर डाल कर बोलना आरंभ किया… ब्रिगेडियर चीमा तालिबान के शीर्ष नेतृत्व यह यकीन दिलाने मे सफल हो गये थे कि हमारी सभी परियोजनायें जनहित मे है। वह अमरीका और तालिबान के बीच सुलह कराने मे भी सफल हो गये थे कि अगर तालिबान कुछ समय के लिये शांति बहाल करने मे कामयाब हो जाता है तो अमरीकन और नाटो फोर्सेज अफगानिस्तान से निकलने का कार्य आरंभ कर देंगी। काफी हद तक इस पर एक राय बन चुकी थी और तालिबान पिछले कुछ महीने से शांत बैठे हुए थे। इसी का परिणाम है कि कतार मे तालिबान और अमरीका की शांति वार्ता आरंभ हो गयी थी। तालिबान की सिर्फ एक ही शर्त थी कि इस वार्ता मे कोई तीसरी पार्टी नहीं होगी। उनका सीधा इशारा पाकिस्तान की ओर था। उनका मानना था कि अफगानी ही अपना मुस्तकबिल खुद तय करेंगें। यह विचार पाकिस्तान की आईएसआई और फौज के हित मे नहीं था तो सबसे पहले वह अमरीका को राहदारी देने के मामले मे आनाकानी करने लगे। उसके लिये पाकिस्तानी एस्टेबलिश्मेन्ट ने अपनी आवाम को अमरीका के विरुद्ध भड़काना शुरु किया जिसमे मुख्य भुमिका लब्बैक और जमात के मौलानाओं और मदरसों की थी। हमारे पास पुख्ता सूचना है कि इस अभियान को पीछे से चीन की मदद मिल रही थी। चीन अपनी वन बेल्ट-वन रोड सड़क परियोजना के द्वारा अड़तीस से ज्यादा एशियाई राष्ट्रों पर अमरीका की पकड़ कमजोर करके उन पर अपना नियंत्रण करना चाहता है।

इतना बोल कर श्रीनिवास कुछ पलों के लिये चुप हो गया था। सभी बैठे हुए अधिकारी चुपचाप उसकी बात सुन रहे थे। उसने फिर से बोलना आरंभ किया… ब्रिगेडियर चीमा ने पाकिस्तान और चीन पर अंकुश लगाने के लिये एक ब्लू प्रिंट तैयार किया था जिसकी सीआईए और तालिबान के नेतृत्व ने भी काफी सराहना की थी। उनका मानना था कि पाकिस्तान मे फौज के प्रति रोष व असंतोष की स्थिति मे चीन की सीपैक परियोजना पर प्रतिकूल असर होगा जिसके कारण दोनो का ध्यान अफगानिस्तान से हट कर पाकिस्तान तक सिमित हो जाएगा। इसके लिये उन्होंने तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और उसकी जैसी और तंजीमो को मजबूत करने का सुझाव दिया था। अमरीका को एक तीर से दो शिकार करने का मौका मिल गया था। उन्होंने सहर्ष यह सुझाव को अमल मे करने के लिये ब्रिगेडियर चीमा को ग्रीन सिगनल दे दिया था। अमरीकन डालर और हथियारों की मदद मिलते ही तेहरीक और उनकी जैसी बलूचिस्तान, पख्तूनिस्तान, वजीरीस्तान की अन्य तंजीमों ने पाकिस्तानी फौज और सीपैक को निशाने पर ले लिया था। पाकिस्तान मे अराजकता का असर यह हुआ कि उनका ध्यान अफगानिस्तान से हट गया और तालिबान की वार्ता किसी हद तक अफगानिस्तान मे शांति स्थापित करने मे सफल हो गयी थी। बस इसी कारण ब्रिगेडियर चीमा आएसआई की नजर मे आ गये थे।

…तालिबान के बारे एक बात जानना जरुरी है कि पहले अफगान युद्ध मे तालिबान को बनाने वाले लोगों मे हक्कानी परिवार का आज भी काफी प्रभाव है। हक्कानी परिवार मूलत: पाकिस्तानी है और अफगान सीमा पर उनका काफी दबदबा है। पहले और दूसरे अफगान युद्ध मे तालिबान की हक्कानियों ने काफी मदद की थी। पाकिस्तानी फौज और आईएसआई का तालिबान पर प्रभाव हक्कानी परिवार के कारण है। जब यह वार्ता की पहल हुई तब पाकिस्तान फौज के दबाव मे हक्कानियों ने इस वार्ता मे भाग लेने से मना कर दिया था। इसी के साथ बहुत से तालिबान के नेताओं का परिवार अभी भी पाकिस्तान मे रह रहा है। इसीलिये तालिबान का नेतृत्व दो भाग मे बँट गया है। हक्कानी और उनके समर्थक पाकिस्तान के पिठ्ठु बन कर वार्ता असफल करने की जुगत लगा रहे है और वहीं दूसरी तरफ एक बड़ा तबका तालिबान का अमरीकन से बात करने की पैरवी कर रहा है। चीन के लिये यह सभी प्यादे है और उनका उद्देश्य उस महत्वाकांक्षी सड़क परियोजना से जुड़ा हुआ है। ग्वादर और सीपैक परियोजना मे अब तक चीन काफी पैसा लगा चुके है। इसी कारण अब वह भी पाकिस्तानी फौजी एस्टेब्लिशमेन्ट के दबाव मे आ गये है। आपको यह सब बताने की जरुरत ब्रिगेडियर चीमा के कारण पैदा हो गयी है। एक ओर तालिबान के नेतृत्व मे सेंधमारी के लिये आईएसआई हक्कानियों से मदद ले रही है और दूसरी ओर पाकिस्तान फौज तेहरीक के खिलाफ जंग छेड़ने जा रही है। पश्तूनों और पठानों के बीच मे अमरीका की छवि ठीक नहीं है अपितु उन लोगों के बीच भारतीयों की छवि सबसे बेहतर है। अमरीका चाहता है कि हम इस स्थिति को संभाले इसी लिये ब्रिगेडियर चीमा का रिप्लेसमेन्ट हमें जल्दी से जल्दी चाहिये। इतना बोल कर श्रीनिवास चुप हो कर अपनी जगह पर बैठ गया था।

 

कराँची

उसी समय कराँची मे जनरल फैज एक आदमी से मिल रहा था। …मुंबई मे पैसा पहुँचाना है। …जनरल साहब अब हवाला के जरिये वहाँ पैसे पहुँचाना मुश्किल हो रहा है। नयी सरकार आने के बाद से काफी सख्ती हो गयी है। …अकबर मियाँ, मुंबई फिल्म इंड्रस्ट्री अभी बन्द नहीं हुई है। आज भी बालीवुड हमारे पैसों पर खड़ा हुआ है। यह सुन कर अकबर एक पल के लिये गड़बड़ा गया था। जनरल फैज ने आँखे तरेर कर कहा… मियाँ यहाँ पर क्या होता है उसकी सारी खबर है। इसलिये अपने अब्बा से कहो कि अगले हफ्ते तक उन्हें सौ करोड़ रुपये मुंबई पहुँचाने है। …जनाब, आपने कह दिया तो काम हो जाएगा। जनरल फैज मुस्कुरा कर बोला… आज रात के लिये किसका इंतजाम किया है? …बालीवुड मे अपनी नयी लड़की जाहिरा को काम दिलवा रहा हूँ। आपके लिये आज उसका इंतजाम किया है। इतना बोल कर वह चुप हो गया था। कुछ सोच कर अकबर झिझकते हुए बोला… आपने जमाल भाई के प्रस्ताव के बारे मे क्या सोचा? …कौनसा प्रस्ताव? …जमाल भाई ड्र्ग्स के कारोबार को करांची के बजाय बाकू से चलाना चाहते है। …अकबर, उसने अभी तक यह नहीं बताया है कि अगर वह बाकू से सारे कारोबार का संचालन करेगा तो फिर मेरे हिस्से को कहाँ और कैसे देगा? …मेरे हमनवाज, मुंबई वालों के कारण दुबई का रुट सबकी नजर मे आ गया है। इसलिये अब्बा के कहने पर बाकू को चुना है। जनरल फैज ने आवाज कड़ी करके कहा… अकबर, तुम्हारे अब्बा कमाल के कराँची-दुबई-मुंबई रुट से भली भांति मै परिचित हूँ। अगर मुझसे होशियारी दिखाने की कोशिश करने की सोच रहे हो यह जान लो कि बाकू मे भी तुम्हारे सारे नेटवर्क को ध्वस्त करने मे मुझे एक दिन भी नहीं लगेगा। अकबर ने जल्दी से पूछा… मुंबई मे वह पैसा किसके पास पहुँचाना है? …आमिर खान। …कौन वह एक्टर? …बेवकूफ आमिर खान तेहरिक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान का संस्थापक है। वह केरला मे बैठा है। …जनाब, आपका काम हो जाएगा। …अब इसके बारे मे अपने अब्बा से नहीं पूछेगा? अबकी बार अकबर खिसियानी हँसी हँसते हुए बोला… जनाब, तलाब मे रह कर मगर से बैर नहीं रख सकते। जनरल फैज ने उठते हुए एक ठहाका लगाया और फिर कमरे से बाहर निकल गया। 

जनरल फैज के जाते ही एक वृद्ध से दिखने वाले व्यक्ति ने कमरे मे कदम रखते हुए कहा… अकबर, पता करो कि क्या फरहान चला गया? …अब्बू वह अभी बाहर बैठा है। …उसको मेरे पास भेज दे। दो मिनट के बाद वह कमाल कुरैशी के सामने फरहान हाथ जोड़े खड़ा हुआ था। …फरहान आपकी फिल्म इस हफ्ते रिलीज हो रही है। बाक्स आफिस पर वह फिल्म क्या कमाएगी इसके बारे मे कोई नहीं जानता लेकिन मै तुम्हारी फिल्म हिट करवा सकता हूँ। …बड़े अब्बू , मै आपका गुलाम हूँ। आप जैसा चाहेंगें वैसा होगा। बस आप मुंबई के अन्दर फिल्म रिलीज करने मे मेरी मदद कर दिजिये। …वह तो मै कर दूँगा लेकिन अगले हफ्ते तक सौ करोड़ का इंतजाम करना है। …बड़े अब्बू, मै इतने पैसे के इंतजाम कैसे करुँगा? कमाल कुरैशी ने हवा मे हाथ लहराते हुए कहा… जौहर की पिछली फिल्म की कमाई की रकम अभी भी बकाया है। उसके पास जाकर पचास करोड़ ले लेना। मैने उसको कह दूँगा। बीस करोड़ का इंतजाम तुमको करना है। बाकी तीस करोड़ का इंतजाम करके मै तुम्हारे पास भिजवा दूँगा। यह सौ करोड़ केरला मे आमिर खान के पास पहुँचाना है। बेचारा फरहान जमीन पर माथा टिका कर खुदा का शुक्रिया करते हुए कमाल कुरैशी के कदमो को चूम कर बाहर निकल गया।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

साउथ ब्लाक मे राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपातकालिक बैठक चल रही थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत सुब्रामन्यम की अध्यक्षता मे अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के सदस्यों के साथ रा के निदेशक गोपीनाथ की मीटिंग शुरु हुई थी। अजीत सुब्रामन्यम ने सब पर एक नजर डाल कर कहा… गोपीनाथ, तुम्हारा प्रस्ताव हमारे सामने आया है। उस पर कोई भी निर्णय लेने से पूर्व हम जानना चाहते है कि क्या हम अपनी विदेश नीति को बदलने की सोच रहे है? गोपीनाथ इस सवाल को सुन कर गड़बड़ा गया था। वह कोई जवाब देता उससे पहले वीके ने पूछा… आज तक हमारी नीति आतंकवादियों और उनकी तंजीमो के लिये बड़ी साफ रही थी कि हम उनसे कोई बात नहीं करेंगें और न ही कोई परोक्ष व अपरोक्षक संबन्ध रखेंगें। इस प्रस्ताव मे तुम हमे उनके साथ काम करने का सुझाव दे रहे हो। यह कैसे मुम्किन है? तभी विदेश सचिव तुरन्त बोले… दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। गोपीनाथ शायद इसीलिये इसकी वकालत कर रहे है। अबकी बार जनरल रंधावा ने टोकते हुए कहा… क्या हमारी विदेश नीति मे कोई बदलाव हो गया है। एकाएक सबके मुख पर ताला पड़ गया था। गृह सचिव ने मोर्चा संभालते हुए कहा… नीति बदलने की बात नहीं है। अपनी जान और माल की रक्षा के लिये हमे तालिबान के साथ काम करना ही पड़ेगा। अमरीका आज नहीं तो कल वहाँ से जाएगा तब तो उनके बाद परोक्ष अथवा अपरोक्ष रुप मे तालिबान के हाथ मे वहाँ की सत्ता होगी तो उस वक्त क्या हमे तालिबान से बात नहीं करनी पड़ेगी?

अजीत अपने विचार रखते हुए बोले… गोपीनाथ, एक बात तो तय है कि हम परोक्ष रुप से तालिबान के साथ खड़े नहीं हो सकते। ऐसी हालत मे रा के किसी अधिकारी को इस काम पर क्यों नहीं लगाते? गोपीनाथ तुरन्त बोला… अजीत सर, आप ठीक कह रहे है लेकिन हमारे पास ऐसा कोई आदमी नहीं है जो कूट्नीति और राजनीति के साथ सैन्य नीति मे भी उतनी कुशलता रखता है। इसलिये हम यह निवेदन आपसे कर रहे है। अजीत ने कुछ सोचते हुए कहा… कर्नल श्रीनिवास से बेहतर कोई और विकल्प मुझे नहीं सूझता क्योंकि वह सैनिक पहले है और दूतावास मे होने के कारण कूटनीति कि समझ भी रखता है। वह सभी मुख्य लोगो को जानता और पहचानता है इसलिये वह इस कार्य को बखूबी निभा सकता है। इतना बोल कर अजीत चुप हो गये थे। गोपीनाथ के चेहरे पर परेशानी की लकीरें खिंच गयी थी। तभी वीके ने कहा… गोपीनाथ, एक बात की ओर अभी तक आपका ध्यान ही नहीं गया है कि ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट को पहले अमरीका की सहमति की जरुरत है क्योंकि उसको अमरीका की फौज और सीआईए के साथ भी काम करना पड़ेगा। एक तरीके से विदेश मंत्रालय के साथ रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय भी इस प्रस्ताव के साथ सीधे जुड़ गये है। चुंकि यह नीतिगत फैसला है तो इसके लिये केबीनेट की मंजूरी अनिवार्य है। यह भी तभी मुम्किन है कि जब तुम्हारा प्रस्ताव केबिनेट की राय लेने के लिये उनके सामने रखा जाये। गोपीनाथ ने जल्दी से बला टालने के लिये कहा… वीके आप ठीक कह रहे है। पहले इस प्रस्ताव को केबीनेट के सामने रख कर उनकी राय ले लेते है। तभी जनरल रंधावा मुस्कुरा कर बोले… गोपीनाथ, अगर तुम्हारे प्रस्ताव को केबीनेट के सामने रखा तो इसकी गोपनीयता की गारन्टी कौन लेगा। जहाँ तक मैने तुम्हारे प्रस्ताव को देखा है तो मुझे नहीं लगता कि तुम इसकी जानकारी पाकिस्तान को देना चाहोगे। इस तर्क को सुन कर गोपीनाथ निरुत्तर हो गया था।

 

भारतीय दूतावास, काबुल

मिलीट्री अटाचे श्रीनिवास बेहद तनाव मे दिल्ली मे रा के निदेशक गोपीनाथ से हाटलाइन पर बात कर रहा था। …सर, बुरी खबर है। तेहरीक के गुल ने खबर दी है कि आईएसआई का जनरल फैज भारत मे कोई बहुत घातक योजना को कार्यान्वित करने की फिराक मे है। उस आप्रेशन का नाम गज्वा-ए-हिन्द है। दक्षिण भारत मे जिहाद काउन्सिल की चरमपंथी तंजीमे मिल कर तेहरीक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान की स्थापना कर रही है। उनका मकसद साफ है कि तेहरीक और तालिबान से भारत के रिश्ते बिगड़ने से अफगानिस्तान मे भारत की उपस्थिति कमजोर पड़ जाएगी। …क्या मतलब? …सर, जैश और लश्कर के लोग भारत मे तेहरीक-ए-तालिबान हिन्दुस्तान के नाम से विस्फोट और दंगा फसाद करके उनको अमरीका और दुनिया के सामने बदनाम कर देंगें।

…इसका गज्वा-ए-हिन्द से क्या वास्ता श्रीनिवास? …सर, इसका कोई खास मतलब नहीं है। यह जमात-ए-इस्लामी की विचारधारा है जिसको आईएसआई तेहरीक और तालिबान से जोड़ने की कोशिश कर रही है। उनका मत है कि इस विचारधारा की मुस्लिम राष्ट्रों के युवाओं मे काफी अच्छी पकड़ है। खबर मिली है कि आखुन्डजादा पिछले महीने सिरीया मे अबु अडनानी से मिला था। गज्वा-ए-हिंद के लिये उसने आईसिस की ओर से अखुन्डजादा को समर्थन देने का विश्वास दिलाया है। इस विचारधारा के बल पर आईएसआई पैसों व जिहादियों को एक छत के नीचे एकत्रित करने की स्थिति मे आ जाएगी। …श्रीनिवास यह तो बहुत बुरी खबर है। …यस सर। इस बदलते माहौल के कारण यूएस एडमिनिस्ट्रेशन भी असमंजस की स्थिति मे आ गया है। गनी और मेहसूद पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। …ठीक है, स्थिति पर नजर बनाये रखना। मै अभी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को इसकी खबर देने जा रहा हूँ। इतनी बात करके गोपीनाथ ने फोन काट दिया था। वह कुछ देर बैठ कर इसके बारे मे सोचता रहा और फिर अपना फोन उठा कर एक नम्बर मिला कर बोला… अजीत एक बुरी खबर है। फौरन मिलना है। बस इतना बोल कर उसने फोन काट दिया और उठ कर कमरे से बाहर निकलते हुए अपने सचिव से बोला… कुछ देर के लिये बाहर जा रहा हूँ। वह वहाँ से निकल गया था।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

तिगड़ी के सामने आज मेरी पेशी थी। उस दिन मीटिंग को छोड़ कर जब बाहर निकला तब तो किसी ने मुझे रोकने की कोशिश नहीं की थी परन्तु शाम को अजीत सर मेरे पास आकर समझाते हुए बोले… समीर, हम तुम्हारी मनोस्थिति जानते है। पोस्ट ट्रामा से तुम अभी बाहर निकले ही थे कि यह घटना हो गयी। तुम कुछ दिन आराम करके वापिस आफिस जोइन कर लेना। इतना बोल वह वापिस चले गये थे। मै उसी दिन काठमांडू के लिये निकल गया था। वहाँ पहुँच कर पता चला कि अंजली अपने साथ दोनो बच्चों को लेकर चली गयी थी। उसने कारोबार संभालने के लिये ढाका से आरफा को काठमांडू बुला लिया था। फिलहाल अब वही सारा कारोबार संभाल रही थी। तीन दिन बिता कर मै पिछली रात को वापिस लौटा था। वहाँ से चलने से पहले मै एक निर्णय ले चुका था। आज मै उन तीनो के सामने बैठा हुआ अपने नये ब्लू प्रिन्ट की रुपरेखा को बताने के लिये तैयार था।

वीके ने कहा… मेजर, उरी का एक्शन प्लान तैयार हो गया है। सेना ने सर्जिकल स्ट्राईक का प्रस्ताव दिया है। इसके बारे मे तुम क्या सुझाव दे सकते हो? …सर, हमारे पास कुपवाड़ा से लेकर कठुआ तक के कुछ महत्वपूर्ण लान्चिंग पैड्स की जानकारी है। जनरल रंधावा के पास उन सभी स्थानो के जीपीएस कुर्डिनेट्स है। अगर हम दुश्मन की सीमा मे घुस कर उनके लान्चिंग पैड्स को ध्वस्त करने मे कामयाब हो गये तो फिर सभी तंजीमे उधर से घुसपैठ करने से पहले सौ बार सोचेंगीं। अजीत सर ने मेरी ओर देख कर कहा… समीर क्या तुम उनके कुछ महत्वपूर्ण लाँचिंग पैड की निशानदेही कर सकते हो? …जी सर। लेकिन इसके लिये मुझे कुछ दिनों के लिये कश्मीर जाना पड़ेगा। सारी घुसपैठ सर्दिया आरंभ होने से पहले अन्यथा बर्फ पिघलने के बाद होती है। इस वक्त मुझे नहीं लगता कि लांचिंग पेड्स पर कोई होगा परन्तु मै एक बार सेटेलाइट्स की तस्वीरों और वहाँ की असलियत अपनी आँखों से देखना चाहता हूँ। अगर हमारे सैनिक सीमा पार जाएँगें तो प्रवेश करने से पहले उनके पास एक पुख्ता निकासी प्लान होना चाहिये। अगर इसी काम को अंजाम देना है तो हमे उस समय इस आप्रेशन को लाँच करना चाहिये जब वहाँ पर भारी तादाद मे जिहादी उपस्थित होने चाहिये। जब उनका नुकसान ज्यादा होगा और तभी उसका उन तंजीमो पर कोई असर पड़ेगा। वीके ने पूछा… तुम्हारे अनुसार आप्रेशन कब लाँच करना चाहिये? …आज से तीन महीने बाद जब बर्फ पिघल रही होगी।

 

बीजिंग

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलिटब्युरो की मीटिंग चल रही थी। चीन को अगले पचास वर्ष मे दुनिया की महाशक्ति बनाने के ब्लू प्रिंट पर चर्चा चल रही थी। पार्टी के वरिष्ठ मेम्बर एक-एक करके अपने विचार सबके सामने रख रहे थे। चीन के राष्ट्र्पति जियाँग इस मीटिंग की अध्य्क्षता कर रहे थे। अचानक राष्ट्रपति जियाँग ने हस्तक्षेप करके कहा… उस वन बेल्ट एन्ड वन रोड परियोजना  का ब्लू प्रिंट मैने तैयार किया है। यह परियोजना आगे चल कर चीन की विदेश नीति की सबसे बड़ी उप्लब्धि बनेगी। इसको सड़क परियोजना समझने की भूल मत किजियेगा क्योंकि यह दुनिया के 50 छोटे और बड़े राष्ट्रों को चीन से जोड़गी। इसका मुख्य उद्देश्य अमरीका को अंतरराष्ट्रीय तौर पर विस्थापित करके चीन को एक महाशक्ति के रुप मे स्थापित करने का है। इस मुहिम को सफल बनाने के लिये बहुत से छोटे और बड़े ऐशियाई देशों ने हामी भर दी है। इतना बोल कर राष्ट्रपति जियाँग कुछ क्षण के लिये चुप हुए कि तभी तालियों की गड़गड़ाहट से हाल गूँज उठा था।

मीटिंग समाप्त होने के बाद राष्ट्रपति जियाँग अपने खास सलाहकार विदेश मंत्री वाँग क्यु के साथ हाल से बाहर निकलते हुए बोले… कुछ पार्टी के सदस्य हमारी इस परियोजना पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है। तुम्हारा इस विषय पर क्या कहना है? …इस परियोजना के समर्थन मे बहुत से छोटे एशियाई देशों को तो तैयार किया जा सकता है परन्तु इस पर भारत का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। …वाँग इस बारे मे पाकिस्तान का क्या रुख है? …सर, पाकिस्तान का रुख सिर्फ पूँजी निवेश पर निर्भर करता है। शरीफ सरकार को आपकी काशगर-ग्वादर सड़क परियोजना बेहद पसंद आयी है। …यह परियोजना तो उनको पसंद आनी ही थी। वाँग हमारे वहाँ पर होने के कारण शरीफ सरकार को लगता है कि अब आजाद कश्मीर उनके लिये और भी ज्यादा सुरक्षित हो गया है। …सर, शरीफ सरकार भले ही ऐसा समझ रही होगी परन्तु भारत का रक्षा एस्टेब्लिशमेन्ट को कुछ हद तक हमारी सामरिक योजना का आभास हो गया है। अगली शंघाई वार्ता तक भारत का रुख भी साफ हो जाएगा। कार मे बैठते हुए राष्ट्र्पति जियाँग ने वाँग क्यू से कहा… हमारे मंसूबों को पूरा करने मे कासगर-ग्वादर सड़क परियोजना सामरिक दृष्टि से भारत के बढ़ते हुए कद पर अंकुश लगाने का काम करेगी। इसलिये तुम्हें सावधानी से आगे का काम करना पड़ेगा।

 

साउथ ब्लाक, नई दिल्ली

प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर निकलते हुए वीके ने अजीत से कहा… प्रधानमंत्रीजी ने तुम्हारे सुझाव को अनुमति दे दी है। तुम्हारी त्रिकोणीय स्ट्रेटेजी के अनुसार विदेश मंत्रालय अगले कुछ दिनो मे सभी मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों से इस मसले पर चर्चा करके अपना पक्ष उनके सामने रखेंगें। रक्षा मंत्री तीनो सेना के शीर्ष नेतृत्व की आपातकालिक बैठक बुला कर इस स्थिति से निबटने के लिये एक ब्लू प्रिंट तैयार करेंगें। गृह मंत्री को आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गयी है। अजीत, तुमको इन तीनो के बीच समन्वय बिठाने का काम सौंपा गया है। …वीके यह सब तो ठीक है लेकिन इसमे मुझे एक कमी महसूस हो रही है। मैने जब यह पदभार संभाला था तभी मैने सोच लिया था कि अबसे हर लड़ाई दुश्मन के क्षेत्र मे लड़ी जाएगी। इसी स्ट्रेटजी को हमने काउन्टर आफेन्सिव या डिफेन्सिव आफेन्स का नाम दिया था। इस स्ट्रेटेजी का सफल परिणाम हमने कश्मीर आप्रेशन्स और आप्रेशन खंजर की विफलता मे देख लिया था। तभी साथ चलते हुए जनरल रंधावा ने कहा… जब यह तय हो गया है कि उरी का जवाब सर्जिकल स्ट्राईक से दिया जाएगा तो इस त्रिकोणीय स्ट्रेटजी को धार देने के लिये क्या समीर को आप्रेशन अज्ञातवीर के लिये ग्रीन सिगनल दे देना चाहिये? वीके और अजीत ने चलते हुए अपना सिर हिला कर जनरल रंधावा की बात का अनुमोदन कर दिया था।

वीके के आफिस मे बैठ कर तीनो आप्रेशन अज्ञातवीर के हर पहलू की समीक्षा कर रहे थे। एकाएक अजीत ने कहा… समीर को फील्ड मे अगर इस समय भेज दिया जाये तो उसका हम सर्जिकल स्ट्राईक मे भी उपयोग कर सकते है। जनरल रंधावा तुरन्त बोले… क्या अहमक जैसी बात कर रहा है अजीत। सर्जिकल स्ट्राईक के दौरान उसको हमारे साथ कमांड सेन्टर मे होना चाहिये। उसको उन चयनित लाँचिन्ग पैड्स की सारी जानकारी है। वीके ने उनकी बात काटते हुए कहा… मेजर को इस बार सीमा पार भेजने से पहले हमे उसके साथ हमेशा के लिये संबन्ध विच्छेद करना अनिवार्य है। क्या वह इसके लिये तैयार हो जाएगा? …वीके, यह उसका आप्रेशन है। उसने अपनी तीन शर्तों मे इस मसले को भी साफ तरह से रखा है। …अजीत, उसने तेरे सामने कौनसी तीन शर्तें रखी थी? …निर्णय लेने की पूर्ण स्वतंत्रता, खास मकसद के लिये छह सैनिकों की टीम और हमेशा के लिये हमसे संबन्ध विच्छेद चाहिये। पहले दो के लिये मै तैयार हो गया था परन्तु तीसरी शर्त के लिये मैने उस मना कर दिया था। उसकी बातों से मुझे ऐसा लगा कि वह कुछ और ही मकसद लेकर सीमा पार करने की सोच रहा है। …अजीत, हमें उससे संबन्ध विच्छेद करना अनिवार्य है क्योंकि वह वहाँ हक डाक्ट्रीन को अक्षरक्ष: कार्यान्वित करने जा रहा है। हम उससे दूरी बनानी पड़ेगी क्योंकि वह आज नहीं तो कल जरुर उनकी सुरक्षा एजेन्सियों की नजरों मे आ जाएगा। हम इतना बड़ी जोखिम नहीं ले सकते। …वीके क्या हम उसे वहाँ भेज कर उसका परित्याग कर सकते है? …दुनिया की नजर मे तो परोक्ष रुप से हमे यह करना पड़ेगा लेकिन अपरोक्ष तरीके से हम उसकी मदद मे सदैव खड़े रहेंगें। …यही तो मैने भी उसे समझाया था परन्तु वह इसके लिये भी तैयार नहीं है।

हमेशा की तरह दोपहर के बाद मै तिगड़ी के सामने बैठा हुआ था। अजीत सर ने कहा… समीर, आप्रेशन अज्ञातवीर लाँच करने का ग्रीन सिगनल मिल गया है। अजीत सर सारी बात सामने रख कर बोले… संबन्ध विच्छेद के मुद्दे पर हमारे बीच मतभेद है। जनरल रंधावा ने कुछ सोच कर कहा… वीके, मै अजीत की बात से सहमत हूँ। हमे यह नहीं भूलना चाहिये कि समीर को हम ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट के रुप मे अमरीकनो के आगे रख सकते है। समीर को सीआईए के साथ काम करना पड़ेगा तो उसके लिये औपचारिक नियुक्ति अनिवार्य है। अजीत सर एकाएक बोले… हम एक काम कर सकते है। कर्नल श्रीनिवास को हम अधिकारिक तौर पर ब्रिगेडियर चीमा के रिप्लेसमेन्ट के तौर पर नियुक्त कर सकते है परन्तु अमरीकनों के साथ सिर्फ अपना सरदार संपर्क मे रहेगा। हम उनसे साफ कह सकते है सुरक्षा और गोपनीयता के लिये ब्रिगेडियर सुरिंदर सिंह चीमा के स्थान पर मेजर जनरल हरदीप सिंह रंधावा सारे आप्रेशन को संभालेगा। सरदार अपने जरिये तू अपने पुत्तर समीर को जरुरत पड़ने पर निर्देश भी दे सकेगा और मदद भी उप्लब्ध कराएगा। इसके बारे मे तुम तीनो की क्या राय है? एक बार फिर वही चर्चा का दौर आरंभ हो गया था। आखिर मे सभी ने अजीत सर के सुझाव का अनुमोदन कर दिया था।

अपने फ्लैट पर लौटते हुए मै अपने अगले कदम के बारे मे सोच रहा था। आप्रेशन आज्ञातवीर को ग्रीन सिगनल मिल गया था। जनरल रंधावा के अनुसार अगले एक हफ्ते मे वह छ्ह सैनिकों की टीम उनके पास रिपोर्ट करगी और हमारे कागज तैयार हो जाएँगें। इसका मतलब यही हुआ कि एक हफ्ते के बाद एक बार फिर से मै सीमा पार करुँगा। मेरी जेब मे पड़ा फोन थरथराया तो मैने फोन निकाल कर देखा तो दो नये मेसेज फ्लैश कर रहे थे। मैने जल्दी से मेसेज बाक्स खोल कर देखा तो उर्दू मे लिखा था…

दोजख मे आपको बहुत मिस करती हूँ।  मैने दूसरा मेसेज क्लिक किया तो दूसरा मेसेज देख कर मेरा दिमाग घूम गया… यह हम मियाँ-बीवी की निजि बातचीत है। इसका सिर्फ खुदा गवाह हो सकता है। इसे राज रखना आपकी और मेरी जिम्मेदारी है। आपको मेरी कसम।

मेरा दिमाग एक पल के लिये चकरा गया था। पता नहीं अब वह कौनसी नयी साजिश रच रही है? मै दोनो बच्चों को लेकर वैसे ही काफी विचलित था परन्तु अब यह नया तीर पता नहीं क्या गुल खिलायेगा। तभी एक बार फिर मेरा फोन वाईब्रेटिंग मोड मे थरथराया और एक नया मेसेज फ्लैश होने लगा। मैने जल्दी से उसको क्लिक किया…

जोरावर बाटामालू का पता चल गया है। वह मुजफराबाद मे पीर साहब के संरक्षण मे है। आपकी जिंदगी मे अदा की अहमियत मै जानती हूँ। खुदा ने चाहा तो अदा अब जल्दी मिल जाएगी। मेरा वादा है कि अदा को अपने साथ लेकर ही अब वापिस आऊँगी।

मेरी नजर डिस्प्ले स्क्रीन पर काफी देर तक टिकी रही थी। बार-बार तीनो मेसेज पढ़ रहा था कि तभी थापा की आवाज मेरे कान मे पड़ी… सर, घर पहुँच गये है।

मैने फोन बन्द किया और जीप से उतर कर फ्लैट की ओर चल दिया।

1 टिप्पणी:

  1. मध्यांतर के साथ फिर से बहुत सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं और लगता है की कोई छुपा हुआ किरदार है जो अभी समीर के साथ यह शतरंज की बाजी जितने सामने आएगा क्यों की जितना अभी तक देखा गया है समीर हर कोई चल को आसानी से भेदता गया है तो इस बार बराबरी के टक्कर देखने को मिलेंगे।

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