मित्रों मैने एक सवाल अपने पाठक एविड से पूछा था कि मेरी रचना “जंग, मोहब्बत और धोखा” के शीर्षक का उसकी कहानी से क्या संबन्ध है? इस प्रश्न का उत्तर है कि उस शीर्षक का संबन्ध उस कहानी के सभी मुख्य किरदारों से काफी गहरा है। इस रचना मे सभी मुख्य किरदार इन तीन समस्या से जूझते हुए चित्रण करने की छोटी सी कोशिश की गयी है। इसमे कोई शक नहीं कि अली मोहम्मद और फ्रेया इसके मुख्य किरदार थे। दोनो के बारे मे तो आप समझ गये थे परन्तु अल वलीद के भेष मे अल बक्र, इब्ने मुशारत रस अल-खैमाय का अमीर और बड़ी अम्मी उर्फ गाजिया, कर्नल बशीर काउन्टर इन्टेलिजेन्स का चीफ, टोनी व साउदी प्रिंस इस रचना के मुख्य किरदार है। मोहब्बत के अर्थ को स्त्री-पुरुष संबन्ध तक सिमित करोगे तो इन सभी किरदारों का दायरा संकीर्ण हो जाएगा। इस्लाम के प्रति निष्ठा, दोस्ती का दम भरने वाला, अपनी जागीर के प्रति निष्ठा, इत्यादि भी मोहब्बत के प्रतीक के रुप मे देखे जा सकते है। अगर हरेक किरदार पर गौर किया जाये तो वह रचना के किसी हिस्से मे जंग, मोहब्बत और धोखे से गुजरते है। कोई पहले धोखा खाता और कोई बाद मे, कोई पहले मोहब्बत का शिकार होता है और कोई बाद मे और अंत मे कोई अपने वुजूद की जंग लड़ता है और कोई आतंक से। सभी किरदारों को इन तीनों भावनाओं का अनुभव करना पड़ता है। पता नहीं मै कितना समझाने मे कामयाब हुआ लेकिन मेरी कोशिश थी कि अपनी रचना के पीछे छिपी हुई कहानी को आपके सामने खोल कर रखा जाये। शुक्रिया करम मेहरबानी। अगर आपका कोई अपना नजरिया है तो मुझ ेबताने की कृप्या किजियेगा।
वीर
बहुत ही खूबसूरत सोच जैसा की जंग और मोहब्बत की परिभाषा तो सायद दबे छिपे रूप में कुछ कुछ दिख गया मगर शायद धोखा का पैमाना थोड़ा इसी पोस्ट के जरिए खुल कर समझ में आई जैसा की दोस्ती का स्वरूप या फिर अपने दायित्व या फिर अपने फर्ज से करने वाली धोखा के बारे में। बहुत ही डीप मीनिंग मिला वीर भाई। धन्यवाद आपका कॉमेंट एक नया दिशा देती है फर्ज कहानी पढ़ने के लिए।
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