मित्रों वैसे तो हमेशा रविवार को मैने अप्डेट देता था परन्तु इस बार मै एक अतिरिक्त अध्याय आपके लिये डाल रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि आपको यह कहानी पसन्द आ रही होगी। अगर आपको कहानी मे कोई विसंगति नजर आये तो कृपया उसको जरुर बताने कष्ट करें। धन्यवाद।
काफ़िर-6
…आओ समीर, तुम्हें तुम्हारें परिवार से मिलवाती
हूँ। मै उनके साथ जा कर बैठ गया। …यह तेरे दादाजी है। डाक्टर ईश्वर प्रसाद कौल एक नामी
डाक्टर थे। वह फोटो पुरानी थी लेकिन फिर भी साफ ब्लैक एन्ड व्हाईट प्रिंट था। …यह तेरे
पिताजी रवि कौल है। जब फोटो तब की है जब वह श्रीनगर मेडिकल कालेज मे पढ़ते थे। देख तेरी
शक्ल भाई से कितनी मिलती है। फोटो मे पहली बार अपने पिता की शक्ल देख कर मै भी हैरान
था। हमारे चेहरे की बनावट और नयन नक्श एक जैसे थे बस फर्क इतना था कि वह क्लीन शेव
थे और मेरा चेहरा मूँछ-दाड़ी से सुसज्जित था। वह बचपन की तस्वीरें दिखाती हुई कुछ घटना
का जिक्र करते हुए रोती जा रही थी और मै उन्हें चुप कराते हुए सवाल पर सवाल पूछ रहा
था। एक फोटो दिखाते हुए बोली… इसको पहचानो। वह एक लड़की तस्वीर थी। …यह कौन है? …यह
तेरी माँ है। शादी से पहले की तस्वीर है। मैने एक बार फिर से फोटो को ध्यान से देखा
तो मुझे लगा कि जिस औरत को मैने इतने साल अर्धविक्षिप्त हालत मे देखा था वह ऐसी तो
हर्गिज नहीं हो सकती थी। इस लड़की के चेहरे पर तो खुशी और यौवन का नटखटपन झलक रहा था।
…बुआ आप इन्हें पहले से जानती थी? …हाँ, हम
बचपन से एक दूसरे को जानते थे। यह पाटन मे रहती थी। अपनी बचपन की कहानी सुनाते हुए
एक नयी फोटो मेरे आगे करते हुए कहा… यह उनकी शादी की फोटो है। मै हैरत मे उस औरत को
एक नये स्वरुप मे देख रहा था। वह कश्मीरी दुल्हन के जोड़े मे सजी
संवरी छुईमुई सी बेड पर बैठी हुई थी। मैने जल्दी से अगली फोटो देखी तो मेरे पिताजी
और माँ कोई पूजा कर रहे थे। …यह हमारा घर है जब वह विदा हो कर आयी थी। मेरी नजर एक
चेहरे पर पड़ी तो मैने तुरन्त कहा… बुआ यह आप है। …हाँ। …आप बुआ तब भी बहुत सुन्दर थी।
…तेरी माँ से ज्यादा नहीं। पिताजी अक्सर मेनका को मुझसे ज्यादा सुन्दर बताते थे परन्तु
रवि भैया के लिए मुझसे ज्यादा सुन्दर और कोई नहीं था। यह बोलते हुए उनकी आँखें फिर
से बहने लगी थी। …बुआ, मैने अपनी माँ का यह रुप देखा ही नहीं
था। मैने तो हमेशा उन्हें अर्धविक्षिप्त हालत मे ही देखा था। वह किसी सोच मे डूबी रहती
थी। पहली बार मुझे वह औरत मेरी बेबस माँ के रुप मे दिख रही थी। …बुआ आज तक मै अपनी
माँ को एक पागल औरत मानता था। मेरी आँखों से आँसुओं की झड़ी लग गयी थी। देर रात तक बुआ
मुझे मेरे परिवार से अवगत कराती रही थी।
अगली सुबह बुआ ने मुझे उठाया… समीर मै अस्पताल
जा रही हूँ। मैने खाना बना दिया है। शाम को मिलेंगें। बस इतना बोल कर वह चली गयी थी।
मै आराम से उठा और तैयार होकर खाना खाने बैठ गया। श्रीनगर से चले हुए मुझे दस दिन हो
गये थे। अम्मी, अदा और आलिया की याद आ रही थी। मैने फोन उठाया और अपने घर नम्बर का
नम्बर मिला ही रहा था कि तभी एलिस अपने कमरे से बाहर निकली और मुझे सोफे पर बैठे हुए
देख कर चौंक गयी थी। मेरी नजर उस पर पड़ी तो मै भी चौंक गया क्योंकि वह अर्धनग्न हालत
मे थी। उपर एक छोटी सी बिना बाजु की टी-शर्ट और नीचे बाक्सर शार्ट पहने हुए थी। …ओह
आई एम सौरी। कहते हुए वह वापिस जाने के लिए मुड़ी तो मैने उठते हुए कहा… मुझे माफी मांगनी
चाहिए क्योंकि मैने आपकी रोजमर्रा जिन्दगी मे खलल डाल दिया है। यह बोल कर मै उठ गया
तो उसने हाथ के इशारे से मुझे बैठने का संकेत किया और फ्रिज की ओर चली गयी। वह पानी
की बोतल निकाल कर पानी पीते हुए मेरे सामने बैठते हुए बोली… तुमने क्या नाम बताया था?
…समीर। …समीर, मै तुम्हारे बारे मे बिल्कुल भूल गयी थी। …आप अस्पताल नहीं गयी? …मेरी
आज नाईट ड्युटी है। शाम को सात बजे जाऊँगी। मेरी नजर बार-बार बाहर टी-शर्ट से बाहर
झाँकती हुई उन्नत गोलाईयों की ओर जा रही थी। जब भी वह मेरी ओर देखती तो मै झेंप कर
मेज की ओर देखते हुए जवाब देने लगता था। …समीर। वह बोल कर अचानक अपनी जगह से उठी और
अपने कमरे की ओर चल दी। मेरी नजरे उसके थिरकते हुए सुडौल नितंबों पर जम गयी थी। वह
अचानक रुक कर मुड़ कर मुझे छेड़ते हुए बोली… मै सेक्सी लग रही हूँ न? एक फ्लाईंग किस
मेरी ओर उछाल कर वह अपने कमरे मे चली गयी थी। उसकी इस बेबाक हरकत से मेरी धड़कन बढ़ गयी
थी। मै जल्दी से उठा और बुआ के कमरे मे चला गया और फिर शाम तक अपने कमरे से बाहर नहीं
निकला था।
शाम को अस्पताल से बुआ आते ही बोली… समीर,
आज सिद्धिविनायक मंदिर चलते है। तुम्हारे हाथ से आज भैया और भाभी के नाम से पूजा करवानी
है। कुछ ही देर मे हम मंदिर की ओर जा रहे थे। …समीर पहले कभी मंदिर गये हो? …बस एक
बार जब माँ के लिए पूजा करनी थी। …तो क्या मकबूल बट ने मेनका का हिन्दू
रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करवाया था? …नहीं, उनका सारा काम तो अम्मी ने करवाया
था। कुछ सोच कर बुआ ने कहा… समीर, अगर तुम्हें कोई हिचक हो तो मै पूजा करवा दूँगी।
मै समझ सकती हूँ कि अब तक तुम जिस माहौल मे रहे हो उधर इन कामों को गलत माना जाता है।
…नहीं बुआ। मेरी अम्मी कहती है इबादत का तरीका अलग हो सकता है परन्तु भावना तो सभी
की एक होती है। …आसिया और आफशाँ के क्या हाल है? …आजकल दोनो बैंगलौर मे पढ़ रही है।
…यह दोनो लड़कियाँ अपनी अम्मी से ज्यादा हमारे पास रहा करती थी। हम ऐसे ही पुरानी भूली
बिसरी यादों की बात करते हुए मंदिर पहुँच गये थे।
इतने बड़े मंदिर मे जाने का मेरे लिए यह पहला
अवसर था। बुआ ने मेरे हाथों से मेरी मां और पिताजी के नाम से पूजा करवायी और गँणेशजी
की महत्वता के बारे समझाते हुए बोली… यहाँ से तुम आज अपने हिन्दू जीवन
का भी आरंभ कर रहे हो। मेरी बात का गलत अर्थ मत निकालना कि ऐसा करने से तुम्हारे मुस्लिम
धर्म का अंत हो गया है। तुम नमाज भी पढ़ो और मंदिर मे पूजा अर्चना भी करो। इसमे मुझे
कोई आपत्ति नहीं है। मै और बुआ कुछ देर मुंबई महानगर की रात के
नजारे लेने के बाद रेस्त्रां मे खाना कर घर लौट गये थे। फ्लैट मे पहुँच कर मैने कहा…
बुआ क्या मै श्रीनगर फोन करके बता दूँ कि मैने आपको आखिरकार ढूँढ लिया है। …हाँ क्यों
नहीं। मै भी शमा भाभी को शुक्रिया कहना चाहूँगी। मैने फोन उठाकर घर का नम्बर मिलाया
तो कुछ देर घन्टी बजने के बाद अम्मी की चिरपरिचित आवाज मेरे कानों मे पड़ी… हैलो। …अम्मी,
मै समीर बोल रहा हूँ। आदाब। …समीर कैसे हो। आज कितने दिन बाद फोन किया। बेटा दिन मे
एक बार फोन जरुर कर लिया कर। हर दम तेरी चिन्ता लगी रहती है।
…अम्मी, फूफी आखिरकार मिल गयी। जरा उनसे बात कीजिए। पास खड़ी बुआ
की ओर मैने फोन बढ़ा दिया। …हैलो भाभी। कैसी है आप। दोनो काफी देर बात करती रही तो मै
अपने कपड़े बदलने चला गया और जब लौट कर आया तब बुआ ने फोन मेरी ओर बढ़ा दिया था।
…समीर तेरा बारहवीं का नतीजा निकल आया है। अदा और तुमने हमारा नाम रौशन कर दिया।
…अम्मी क्या फौज से कोई चिठ्ठी आयी है? …नहीं बेटा। …अम्मी आप यहाँ का पता और फोन नम्बर
लिख लिजिए। जैसे ही कोई चिठ्ठी वहाँ से आये तो फौरन मुझे खबर कर दीजिएगा।
…अपना ख्याल रखना और रोज एक बार तो जरुर फोन कर लेना। समीर अगर
पैसे कम पड़ जाए तो बेझिझक होकर खबर कर देना। …अम्मी, अपना ख्याल रखिएगा और अदा और आलिया
को मेरा प्यार कह दीजिएगा। अच्छा खुदा हाफिज। इतनी बात करके मैने
फोन काट दिया था। अम्मी से बात करके एक बार फिर से बुआ काफी भावुक हो गयी थी। हम दोनो
एक बार फिर से एल्बम लेकर बात करने मे व्यस्त हो गये थे।
हमारे दिन युंहि निकल रहे थे। रोज सुबह बुआ
अस्पताल चली जाती थी। बुआ के जाने के बाद मै कमरे से बाहर नहीं निकलता था। एलिस से
मेरा सामना कभी-कभी हो जाता था तो वह एक कुटिल मुस्कुराहट देकर निकल जाती थी। बुआ के
आने के बाद ही मै बैठक मे जाता था। अगर उस वक्त एलिस से मुलाकात हो जाती तो वह बड़ी
शालीनता से पेश आती थी। मै भी सारा दिन कमरे मे बैठ कर बोर होने लगा था। एक प्रश्न
मुझे परेशान कर रहा था कि बारहवीं के बाद अब आगे क्या करना है? राष्ट्रीय रक्षा अकादमी
की ओर से भी कोई खबर नहीं आ रही थी। मै अपना बैग खोल कर बैठा हुआ था कि मेरी नजर एक
कागज पर पड़ी जिस पर एक पता और फोन नम्बर लिखा था। एक माडलिंग काम के लिए यह नम्बर मुझे
कुरैशी होटल मे जमीर ने दिया था। एक बार मैने सोचा कि शाम को बुआ से बात करके फिर उस
आदमी से मिलने जाऊँगा परन्तु फिर सोचा कि ऐसे ही एक बार उस से मिलने मे क्या बुराई
है। एक बार उसने मुझे चुन लिया तब बुआ से बात करना ठीक रहेगा। यही सोच कर मै जाने के
लिए तैयार होकर जैसे ही बाहर निकला कि तभी एलिस अपने कमरे से तैयार हो कर बाहर निकलती
हुई दिखी।
मुझे देखते ही वह बोली… हैलो हैंडसम कहीं जा
रहे हो? मैने उसकी ओर देखा तो उसने मुस्कुराते हुए आँख मार दी। मैने झेंप कर जल्दी
से कहा… जी। यह बोल कर मै दरवाजे की ओर चल दिया। …अरे रुको। मै अस्पताल जा रही हूँ।
मै तुम्हें छोड़ दूँगी। मै असमंजस मे फँस गया था। एलिस बड़े अधिकार से मेरा हाथ थाम कर
चलते हुए बोली… कहाँ जा रहे थे? मैने वह कागज उसके सामने कर दिया। उसने पता देख कर
कहा… मै तुम्हे एक ऐसी जगह पर छोड़ दूँगी वहाँ से पैदल का रास्ता है। मै चुपचाप उसके
साथ चल दिया। कुछ ही देर मे हम मुंबई शहर की ओर जा रहे थे। वह
कुछ देर चुपचाप कार चलाती रही फिर अचानक अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख कर बोली… समीर क्या
तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेन्ड है? उसकी हरकत से एक पल के लिए मै पथरा गया था। धीरे से
वह मेरी जाँघ सहला कर बोली… तुमने जवाब नहीं दिया। मैने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और
अपने से अलग करते हुए कहा… नहीं। …क्या तुम्हारा मन नहीं करता? मै चुपचाप बैठा रहा
लेकिन उसकी हरकत ने मुझे अन्दर से हिला दिया था। कुछ देर के बाद वह कार धीरे करते हुए
बोली… समीर मेरा अस्पताल सामने है। तुम इधर उतर जाओ। एक दिशा की ओर इशारे से दिखाते
हुए बोली… उस सड़क से सीधे चलते चले जाना। जहाँ सड़क खत्म होगी तुम्हे पोस्ट आफिस दिखेगा।
यह जगह उसी पोस्ट आफिस के पास है। उसको शुक्रिया कह कर मै कार से उतर गया तो वह पीछे
से बोली… तुम यहीं आ जाना। ड्युटी आफ करके साथ चलेंगें।
मैने कोई जवाब नहीं दिया और उस रास्ते की ओर
चल दिया। उसके बताये हुए रास्ते पर चलते हुए मै पोस्ट आफिस तक पहुँच गया था। एक दो
जगह से पता पूछने के बाद आखिरकार मै उस आफिस मे पहुँच गया। कुछ लड़के और लड़कियाँ पहले
से वहाँ पर बैठे हुए थे। सभी प्रार्थी उस आदमी का इंतजार कर रहे थे। मै भी एक किनारे
मे बैठ गया। एक घंटे के बाद एक लड़की केबिन से निकली और आते ही बोली… यह फार्म भर दीजिए।
एक-एक करके आपको बुलाएँगें। सबको फार्म देकर वह वापिस चली गयी थी। सभी को फार्म भरते
हुए देखा तो मैने भी फार्म भरना शुरु कर दिया। बहुत से सवालों
का जवाब मेरे पास नहीं था। जो मुझे समझ मे आया वह मैने भर दिये और कुछ देर के बाद वह
लड़की सारे फार्म इकठ्ठे करके अन्दर चली गयी थी। थोड़ी देर बाद वह फिर बाहर आयी और एक
लड़के के नाम की घोषणा करके उसे अन्दर ले गयी। इसके बाद तो ताँता सा लग गया था। मेरा
नम्बर आते ही मै भी केबिन के अन्दर चला गया। छोटा सा कमरा था और मेज के दूसरी ओर तीन
लोग बैठे हुए थे। …बैठिये मिस्टर समीर। कुछ औपचारिक बातें करने के बाद उन्होंने पूछा…
क्या पहले भी किसी के लिए माडलिंग की है? …नहीं। …आप मे ऐसा क्या है जिसके कारण आपको
लगता है कि आप माडलिंग कर सकते है। मै कुछ बोलता उससे पहले उन्होंने दूसरा सवाल दाग
दिया था। मुझे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। उन्होंने कुछ और चुभते हुए सवाल पूछ कर मुझे
जल्दी ही अल्विदा कह कर वहाँ से रुखसत कर दिया। यह मीटिंग मेरे मनोबल को धरातल पर धकेलने
के लिए काफी थी।
बड़े खिन्न मन से पैदल चलते हुए मै वापिस घर
की ओर जा रहा था कि एलिस न जाने कहाँ से सामने आ गयी… क्यों चेहरा उतरा हुआ है? उसको
देख कर मैने चौंकते हुए पूछा… आप यहाँ कैसे? …किसी बात पर एमस से चिक-चिक हो गयी तो
मैने आज की छुट्टी ले ली है। तुम बताओ तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है? मैने उसे
अपनी पूरी कहानी सुना कर कहा… इस काम के लिए बहुत पक्के दिल वाला आदमी चाहिए वर्ना
यह लोग दस मिनट मे ही आपके मनोबल की धज्जियाँ उड़ा देते है। अचानक बड़ी आत्मीयता से मेरी
कमर मे हाथ डाल कर अपनी ओर खींचते हुए एलिस बोली… चलो आज तुम्हारा मनोबल बढ़ाया जाए।
मै चुपचाप उसके साथ चल दिया। कार मे बैठते ही वह बोली… समीर, यहाँ पर माडलिंग का काम
बड़ी-बड़ी एजेन्सियों के द्वारा होता है। ऐसे बिचौलिये लोग नये लड़के और लड़कियों की प्रोफाईल
इकठ्ठी करके एजेन्सियों को बेच देते है। एजेन्सी को उनमे से कोई पसन्द आ जाता है तो
वह उस व्यक्ति के साथ कुछ साल का अनुबन्ध साईन कर लेते है। उसके बाद उस व्यक्ति को
माडलिंग का काम मिलना आरंभ हो जाता है। शुरु मे जब मै यहाँ आयी थी तो इस लाईन की चमक
देख कर मै भी उसकी ओर आकर्षित हो गयी थी परन्तु कुछ ही दिन मे मुझे समझ मे आ गया था
कि यह असलियत मे हाई-प्रोफाईल वैश्यावृति और ड्र्ग्स का बेहद सुनियोजित क्लोज नेटवर्क
है। मै एलिस की बात बड़े ध्यान से सुन रहा था।
…एलिस हम कहाँ जा रहे है? …देखते जाओ। कुछ
देर के बाद अपनी कार एक आलीशान इमारत के बाहर खड़ी करके बोली… चलो आज तुम्हे कुछ दिखाती
हूँ। मै उसके साथ चल दिया। लोहे के बड़े से गेट के बाहर खड़े हुए दरबान ने हमे रोक दिया
तो एलिस ने उससे कुछ कहा और फिर एक किनारे मे मेरे साथ खड़ी हो गयी थी। कुछ देर के बाद
एक औरत गेट पर आयी और बड़ी गर्मजोशी से एलिस से मिली और फिर हम उसके साथ इमारत के अन्दर
चले गये थे। एक पल के लिए वहाँ का हाल देख कर मै ठिठक कर रुक गया क्योंकि वह जगह तो
बहुत से छोटे-छोटे स्टुडियो का समूह लग रही थी। कहीं कुछ लड़को और लड़कियों का फोटोशूट
चल रहा था और कहीं किसी टीवी सिरियल की शूटिंग चल रही थी। एलिस के साथ चलते हुए हम
स्विमिंग पूल के पास पहुँच गये थे। पूलसाइड पर अर्धनग्न लड़के और लड़कियों का जमावड़ा
लगा हुआ था। एक किनारे मे कैमरे और लाईट की सेटिंग चल रही थी। एलिस ने कहा… आओ मेरे
साथ तुम्हे कुछ और दिखाती हूँ। यह कह वह सिड़ीयों की ओर चल दी थी। पहली मंजिल पर पहुँच
कर उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा… समीर, आज तुम्हें जन्नत की सैर कराने ले जा रही हूँ।
बस चुप रहना। उसने धीरे से कमरे का दरवाजा खोला और दबे पाँव अन्दर चली गयी और उसके
पीछे मै भी हो लिया था। कुछ लोग कैमरे और लाईट को लेकर खड़े हुए थे। बड़े से बिस्तर पर
नग्नावस्था मे एक लड़की और दो लड़के बैठे हुए थे। इसको देख कर मै सांस रोक कर खड़ा हो
गया था।
…एक्शन। एक आवाज कमरे मे गूंजी। वह लड़की बेड
पर लेट गयी और दोनो लड़के अलग-अलग दिशा से रेंगते हुए उसकी ओर बढ़े। तभी एक आवाज गूँजी…
कट। एक बार फिर से सभी आराम से बैठ गये थे। एक आदमी उनके पास चला गया और कुछ निर्देश
देकर वापिस आकर कैमरे के पास खड़ा हो गया। …रेडी…एक्शन। अब एक लड़का लेटी हुई लड़की के
वर्जित क्षेत्र पर सिर टिका कर लेटा हुआ था और दूसरा लड़का उस लड़की के उभारों पर अपना
चेहरा रगड़ रहा था। तभी कैमरा हटने से मेरी नजर उस लड़की के हाथ की ओर चली गयी थी जो
एक लड़के के लिंग को धीरे-धीरे सहला रही थी। वह लड़की धीरे से उसके लिंग की ओर झुकी,
तभी आवाज गूँजी… कट। लड़की ने उसके लिंग पर चपत जड़ते हुए कहा… इसे अगले सीन के लिए तैयार
करो। मुझसे अब वहाँ खड़े रहना मुश्किल हो रहा था। मै धीरे से पीछे हटा और उस कमरे से
बाहर निकल आया। मेरा चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था। …क्या हुआ हैंडसम कुछ और देखना है? एलिस मेरी ओर
आयी और उसने मेरे चेहरे को अपने हाथ मे लेकर मेरे होंठों पर अपने होंठ धीरे से रख दिये।
उसकी जुबान ने धीरे से मेरे सूखे होंठों को गीला किया और फिर मेरे होंठो को खोलने मे
प्रयासरत हो गयी। मेरी बाँहे स्वत: ही उसके इर्द-गिर्द जकड़ गयी थी। उस रात मै अदा को
राह दिखा रहा था परन्तु आज यहाँ एलिस मुझे राह दिखा रही थी। अचानक मुझे एहसास हुआ कि
कुछ लोग हमारे पास से गुजरे तो मैने अचकचा कर उसे छोड़ कर मै उससे दूर खड़ा हो गया।
एलिस ने मुस्कुरा कर कहा… क्या हुआ समीर? मैने
झेंपते हुए कहा… एलिस थैंक्स। क्या वापिस घर चल सकते है। …क्यों इतने मे ही इस ग्लैमर
की दुनिया से मन भर गया। हम साथ चलते हुए बात कर रहे थे। मैने जल्दी से कहा… टाईम हो
रहा है। बुआ आने वाली होगी। बाहर निकल कर एलिस ने कहा… समीर इस बात का अंजली से जिक्र
नहीं करना। बस इतनी बात करके हम घर की ओर वापिस चल दिये थे। मेरे जिस्म अभी भी उत्तेजना
से ओत प्रोत होकर दहक रहा था। एक बार फिर से एलिस का हाथ मेरी जाँघ पर आ गया लेकिन
इस बार मैने उसके हाथ को नहीं हटाया बस उस पर एक नजर डाल कर सड़क पर टिका दी थी। उसके
चेहरे पर आयी हुई मुस्कुराहट से साफ हो गया था कि वह अपने उद्देश्य मे सफल हो गयी थी।
जब तक फ्लैट पर पहुँचे तब तक उसका हाथ मेरी जाँघ से नहीं हटा था। मै जल्दी से अपने
कपड़े बदल कर मुँह धोकर चुपचाप बिस्तर पर बैठ गया था। बुआ के आने के बारे मे सोच कर
अब तक वासना का भूत मेरे सिर से उतर चुका था।
बुआ के आने के बाद रोजमर्रा कि भांति हम एक
बार फिर से अतीत की बातें करने मे व्यस्त हो गये थे। रात को खाना बाहर से मंगा लिया
था। सब काम समाप्त करके जब हम सोने की तैयारी कर रहे थे तो मैने कहा… बुआ मुझे समझ
नहीं आ रहा है कि आगे क्या करना चाहिए। अभी तक मै राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के रिजल्ट
का इंतजार कर रहा था परन्तु कब तक मै ऐसे ही खाली बैठा रहूँगा। …समीर तुम यहाँ के किसी
कालेज मे दाखिला लेकर फिर से फौज के इम्तिहान की तैयारी मे जुट जाओ। मेरी बात मानो
तो फौज का चक्कर छोड़ कर कंप्युटर की लाईन चुन लो। कश्मीरी बच्चों के लिए यहाँ इंजीनियरिंग
कालेज मे कुछ सीटें अलग से रिसर्व है। तुम्हारे नम्बर बहुत अच्छे है तो आसानी से वहाँ
भी दाखिला मिल सकता है। …बुआ, अम्मी ने मुझसे आज तक सिर्फ एक चीज के लिए कहा है। मै
उसको जरुर पूरा करके रहूँगा। …ठीक है। तुम यहाँ के किसी कालेज
मे दाखिला ले लो फिर से कोचिंग क्लासेज जोइन कर लो। बस पैसों की चिन्ता मत करना। मुझे
लगा कि बुआ ने सही कहा है। कालेज मे दाखिला लेकर एक बार फिर से मुझे उस इम्तिहान की
तैयारी आरंभ कर देनी चाहिये।
अगले दिन बुआ के अस्पताल जाने के बाद मै मुंबई के कालेजों की लिस्ट निकालने मे जुट गया। कुछ देर इन्टर्नेट पर
ढूँढने के बाद पता चला कि अभी मुंबई के कालेजों के दाखिले आरंभ
नहीं हुए थे। महाराष्ट्र बोर्ड की परीक्षा के नतीजे आने के बाद ही कालेज मे दाखिले
के आवेदन फार्म मिल सकते थे। इतनी जानकारी लेने के बाद मै तैयार होने चला गया था। नहा
धोकर जैसे ही बाथरुम से बाहर निकला तो दरवाजे पर दस्तक सुन कर
मै दरवाजा खोलने के चल दिया। बाहर एलिस अपने उसी लिबास मे खड़ी हुई थी… हैंडसम क्या
कर रहे थे? मै सिर्फ तौलिया बाँधे उसके सामने खड़ा था। एक नजर मुझ पर डाल कर बोली… ओह
अभी बाथरुम से निकले हो… कहते हुए बड़ी बेबाकी से वह मुझे पीछे
धकेलते हुए अन्दर आ गयी और बिस्तर पर बैठते हुए बोली… समीर आज क्या करने की सोच रहे
हो? मैने उसके हाथ पकड़ कर धीरे से कहा… प्लीज बाहर चलिए। वहाँ बैठ कर बात करते है।
वह उठी और मेरे नग्न सीने पर अपनी उँगली से रेखा खींचती हुई मेरे स्तनाग्र को धीरे
से चूम कर अपनी जुबान से छेड़ते हुए बोली…क्यों? उसकी इस हरकत ने मेरे जिस्म मे एक बार
फिर से आग दहकने लगी थी।
अचानक उसने ऐसी हरकत की जिसके बारे मे कोई
सोच भी नहीं सकता था। एक झटके से उसने मेरा तौलिया खींच कर मुझे पूर्णत: नग्न कर दिया
था। अपना तौलिया छीनने के लिए मै उसकी ओर बढ़ा परन्तु उसकी नजर मेरे सुप्त अवस्था मे
लटकते हुए पौरुष पर टिक गयी थी। मैने तौलिया लेने के बजाय अपने हाथों से उसको ढकते
हुए कहा… प्लीज, आप क्या कर रही है। वह मेरे पास आकर धीरे से बोली… वह फिल्म वाले अगर
इसको देख लेते तो तुरन्त अपनी अगली फिल्म के लिए साइन कर लेते। वह मेरे हाथ को जबरदस्ती
हटाने मे जुट गयी थी। इसी आपाधापी मे हम दोनो बिस्तर पर गिर गये और फिर प्रकृति के
अपने नियम होते है। ना चाहते हुए भी उसके जिस्म के कोमल अंगों के स्पर्श ने मेरे अन्दर
की आग प्रजव्लित कर दी थी। उसके होंठ निरन्तर मेरे चेहरे पर विचर रहे थे। जैसे ही हमारे
होंठों का मिलन हुआ मैने उसे अपने आगोश मे जकड़ लिया था। वह मेरे नीचे दबी मेरे होंठों
का रस सोखने मे जुट गयी थी और उसके सुडौल स्तन मेरे नंगे सीने को घायल कर रहे थे। अब
तक उत्तेजना मे कांपता हुआ मेरा पौरुष उग्र रुप धारण कर चुका
था और उसकी जाँघ पर निरन्तर चोट कर रहा था। मेरे हाथ उसके जिस्म को नांपने मे जुट गये
थे। हम दोनो की साँसे तेज चल रही थी। अचानक वह शांत हो कर बोली… समीर उठो। मुझसे अलग
होने की चेष्टा करने लगी लेकिन मुझ पर तो वासना का भूत छाया हुआ था। …समीर। अबकी बार
वह चिल्लायी तो पल भर मे मेरा सारा जोश ठंडा हो गया। मै उस पर से हट गया और जमीन पर
पड़ा हुआ तौलिया उठाकर लपेटते हुए उसकी ओर देखा तो वह अपनी टी-शर्ट उतार चुकी थी और
बाक्सर शार्ट नीचे सरका रही थी।
…अरे क्या हुआ? उसने मुझे एक बार फिर से तौलिया
लपेटते हुए देखा तो हैरत से मेरी ओर देखने लगी। मैने दरवाजे की इशारा करते हुए कहा…
प्लीज जाओ। द शो इज ओवर। वह कुछ क्षण मेरी ओर देखती रही फिर मेरे पास आकर धीरे से बोली…
समीर, तुम्हें एक औरत को साधने के लिए अभी बहुत कुछ सीखना पड़ेगा। चलो मेरे साथ। उसने
अपने कपड़े उठाये और मेरा हाथ पकड़ कर खींचते हुए मुझे अपने कमरे मे ले गयी। एक पल के
लिए मैने उसे रोकने की कोशिश की परन्तु फिर मै उसके साथ चला गया था। उसने इस बार आराम
से मेरा तौलिया खोला और मुझे धीरे से बिस्तर पर लिटा कर मेरे उपर छा गयी थी। उसकी कार्यप्रणाली
मे तीव्रता नहीं थी परन्तु मै उत्तेजना से ओतप्रोत हो रहा था। एक तरफ उसके होंठ और
हाथ मेरे जिस्म के विभिन्न हिस्सों को छेड़ने मे लगे हुए थे। जब भी मुझ पर उत्तेजना
हावी होने लगती वह मुझसे अलग हो जाती थी। उसकी जुबान किसी नागिन की भांति मेरे कोमल
अंगों पर लगातार चोट कर रही थी। वह सरकते हुए नीचे की ओर अग्रसर हुई और उत्तेजना मे
झूमते हुए मेरे पौरुष के पास पहुँच कर रुक गयी। उसने अपनी उँगलियों से धीरे से नीचे
लटके हुए अंडकोश को सहलाया जिसका सीधा असर मेरे पौरुष के सबसे संवेदनशील स्थान पर मैने
महसूस किया था। उसे सारी क्रिया करते हुए आधे घंटे से ज्यादा हो गया था परन्तु उसने
एक बार भी मेरे पौरुष को उंगलियों से छुआ नहीं था। अब तक उसके होंठ और जुबान लगातार
मेरे पौरुष के आसपास छाये हुए थे। उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचा कर वह अचानक वहाँ
से हट जाती जिसके कारण मेरे जिस्म मे उमड़ता हुआ उफान कम हो जाता था।
काफी देर तक एक नागिन की भाँति वह मेरे जिस्म
पर छायी रही थी। अबकी बार उसकी पतली उँगलियाँ मेरे उत्तेजित पौरुष की गरदन पर जकड़ गयी
और उसने धीरे से अपने होंठ खोल कर सिरे पर टिकाते हुए दबाव बनाया और उसके होंठ खुलते
चले गये और मेरा कामांग उसके मुख मे समाता चला गया। मै हैरानी से देख रहा था कि वह
मेरे अंग को लगातार अपने गले मे उतारती चली गयी थी। एक जगह पहुँच कर वह रुक गयी। उत्तेजना
मे मेरी आँखें मुंद गयी थी। अचानक मैने महसूस किया कोई कोमल चीज मेरे पौरुष के सिर
को जकड़ कर उसका रस सोखने मे लगी हुई है। एकाएक मेरे संवेदनशील स्नायु अकड़ गये और मेरी
आँखे खुल गयी थी। मेरे जिस्म मे एक विस्फोट हुआ और ज्वालामुखी फट कर पूरे वेग से लावा
बहने लगा। कुछ ही पल के बाद मै लस्त होकर बिस्तर पर पड़ गया था। वह मेरे पास आकर लेट
गयी और धीरे से बोली… अब मै चाहती हूँ कि जिस तरह से मैने तुम्हारे साथ किया था वैसे
ही तुम भी मेरे साथ करो। जल्दी हर्गिज नहीं
करनी है।
अबकी बार वह लेट गयी और मै उस पर छा गया था।
उसका सांवला जिस्म दिन की रौशनी मे चमक रहा था। केले सी चिकनी चमकती त्वचा को छूने
के लिये मै अधीर हो रहा था। उसने आँखों से इशारा किया तो उसके चेहरे पर मेरे होंठ और
जुबान ने वार करना आरंभ कर दिया। मेरी उँगलियाँ उसके स्तन की गोलाईयों को नाप रही थी
और उनके सिरे पर उत्तेजना से अकड़े हुए स्तनाग्र छेड़ रही थी। वह बताती जा रही थी और
मै करता चला जा रहा था। उसके चेहरे से गले पर आया और फिर गले से सीने पर आ कर रुक गया
था। जब तक मै उसके सीने की गोलाईयों तक पहुँचा तब तक उसके मुख से सिस्कारियां विस्फुटित
होने लगी थी। उसने मुझे रोकते हुए कहा… समीर, यहाँ से सीधे मेरे नितंबों को अपने हाथों
मे जकड़ कर मेरी जाँघ से उपर की ओर आगे बढ़ो। सब कुछ छोड़ कर उसके कहे अनुसार मै उसकी
जाँघों को लाल करने मे जुट गया। उसका इशारा मिलते ही मै उपर की ओर बढ़ता चला गया था।
एक समय आया जब उसने मेरे मुख के सामने अपने स्त्रीत्व के द्वार को अपनी उँगलियों से
खोल कर मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उसके निर्देशानुसार मेरी जुबान उसके स्त्रीत्व
के नाजुक हिस्से को छेड़ने के लिये तत्पर हो गयी थी। उसके नितंबो को जकड़े हुए हुए मै
लगातार उसके स्त्रीत्व पर निरन्तर वार कर रहा था और उसके मुख से घुटी हुई आहें और चीखें
लगातार निकल रही थी। वह बार-बार उठने की कोशिश
कर रही थी लेकिन मेरे आगे वह कुछ भी कर पाने असफल रही थी।
…समीर। मै रुक गया और उसकी ओर देखने लगा।
…अब मै तुम्हारे लिए तैयार हूँ। मेरे पास आ जाओ। मै उठ कर उसके उपर छा गया। मेरे जिस्म
के नीचे वह छिप गयी थी। उसने मेरे उत्तेजित पौरुष को पकड़ कर धीरे से अपने स्त्रीत्व
पर घिसा और फिर दिशा दिखाते हुए अपनी कमर पर दबाव डाला तो उसका सिरा थोड़ा सा अन्दर
सरक गया था। एक क्षण के लिए हमारी नजरे मिली और उसने अपनी आँखो से इशारा किया और मेरी
कमर पर अपनी टाँगे इर्द-गिर्द लपेट कर दबाव बढ़ाया जिसके कारण मेरा पौरुष उसके स्त्रीत्व
की सारी बाधाएँ को तोड़ते हुए अन्दर धंसता चला गया और जड़ तक जा कर बैठ गया। उसके मुख
से एक एक लम्बी सीत्कार निकल गयी थी। मै रुक गया तो उसकी ओर देखा तो उसकी आँखें मुंदी
हुई थी। उसके चेहरे पर कुछ पीड़ा की लकीरें खिंची हुई थी। कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के
बाद अपनी आँखे खोल कर वह मुझे देख कर मुस्कुरायी और फिर बोली… यही काम धीरे से भी कर
सकते थे। इतने बड़े हथियार को समय देना चाहिए अन्यथा किसी बेचारी की हालत खराब हो जाएगी।
बस इतना बोल कर उसके जिस्म ने आगे बढ़ने का इशारा किया और प्रकृति ने अपने आप ही रास्ता
सुझा दिया था। हर चोट पर उसके मुख से किलकारी निकल रही थी। तूफान वेग पकड़ने लगा था
और धीरे-धीरे हम दोनो को उसमे बहे जा रहे थे। एक समय आया कि वह अचानक धनुषाकार बना
कर हवा मे उठी और फिर उसका जिस्म एक झटका खा कर बिस्तर पर ढेर हो गया। एक बार फिर मुझे
वही एहसास महसूस हुआ कि उसका अंग मेरे पौरुष के सिर को जकड़ कर उसका रस सोखने मे जुटा
हुआ है। एक आखिरी वार करते ही ज्वालामुखी फट गया और कामरस की धारा बेरोकटोक बहने लगी।
कुछ देर उस पर मै ऐसे ही लस्त पड़ा रहा और फिर उसके साथ लेट गया। हम अपनी साँसों को
काबू करने मे लगे हुए थे कि जब वह उचक कर मुझे चूम कर बोली… कैसा लग रहा है अब? मैने
उसकी ओर देखा तो वह मुस्कुरा रही थी। …ड्रेन्ड आउट। मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए बोली… यह कभी नहीं
बोलते। जब भी बोलना हो तो उत्कृष्ट और संतुष्ट बोलते है। …थैंक्स एलिस कह कर मैने उसे
अपनी बाँहों मे जकड़ लिया था। उसके जिस्म की गंध मेरे जहन मे बसती जा रही थी।
उसे वहीं सुस्ताते हुए छोड़ कर मै अपने कमरे
मे चला गया था। मैने जल्दी से कमरे को दुरुस्त किया और फिर नहाने चला गया था। आज का
अनुभव मेरे लिए अप्रतिम रहा था। एलिस की बदौलत मै अब युवक से पुरुष बन गया था। जब तक
तैयार होकर बाहर निकला तब तक एलिस एक काफी का मग हाथ मे लिए मेज पर बैठी हुई थी। मुझे
देख कर बोली… काफी पियोगे? …नहीं भूख लग रही है। तुम भी तैयार हो जाओ तो साथ खाना खा
लेंगें। …अंजली सिर्फ तुम्हारा खाना बना कर गयी है। मुझे खिला दोगे तो खुद क्या खाओगे।
…थोड़ा शेयर करने मे क्या बुराई है। …नो थैंक्स। आज चार बजे की ड्युटी है। तैयार होकर
निकल जाऊँगी। कैन्टीन मे खाना खा लूँगी। मै खाना गर्म करके खाने बैठ गया। …समीर आज
जो कुछ सीखा है वह अंजली पर ट्राई करके देखना। उसकी बात सुन कर मेरे कान खड़े हो गये
थे। …वह मेरी बुआ लगती है। …मेरी आँख मे तुम दोनो धूल मत झोंकों। जब से तुम आये हो
तो तबसे उसके चेहरे पर आयी हुई रौनक बता रही है कि उसके बेडरुम क्या चल रहा है। मै
यकीन से कह सकती हूँ कि तुम रोज रात को उसे अपने प्यार की डोज दे रहे हो। मुझे समझ
मे नहीं आ रहा था कि इसे कैसे यकीन दिलाऊँ क्योंकि वह मुझे सिर्फ एक मुँह बोले पारिवारिक
संबन्ध का हिस्सा समझ रही थी।
…समीर, क्या बेड मे अंजली मुझसे बेहतर है?
…तुम्हें बताया है न कि अंजली मेरी बुआ लगती है। हमारे बीच मे ऐसा कुछ नहीं है। …समीर,
मुझे सब पता है। तुम्हारे यहाँ तो किसी का परहेज नहीं होता तो भला अंजली जैसी कोरी
चीज को तुम कैसे छोड़ सकते हो। नहीं बताना चाहते तो मत बताओ लेकिन आज के अनुभव को इस्तेमाल
करके देखना क्योंकि अंजली पागल हो जाएगी। मै शर्त लगा सकती हूँ कि वह तुम पर मर मिटेगी।
उसका हर शब्द मुझे असहनीय लगने लगा था लेकिन मै उसे नाराज भी नहीं करना चाहता था। अपनी
जान छुड़ाने के लिये मैने जल्दी से कहा… ठीक है टीचर मै उस पर ट्राई करके देखूँगा। वह
मुस्कुरा कर बोली… वह हमेशा के लिये तुम्हारी गुलाम बन जाएगी। उसको अनसुना करके अपने बर्तन
समेट कर मै किचन मे चला गया था। जब तक बर्तन साफ करके बाहर निकला तब तक एलिस जा चुकी
थी। मै कमरे मे जाकर बिस्तर पर पड़ते ही सो गया था।
मुझे शाम को बुआ ने आकर उठाया था। …समीर आज
दिन मे कैसे सो रहे हो? …बुआ कुछ करने को नहीं था तो खाना खाने के बाद नींद आ गयी थी।
मै उठ कर हाथ मुँह धोकर आया तब तक बुआ ने चाय बना दी थी। हम दोनो चाय पीते हुए कश्मीर
की बात कर रहे थे कि तभी मैने उनसे पूछा… बुआ आपने अभी तक निकाह क्यों नहीं किया? बुआ
एक पल के लिए खामोश हो गयी थी फिर मेरी ओर देख कर मुस्कुरा कर बोली… पुराने घाव को
छेड़ने से मवाद ही निकलता इसलिए इसके बारे मे बात मत करो। वह मुस्कुरा तो रही थी परन्तु
उनका दर्द उनकी आंखों मे साफ झलक रहा था। उनको अपनी बाँहों मे लिये चुपचाप बैठा रहा।
वह काफी देर तक मेरे सीने मुँह छिपा कर सिसकती रही थी। यह बात मेरी समझ से परे थी कि
पता नहीं कौन सा दुख बेचारी बुआ को खाये जा रहा है। फोटो अल्बम खोलते ही बुआ की आँखें
झरझर बहने लगती और उनको रोता हुआ देख कर मै भी दुखी हो जाता था।
मुजफराबाद
पीरजादा मीरवायज की हवेली के बाहर आज गाड़ियों
का हुजूम लगा हुआ था। फौज की कारों के साथ जोन्गा और पजेरो जैसी भी गाड़ियाँ खड़ी हुई
थी। हवेली के मुख्य द्वार पर पाकिस्तान फौज के सैनिकों के साथ बहुत से नवयुवक अपने
चेहरे ढके और कन्धे पर एक-47 लटकाये पहरा दे रहे थे।
एक विशाल बैठक मे कुछ सैन्य अधिकारियों के
साथ पीरजादा मीरवायज बैठ कर बात कर रहे थे कि तभी एक आदमी ने आकर सूचना दी… आका, दोनो
लखवी आ गये है। पीरजादा ने धीरे से कहा… इज्जत से उन्हें यहाँ लेकर आओ। थोड़ी देर मे
लखवी भाईयों के साथ कुछ और लोग भी बैठक मे आ चुके थे। …जनरल साहब ने मुजफराबाद का रास्ता
खोलने का निर्णय ले लिया है। अगले महीने की पहली तारीख को यह रास्ता खुल जाएगा। जनरल
साहब ने सख्त निर्देश दिये है कि कश्मीर की आजादी के लिये काम करने वाली सारी तंजीमे
इस रास्ते का उपयोग कर सकती है परन्तु इस रास्ते पर कब्जा करने की कोशिश मे अगर कत्ले
आम करने की कोशिश किसी भी तंजीम के द्वारा हुई तो फिर जनरल साहब की ओर सख्त एक्शन होगा।
तभी पीरजादा मीरवायज ने जनरल मंसूर बाजवा की बात को काटते हुए कहा… जनाब यह हमारा करार
नहीं हुआ था। यह हमारा विचार था और हमने अपनी जमीन और पैसा इस काम के लिये इसी शर्त
पर लगाया था कि यहाँ से होने वाले कारोबार पर हमारा नियंत्रण रहेगा। अब लखवी भाईयों
आये दिन हमारे काम मे रोड़े अटकाना आरंभ कर दिया है। दोनो लखवी अभी तक चुपचाप बैठ कर
सुन रहे थे। अचानक जकी उर लखवी खड़ा होकर बोला… बाजवा साहब, यह किसी के बाप की जायदाद
नहीं है। जितना हक इनका इस रास्ते पर है उतना ही हक हमारा भी है। हम किसी के नियंत्रण
मे काम नहीं करेंगें। अगर लश्कर बन्दूक से कश्मीर की किस्मत बदलने का दम रखती है तो
फिर इस रास्ते पर कब्जा करने वालों को भी दोजख पहुँचा सकती है। बात बिगड़ती देख कर आईएसआई
का निदेशक जनरल मंसूर ने लखवी को बैठने का इशारा करके कहा… जनरल साहब ने एक महीने का
समय इसीलिये दिया है कि आप लोग बैठ कर इस मसले का हल निकाले अन्यथा पाकिस्तान सरकार
इस रास्ते को खोलने का जोखिम नहीं उठाएगी। अब आप सभी को इसका हल निकालना है। हमारे
बिरादर मकबूल बट की जमात-ए-इस्लामी ने इस रास्ते
को खुलवाने के लिये बहुत मेहनत की है। आप लोगों की आपसी रंजिश हमारे सारे मंसूबों को
ध्वस्त कर देगी। आईएसआई की चेतावनी सुन कर बैठक मे एकाएक शांति छा गयी थी।
पीरजादा मीरवायज ने बैठे हुए सभी लोगो एक नजर
डाल कर कहा… जनरल साहब को हमारी ओर से आश्वस्त कर दिजिएगा कि हम सब आपस मे बैठ कर इस
मसले का हल निकाल लेंगें। हम सबका उद्देशय एक है और वह इस रास्ते से जुड़ा हुआ है। हम
मे से कोई नहीं चाहता है कि इस काम मे खलल पड़े। कुछ देर बात करने बाद सभी उठ कर बैठक
से बाहर चल दिये थे।
Super story vir Bhai👌👌
जवाब देंहटाएंभाई धन्यवाद्। अपनी और से एक कोशिश है। उम्मीद करता हूँ कि काफ़िर भी आपको पसन्द आएगी।
हटाएंथैंक्स वीर भाई इस सरप्राईज भाग के लिए और पहले भागों की तरह ये भाग भी काफी रोचक तत्व से भरपूर था जहां समीर अपने बुआ के साथ अब रह रहा है वहीं अंजली के रूममेट ने तो समीर को वो अनोखा सुख दे दिया जिससे अब समीर भली भांति परिचित हो चुका है, और आगे इसके चलते क्या क्या गुल खिलेगा यह देखना रोचक होगा,वहीं दूसरी तरफ छोटी छोटी ग्रुप अपने अपने जुगत भिड़ा ने लगे हैं कारोबार पर नियंत्रण पाने के लिए मगर क्या वो लोग अपने मंसूबे में सफल होंगे?
जवाब देंहटाएंआपकी कहानी हमेशा उच्चकोटी की रही है और पहले कहानियों को प्रशंसा न कर पाने का खेद हम इस कहानी से भरपाई कर देंगे।😉😁
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