काफ़िर-34
सुबह उठते ही मैने अपनी टीम से कहा कि वह सिगन्ल्स
की एक बख्तरबंद जीप का इंतजाम करके मेरे घर पहुँचे। जब तक मै तैयार हुआ तब तक मेरी
टीम आ गयी थी। कुछ ही देर के बाद उसी स्थान पर हमारी बख्तरबंद जीप खड़ी हो गयी थी। मैने
रिकार्डिंग डिवाईस के कनेक्शन चालू करके मकबूल बट के घर मे होने वाली बात सुनने बैठ
गया। मिरियम नौकरों को निर्देश दे रही थी। दोपहर तक मैने अपने साथियों को ट्रान्समिशन
सिस्टम के बारे सब कुछ समझा दिया था। उसके बाद मकबूल बट के मकान की चौबीस घन्टे की
सर्वैलेन्स आरंभ हो गयी थी। दो के समूह मे मेरे साथी उस बख्तरबंद जीप मे बैठ कर सारी
बात सुनते और शाम को मेरे अन्य दो साथी उनकी जगह ले लेते थे। इस तरह दो दिन बैठे हुए
हो गये थे लेकिन मकबूल बट का अब तक कोई अता पता नहीं था।
तीसरे दिन सुबह मै जब आया तब मकबूल बट की आवाज
मेरे कान मे पड़ी…
आजकल नगदी की कमी चल रही है। भाईजान आप ही
कुछ अपनी ओर से किजीये…अब्दुल लोन की भी हालत मुझसे बेहतर नहीं है।
मैने अनुमान लगाया कि वह फोन पर किसी से बात
कर रहा था। मैने ड्युटी पर तैनात अपने साथी से पूछा… यह आदमी कब आया था। …सर, कल रात
को यह काफी देर से आया था। मैने हेडफोन उसको पकड़ाते हुए पूछा… रात की रिकार्डिंग कहाँ
है? एक साथी ने जल्दी से एक छोटी सी कैसेट निकाल कर मेरी ओर बढ़ा दी थी। रात की रिकार्डिंग
मे सिर्फ अब्बा के जाहिलियाना एकाकार और मिरियम के मानसिक एवं जिस्मानी प्रताड़ना की
कहानी दर्ज थी।
अगले दिन हमे पहली कामयाबी मिली थी। नीलोफर
और मकबूल बट स्टडी रुम मे बैठ कर बात कर रहे थे।
…आपके लिये पैसों का इंतजाम हो गया है। अबकी
बार उन्होंने नेपाल के रास्ते से दो ट्रक भिजवाये है। वह कल सुबह तक जम्मू पहुँच जाएँगें।
…मुंबई की पेमेन्ट का क्या हुआ? …आप बेफिक्र रहिए। मेरी बात हो गयी है। उनका ट्र्क
भी कल तक जम्मू पहुँच जाएगा। बस इस बार उन
तीनों ट्रकों को सुरक्षित श्रीनगर पहुँचाने की जिम्मेदारी आपकी होगी। …तुम चिन्ता मत
करो। बस मुझे उन ट्रकों की जानकारी चाहिए। जम्मू टोल नाके से हिज्बुल के लोग उन ट्रकों
को अपनी देखरेख मे तुम्हारे गोदाम पर पहुँचा देंगें। …ठीक है मै आपको सभी ट्रकों की
जानकारी रात तक दे दूँगी।
थोड़ी देर बात करने के बाद नीलोफर वापिस चली
गयी थी। उसके जाते ही मकबूल बट ने किसी से फोन पर बात करने लगा…
…भाईजान, बस कुछ दिन की बात है। कल सुबह तुम
को जम्मू टोल नाके से तीन ट्रकों को अपनी देखरेख मे सुरक्षित श्रीनगर मे गोल्डन ट्रांस्पोर्ट
के गोदाम पर पहुँचाना है। …हाँ, सभी ट्रकों की जानकारी मै रात तक तुम्हें दे दूँगा।
तुम्हें जाकिर के लौटने की कोई सूचना मिली? …।उसकी जब यहाँ जरुरत है तो वह सीमा पार
रंगरलियाँ मनाने के लिये गया हुआ है। उसे सुचित करो कि वह तुरन्त श्रीनगर पहुँच जाये
अन्यथा उसकी मौत मेरे हाथ निश्चित है। उसे बता देना कि मोर्चे की तैयारी आरंभ हो गयी
है।
इसी प्रकार सारा दिन
मेरी टीम उस घर पर निगाह रख कर बैठी हुई थी। मै तो पहली जानकारी मिलते ही अपने आफिस
लौट गया था। ब्रिगेडियर चीमा से बात करके जम्मू के टोल नाके पर स्पेशल फोर्सेज की एक
टीम को गुप्त रुप से तैनात करवा दिया गया था। मै भी शाम से पहले हेलीकाप्टर से जम्मू
पहुँच गया था। हमारे सामने एक समस्या खड़ी हो गयी थी कि टोल नाके पर उन ट्रकों की निशानदेही
करके उनके खिलाफ गोदाम पर एक्शन लेना चाहिये अन्यथा रास्ते मे उनके विरुद्ध एक्शन लिया
जाये। मेरा कहना था कि उन्हें गोदाम पर पहुँचने दिया जाये और उसके बाद हम कोई एक्शन
लेना चाहिये जिससे लोन परिवार के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा सके। ब्रिगेडियर चीमा
का कहना था कि ट्रक मे पता नहीं किस प्रकार का सामान है और क्या पता आखिरी समय मे उन
ट्रकों के गंतव्य स्थान मे कोई बदलाव हो गया तो फिर रिस्क बढ़ जाएगा। इसलिये वह चाहते
थे कि उन ट्रकों को रास्ते मे ही अपने कब्जे मे लेना ज्यादा ठीक होगा। काफी देर चर्चा
के पश्चात उन्होंने इस बात का निर्णय मुझ पर छोड़ दिया था।
रात को मकबूल बट के
मकान पर तैनात अपने साथियों से बात करके मैने उन ट्रकों की जानकारी के बारे मे पूछा
तो उन्होंने बताया कि वह तो शाम को ही घर से बाहर निकल गया था। अब मेरे पास उन तीन
ट्रकों के बारे मे सिर्फ इतना पता था कि दो ट्रक नेपाल से आ रहे थे और एक ट्रक मुंबई
से आ रहा था। उस टोल नाके से एक रात मे हजार से ज्यादा ट्रक भारत के अन्य हिस्सों से
जम्मू मे प्रवेश करते है तो फिर उनमे से उन तीन ट्रकों की पहचान कैसे की जाये? यह मेरी
परेशानी का सबसे बड़ा सबब बन गया था। मेरे निर्देश पर स्पेशल फोर्सेज के लोग टोल नाके
के पास संदिग्ध गाड़ियों की निशानदेही करने मे लग गये थे। एक टीम को टोल नाके से कुछ
दूरी पर एक ढाबे पर काफी देर से एक जीप और पुरानी एम्बेसेडर कार खड़ी हुई दिखी थी। उसी
ढाबे पर जिहादी मार्का वाले कपड़े गले मे बाँधे और कुछ अपने सिर को ढके हुए युवाओं का
जमघट लगा हुआ देख कर जाँच करने वाली टीम को उन पर शक हुआ परन्तु मैने उन्हें दूर से
दोनो गाड़ियों और उन लोगों पर सिर्फ नजर रखने के लिये कह दिया था। सभी सदस्यों को सावधान
करके मै एक टोल बूथ मे जाकर बैठ गया। देर रात तक मुझे कोई ऐसा ट्रक नहीं दिखा जिस पर
शक किया जा सकता था। मुंबई से आने वाले करीब तीस से ज्यादा ट्रक अब तक टोल पार करके
राज्य मे प्रवेश कर गये थे परन्तु नेपाल का कोई ट्रक अभी तक वहाँ नहीं पहुँचा था।
सुबह चार बजे मै टोल
बूथ मे बैठ कर ऊंघ रहा था कि बूथ का कर्मचारी एक इन्वोइस लेकर मेरे सामने रख कर बोला…
सर, यह ट्रक तो हिन्दुस्तानी है पर यह टनकपुर से सामान लाया है। मैने एक नजर इन्वोइस
पर डाल जैसे ही कुछ बोलने को हुआ कि तभी एक और कर्मचारी नयी इन्वोइस लेकर मेरे पास
आकर बोला… सर, यह ट्रक नेपालगंज से माल लेकर आया है। मैने दोनो इन्वोइस को चेक किया
तो दोनो ट्रक एक ही ट्रांसपोर्ट कंपनी के थे। दोनो इन्वोइस में उन ट्रकों मे एक ही प्रकार
के सामान का विवरण दिया हुआ था। मैने जल्दी से अपनी टीम को उन दोनो ट्रकों के नम्बर
देते हुए कहा… इन दोनो ट्रकों पर निगाह रखो। इतना बोल कर मै दोनो इन्वोइस लेकर उन ट्रकों
की ओर चला गया था।
पहले ड्राईवर के हाथ
मे इन्वोइस पकड़ा कर मैने पूछा… ट्रक मे क्या लाये हो? …सर, सीमेन्ट प्लांट की मशीनरी
है। मेरा इशारा मिलते ही बेरियर हटा दिया गया था। वह ट्रक रेंगता हुआ धीरे से आगे बढ़
गया था। यही सवाल मैने इन्वोइस लौटाते हुए दूसरे ट्रक से पूछा तो उसने भी वही जवाब
दिया था। मैने उसको भी निकलने का इशारा कर दिया। मै वापिस अपने बूथ की ओर लौट रहा था
कि तभी मेरी नजर एक ट्रक पर पड़ी जो काफी देर एक किनारे मे खड़ा हुआ था। दोनो ट्रक निकल
जाने के बाद जैसे ही रिक्त स्थान मिला वह ट्रक तेजी से बढ़ा और लाईन मे खड़े हुए ट्रकों
को ओवरटेक करके रिक्त स्थान मे जाकर खड़ा हो गया था। सब कुछ अचानक हुआ था जिसके कारण
लाईन मे पीछे लगे हुए ट्रकों हार्न बजा कर अपना गुस्सा दर्शा दिया। मै उस ट्रक की ओर
चला गया। ट्रक पर महाराष्ट्र की नम्बर प्लेट लगी हुई थी। मैने ड्राईवर से इन्वोइस लेकर
देखा तो वह ट्रक मुंबई से आया था। …इतनी देर से अलग खड़े हुए थे फिर अचानक लाईन तोड़ने
की जरुरत क्या थी। …माईबाप, इतनी देर से मालिक से बात करने की कोशिश कर रहा था। जब
बात हो गयी तो मै चल दिया। यह सब लाइन मे खड़े ट्रक मेरे बाद मे ही यहाँ पहुँचे थे।
…क्या लाये हो? …जनाब सीमेंट प्लांट की मशीनरी है। उसकी इन्वोइस पर एक नजर मार कर उसकी
ओर बढ़ा कर मैने कहा… भाई पहले आने का मतलब नहीं है। तुम्हें लाईन लगना चाहिये था। इतना
बोल कर मैने टोल बूथ की ओर इशारा किया और टोल कर्मचारी पर्ची काटने मे जुट गया था।
टोलबूथ मे पहुँच मैने
अपना हेड्फोन लगा कर अपनी टीम को मुंबई वाले ट्रक का नम्बर देकर पूछा… वह दो ट्रकों
का क्या हुआ? …सर, वह दोनो ट्रक अब उसी ढाबे पर रुक गये है। मै अभी उस ढाबे के बारे
सोच ही रहा था कि तभी दूसरी ओर से आवाज आयी… सर, मुंबई वाला ट्रक भी अभी-अभी यहीं पर
आकर रुक गया है। तीनो ट्रकों के ड्राईवर जीप मे बैठे हुए एक आदमी से बात कर रहे है।
मैने जल्दी से कहा… यही तीनों ट्रक है। अब यह तीनो ट्रक तुम्हारी आँख से ओझल नहीं होने
चाहिये। इतना बोल कर मै चुप ही हुआ था कि अचानक टोल नाके से कुछ दूर खड़े एक ट्रक से
टोल बूथ कि दिशा मे अधाधुंध फायरिंग आरंभ हो गयी थी। एकाएक टोल नाके पर अफरातफरी मच
गयी। मेरी टीम ने तुरन्त उस ट्रक को घेरना
आरंभ कर दिया लेकिन तभी उसके आगे खड़े हुए ट्रक मे अचानक भयंकर विस्फोट हुआ जिसके कारण
आगे बढ़ते हुए कुछ हमारे सैनिक भी घायल हो गये थे। हमारा सारा ध्यान उस ट्रक पर लग गया
था जहाँ से फायरिंग आरंभ हुई थी। स्पेशल फोर्सेज के सैनिक अब तक सावधान हो गये थे।
वह धीरे-धीरे उस ट्रक को घेरने के लिये चारों दिशा से आगे बढ़ रहे थे कि तभी उस ट्रक
से एक ग्रेनेड हवा मे तैरता हुआ टोल बूथ की ओर आता हुआ दिखाई दिया तो फौरन ग्रेनेड
की दिशा भाँपते हुए मेरे साथियों ने विपरीत दिशा मे छलांग लगायी और दूसरी दिशाओं से
बढ़ती हुई टीम ने उस ट्रक पर फायरिंग आरंभ कर दी थी। एक साया ट्रक से उतर कर अंधेरे
का फायदा उठा कर खड़े हुए ट्रकों की ओट लेकर ढाबे की दिशा मे भागा परन्तु वह हमें धोखा
देने मे असफल रहा और कुछ कदम भागते ही वह मारा गया था। कुछ ही देर मे वह ट्रक मेरी
टीम के कब्जे मे था। एक जिहादी सड़क पर और दो जिहादी ट्रक मे हमारी फायरिंग की चपेट
मे आ गये थे। ग्रेनेड कोई नुक्सान नहीं कर पाया क्योंकि किसी कारणवश वह फटा नहीं था।
मुश्किल से आधे घँटे मे सारी स्थिति काबू मे आ गयी थी।
अपने स्पीकर पर स्थिति
की समीक्षा करते हुए मैने ढाबे पर तैनात टीम से पूछा… उन तीन ट्रकों की क्या स्थिति
है? …सर, हम ब्लास्ट की आवाज सुन कर यहाँ टोल नाके पर मदद करने के लिये आ गये थे। मै
जोर से चिल्लाया… जल्दी से ढाबे पर जाकर चेक करो। मेरी छ्टी इंद्री संकेत दे रही थी
कि कुछ गड़बड़ हमसे हो गयी है। दो मिनट बाद ही मेरे कान मे आवाज सुनायी दी… सर, तीनों
ट्रक और दोंने गाड़ियाँ जा चुकी है। …जल्दी से अपने लोगों को इकठ्ठा करो। दो सैनिकों
को घायलों के पास छोड़ कर बाकी लोग मेरे पीछे आओ। वही तीन ट्रक हमारा टार्गेट है। इतना
बोल कर मै दौड़ते हुए अपनी जीप की ओर चला गया और उसमे सवार होकर जम्मू-श्रीनगर हाईवे
पर निकल गया था। रास्ते मे मैने ब्रिगेडियर चीमा को फोन पर सारी जानकारी देने बाद कहा…
सर, उनके पास आधे घंटे का लीड टाईम है। …मेजर, एक सीआरपीफ का चेक पोइन्ट उधमपुर मे
प्रवेश करने से पहले लगा हुआ है। मै उनसे बात करके सारे ट्रेफिक की गति धीमी करवाता
हूँ। …यस सर। इससे हमे कुछ समय मिल जाएगा। मेरे ड्राईवर ने हूटर चालू कर दिया था जिसके
कारण सड़क पर चलने वाले ट्रेफिक ने हमे रास्ता देना शुरु कर दिया था। स्पेशल फोर्सेज
की बख्तरबंद जीप भी अब तक मेरे पीछे आ गयी थी।
हिज्बुल ने छ्द्म
हमला करके दो बड़ी भारी गलतियाँ की थी। पहली गलती तो हमला करके भले ही उन्होंने कुछ
देर के लिये हमारा ध्यान भटका दिया था परन्तु इस हमले से उन्होंने तीनों ट्रकों की
पुष्टि कर दी थी। दूसरी गल्ती उन्होंने छद्म हमले के स्थान को चुन कर किया था। जम्मू
से बाहर निकलने वाले टोल नाके पर हमला करके उन्होंने अपने आप को बस एक रास्ते तक सिमित
कर लिया था। जम्मू और उधमपुर के बीच मे कोई और रास्ता नहीं था जिसके द्वारा वह श्रीनगर
तक पहुँच सकते थे। तीनों ट्रकों के नम्बर अब तक सभी चेक पोइन्ट्स पर दे दिये गये थे।
यही सारी बातें मेरे दिमाग मे घूम रही थी। एक के बाद एक गाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए
तेज गति से हम उधमपुर की ओर बढ़ते चले जा रहे थे। मैने स्पीकर फोन पर कहा… आगे बढ़ते
हुए हर गाड़ी का नम्बर चेक करते रहना। नो एन्गेजमेन्ट, बस ट्रेक करो। थोड़ी देर के बाद
हम उधमपुर चेक पोइन्ट पर पहुँच गये थे। मैने ड्युटी अफसर से उनके बारे मे पता किया
तो उसने इन्कार करते हुए कहा… अभी कोई नहीं पहुँचा है। स्पेशल फोर्सेन का नेतृत्व करने
वाला कैप्टेन भाटी बोला… सर, रास्ते मे हमे न तो वह गाड़ियाँ और न ही वह ट्रक देखने
को मिले है। जम्मू से उधमपुर के बीच वह न जाने कहाँ खो गये? मेरा दिमाग तेजी से चल
रहा था। …वह कहाँ जा सकते है? जीप के बोनट पर मैने नक्शा फैला रखा था। कैप्टेन भाटी
ने कहा… सर, कहीं वह कटरा की ओर तो नहीं चले गये परन्तु वहाँ से तो श्रीनगर जाने का
कोई रास्ता ही नहीं है। मैने नक्शे पर नजर डाल कर कहा… वह उस रास्ते पर कुछ दिनों के
लिये छिप कर आसानी से किसी नये ट्रक पर सामान की अदला-बदली करके वापिस इसी रास्ते से
श्रीनगर जा सकते है। कैप्टेन हमारे पास समय नहीं है। वापिस चल कर कटरा का रास्ता भी
चेक कर लेते है। वहाँ से चलने से पहले सीआरपीफ के ड्युटी आफीसर को समझा दिया कि देखते
ही तुरन्त खबर करना परन्तु रोकने की कोशिश मत करना। इतना बोल कर हम वापिस चल दिये और
कटरा चौक पर पहुँच कर कटरा जाने वाली सड़क पर निकल गये थे।
कटरा पहुँचते हुए
रात का अंधेरा छटने लगा था। कटरा शहर मे प्रवेश करते ही कप्टेन भाटी की आवाज मेरे कान
मे गूँजी… सर, पाँचो गाड़ियों की निशानदेही हो गयी है। शहर मे प्रवेश करते ही पहले ढाबे
पर लाईन से सारी गाड़ियाँ खड़ी हुई है। मैने जीप को रुकने का इशारा किया और मेरे पीछे
आती हुई बख्तरबंद जीप भी रुक गयी थी। कैप्टेन भाटी मेरे पास आकर बोला… सर, अब क्या
करना है? …कैप्टेन, एक बार चल कर देख लेते है। …सर, इस युनीफार्म को देख कर वह कहीं
देखते ही हम पर हमला न कर दें। इस वक्त वह लोग काफी तनाव मे होंगें। …कैप्टेन, दो स्काउट
भेज कर ढाबे की घेराबन्दी करने के लिये उप्युक्त स्थान तलाश करो। मै अभी आ रहा हूँ।
अब कुछ भी हो जाये इन्हें अपनी नजरों से ओझल नहीं होने देना है। यह बोल कर मै उसे वहीं
छोड़ कर निकल गया था।
कटरा बस स्टैन्ड पर
सैलानियों और दर्शनार्थियों की काफी भीड़ दिख रही थी। तभी मेरे नजर कुछ पिठ्ठुओं पर
पड़ी जो बस से उतरते हुए यात्रियों के पीछे भाग रहे थे। एक पिठ्ठू को मैने रोका तो मेरी
वर्दी देख कर वह सहम गया था। …मुझे तुम्हारे यह कपड़े चाहिए। यह बोल कर मैने जेब से
पर्स निकाल कर नोट दिखाते हुए कहा… आओ तुम्हें नये कपड़े दिलवा देता हूँ। वह एक पल के
लिये चौंका और फिर मुस्कुरा कर बोला… चलिये। कुछ देर के बाद मै उसके मैले कुचैले कपड़े
पहन कर अपनी जीप की ओर जा रहा था। उसके कपड़े साइज मे छोटे थे परन्तु फिलहाल मेरे पास
कोई दूसरा विकल्प नहीं था। प्लास्टिक के बैग मे मैने अपनी वर्दी और जूते डाल दिये थे।
जीप से उतर कर मेरा ड्राईवर साईड मे खड़ा हुआ मेरा इंतजार कर रहा था। …मांगेराम मेरी
पिस्तौल लाकर दो और अपने कप्तान साहब से कहो कि मुझे दो ग्रेनेड चाहिए। एक पल के लिये
वह भौंचका सा मेरी ओर देखता रह गया और फिर तेजी से जीप की ओर बढ़ गया। मेरी पिस्तौल
देकर वह कैप्टेन भाटी के पास चला गया था। थोड़ी देर के बाद मै पैदल उस ढाबे की ओर जा
रहा था। मेरे कुर्ते की जेब मे दो ग्रेनेड रखे हुए थे और पाजामे के नाड़े मे पिस्तौल
फँसी हुई थी। अब मै स्काउट की भुमिका निभा रहा था और मेरे साथ आयी स्पेशल फोर्सेज की
टीम ढाबे पर मोर्चा लगाने मे व्यस्त हो गयी थी।
ढाबे पर इक्का-दुक्का
आदमी बैठे हुए थे। मै आराम से उन तीन ट्रकों के पास रखी हुई खाट पर बैठ गया और वहीं
से चिल्ला कर नाश्ते का आर्डर देते हुए निगाहें घुमा कर तीन ट्रकों और दोनो गाड़ियों
की स्थिति का अवलोकन किया। तीन आदमी जीप मे बैठे हुए बातचीत कर रहे थे। ट्रक मे कोई
नहीं दिख रहा था। कार मे भी कुछ लोग बैठे हुए थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि वह किसी का
इंतजार कर रहे थे। मैने आराम से नाश्ता किया। कैप्टेन भाटी की टीम तब तक पोजीशन लेकर
तैयार हो गयी थी। नाश्ता करने के बाद पानी का जग लेकर कुल्ला करने के लिये उनमे से
एक ट्रक की आढ़ मे चला गया और एक ग्रेनेड का टाइमर सेट करके धीरे से बीच के ट्रक के
नीचे सरका कर पैसे देने के लिये काउनटर की मेज की ओर चल दिया। …एक…दो…तीन… मन ही मन
गिनती के साथ कदम बढ़ाते हुए जैसे ही मै काउन्टर की मेज के पास पहुँचा उस ट्रक के नीचे
एक धमाका हुआ और उसका इंजिन वाला हिस्सा टूट कर हवा मे बिखर गया लेकिन तब तक मै मेज
के पीछे छ्लांग लगा चुका था। धमाके के साथ ही एकाएक वहाँ पर शोरगुल और भगदड़ सी मच गयी
थी। स्पेशल फोर्सेज के निशाने पर जीप और कार थे। उस धमाके के तीन मिनट बाद आठ लाशें
और बुरी तरह गोलियों से उधड़ी हुई दो गाड़ियाँ और क्षतिग्रस्त ट्रक रह गया था। बाकी दो
ट्रकों को कोई क्षति नहीं पहुँची थी। जब तक शहर मे खबर फैलती तब तक स्पेशल फोर्सेज
ने तीनों ट्रकों को अपने कब्जे मे ले लिये था।
राष्ट्रीय राइफल्स
की युनिट ने ढाबे के आस-पास के पूरे हिस्से को कवर कर दिया था। स्थानीय पुलिस भीड़ को
दूर रखने के कार्य मे जुट गयी थी। मैने जल्दी से कपड़े बदल कर तीनो ट्रकों की जाँच करने
के लिये चला गया था। पहले ट्रक जिसके इंजिन के परखच्चे उड़ गये थे उसका दरवाजा खोल कर
जैसे ही अन्दर झांक कर देखा तो वहाँ पर मशीन के बजाय आठ बड़े-बड़े ट्रंक रखे हुए थे।
मै और कैप्टेन भाटी ट्रक पर चढ़ गये और एक ट्रंक के ढक्कन पर लगे हुए ताले को तोड़ कर
जैसे ही खोला तो आँखें फटी रह गयी थी। वह ट्रंक नोटों से ठसाठस भरा हुआ था। कैप्टेन
भाटी आठों ट्रंक खोल कर देखने मे लग गया और मै दूसरे ट्रक की ओर बढ़ गया था। उसमे भी
वैसे ट्रंक रखे हुए थे। तीसरे ट्रक मे लकड़ी की पेटीयाँ रखी हुई थी। एक पेटी खोल कर
देखा तो उसमे पहाड़ी चरस रखी थी। मै नीचे उतर कर ब्रिगेडियर चीमा को फोन पर अपनी रिपोर्ट
देने मे व्यस्त हो गया था। दोपहर तक सारा जब्त किया सामान और करेंसी नोट के ट्रंक सेना
की निगरानी मे 15वीं कोर के हेडक्वार्टर्स भिजवा दिये गये थे। यह सब होने के बाद सेना
ने ट्रक और लाशें स्थानीय पुलिस के हवाले कर दी थी। मै वापिस जम्मू चला गया और वहाँ
से हेलीकाप्टर मे बैठ कर शाम तक श्रीनगर पहुँच गया था। एयरपोर्ट से निकल कर मै सीधे
मकबूल बट के घर पर निगरानी रख रहे अपने साथियों के पास पहुँच गया था।
…अन्दर के क्या हाल
है? …सर सब शान्त है। मकबूल बट घर पर नहीं है। मुझे कल से अभी तक की रिकार्डिंग दे
दो। उन्होनें मुझे चार कैसेट देते हुए कहा… कल आपके जाने के बाद मकबूल बट किसी के साथ
आया था आप एक बार वह रिकार्डिंग जरुर सुन लिजिएगा। मैने जल्दी से कैसेट को डिवाईस मे
लगाया और सुनने बैठ गया परन्तु मेरे साथ बैठे हुए कुट्टी ने आगे बढ़ने का इशारा किया
तो मै फास्ट फार्वर्ड मोड मे चला गया था। कुट्टी ने एक जगह रोक कर कहा… सर, यह सुन
लिजीये।
…मकबूल, मै कल श्रीनगर
पहुँच रहा हूँ। इस जुमे की नमाज के लिए जामिया मस्जिद पहुँच जाना। मै तुम्हें वहीं
मिलूँगा। अपने साथ नीलोफर को लेकर आना क्योंकि मुझे इज्तिमा के बारे मे चर्चा करनी
है। पैसा मिल गया? …जी भाईजान। हिज्बुल के लोग अपनी देखरेख मे कंटेनर ट्रक ला रहे है।
…मकबूल सावधान रहना। पहली बार हमने नेपाल का रास्ता लिया है। …आप बेफिक्र रहिये भाईजान।
इस पैसे से हमारी मुहिम को काफी मजबूती मिल जाएगी। …अच्छा नये कुअर्डिनेट्स नोट कर
लो। 3396623, 7473880, 3337382, 7431322, 3343514, 7519478, 3387190, 7489047 इज्तिमा
के तुरन्त बाद इन सब जगह पर काफ़िरों की फौज की दीवाली होनी चाहिये।
एक बार फिर से सात
अंकों का कोड देख कर मेरी धड़कन बढ़ गयी थी। मैने तीन-चार बार वह रिकार्डिंग सुनी लेकिन
उस आवज को सुन कर किसी का चेहरा दिमाग मे नहीं आ रहा था। क्या यह फारुख की आवाज थी?
मैने एक बार उससे बात की थी इसलिये मै यकीन से कुछ भी कहने की स्थिति मे नहीं था। अचानक
मेरे दिमाग मे एक बात आयी तो मैने पूछा… कुट्टी मैने तो सारे माईक्रोफोन बाहर लगाये
थे तो फोन पर दूसरी ओर से बोलने वाले की रिकार्डिंग कैसे हो गयी? …सर, पहले दिन ही
हमे इस परेशानी का ज्ञान हो गया था। उसी रात हमने उस मकान की टेलीफोन लाइन की तार तोड़
दी थी। मकबूल बट की ओर से जब सुबह कम्प्लेन्ट की गयी तब थापा लाईनमैन बन कर टेलीफोन
के अन्दर एक माइक्रोफोन फिट कर आया था। उसके बाद हमने उनकी लाइन वापिस जोड़ दी थी। मैने
कुट्टी की पीठ थपथपा कर कहा… गुड जाब, लगता है मुझे थापा के लिये एक स्ट्राईप की सिफारिश
अब करनी पड़ेगी।
उनको वहीं छोड़ कर
मै अपने घर की ओर निकल गया था कि तभी कुट्टी का फोन आ गया। …सर, यहाँ हंगामा मचा हुआ
है। क्या आप अभी आ सकते है? मैने जीप वापिस मोड़ी और उनके पास चला गया। मैने हेडफोन
जैसे ही कान पर लगाया तो मकबूल बट की आवाज मेरे कान मे पड़ी।
…मै बर्बाद हो गया।
वह लोग अब मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगें। …क्या हो गया आपको? …हमारे तीनों ट्रक उनके हाथ
लग गये। हिज्बुल का एक भी आदमी नहीं बचा। बुरहान ने अभी कुछ देर पहले खबर दी है कि
कटरा के भरे बाजार मे सबको स्पेशल फोर्सेज ने एन्काउन्टर मे मार डाला और तीनो ट्रक
लेकर चले गये। नीलोफर अब मेरा क्या होगा? इतना बोल कर वह फूट-फूट कर रोने लगा। नीलोफर
की आवाज गूँजी… मुंबई का ट्रक भी पकड़ा गया? …हाँ। साकिब ने बीच रात मे फोन पर कहा था
कि वह सेना की आँख मे धूल झोंकने मे कामयाब हो गये थे और अब बता रहा है कि सुबह एन्काउन्टर
हो गया। अब मै उसके सामने कैसे जाऊँगा। वह तो देखते ही मुझे गोली मार देगा। अब सिर्फ
तुम ही हो जो मुझे उसके जलाल से बचा सकती हो नीलोफर। …आप शांत हो जाईये। मै उससे बात
करने की कोशिश करती हूँ।
मै चुपचाप उनकी बात
सुन रहा था। मेरा एक शक पुख्ता होता जा रहा था कि नीलोफर लोन इस पूरे खेल मे एक महत्वपूर्ण
कड़ी बन कर उभर रही थी। मैने उठते हुए कहा… आज रात टेलीफोन का खास ख्याल रखना। बहुत
सारे लोगों के साथ यह आदमी बात करेगा। इतना बोल कर मै अपने घर चला गया था। दो दिन की
थकान के कारण बिना कपड़े बदले बिस्तर पर पड़ गया था। उस रात मुझ पर नींद इतनी हावी हो
गयी थी कि मुझे पता ही नहीं चला और डेड़ दिन तक सोता रहा था। जब दोपहर ढलने के बाद मै
उठा तो जन्नत ने मेरा फोन देते हुए कहा… इतने फोन आ रहे थे कि मै इसे उठाकर अपने साथ
ले गयी थी। मैने जल्दी से फोन पर मिस्ड काल की लिस्ट देखी तो ब्रिगेडियर चीमा मुझे
याद कर रहे थे।
…सर। …मेजर कल से
फोन नहीं उठा रहे थे। कहाँ थे? …सर, नींद पूरी कर रहा था। …दो ट्रको मे बारह करोड़ रुपये
निकले है। एक और बात बतानी है कि उसमे से आठ करोड़ नकली है। हमे शक हो रहा है कि यह
पैसा नेपाल से कैसे आया होगा। तुम्हारा क्या ख्याल है? …आप ठीक सोच रहे है सर। मुंबई
मे इतनी नकली करेंसी मिलना असंभव लगता है। क्या परसों रात की रिकार्डिंग सुनी है?
…जी सर, एक बार फिर से सात अंकों के आठ नम्बर मिले है। उस आदमी के अनुसार उन स्थानों
पर दीवाली मनाने की योजना है। …क्या वह आवाज पहचानते हो? …नहीं सर। …मेजर उस आदमी को
ढूंढों तो बहुत सी बातें साफ हो जाएँगी। क्या तुम्हें लगता है कि मकबूल बट को इन स्थानों
का पता होगा? …सर, उसकी बातचीत से पता नहीं लगता। आप कहें तो उसे अभी उठवा लेते है?
…नहीं, पहले इज्तिमा को रोकना है। …तो सर, फिर हमे जुमे तक इंतजार करना चाहिये। फारुख
उस दिन जामिया मस्जिद मे मिलेगा। हमारे बीच बस इतनी बात हुई थी।
मै अपने साथियों के
पास बैठ कर बीते दिन के बारे बात कर रहा था। …कल से कितने फोन आये थे? …सर, फोन तो बहुत सारे आये परन्तु मकबूल बट ने किसी
से बात नहीं की थी। आज सुबह नीलोफर आयी थी। आप चाहे तो उसकी रिकार्डिंग सुन सकते है।
…अगर कोई खास बात नहीं है तुम्हीं बता दो कि उसने क्या कहा था? …यही कि उसने बात की
थी परन्तु उन्होंने सब कुछ फारुख पर छोड़ दिया है। सर, उसकी बातों से पता नहीं चला कि
उसकी बात किसके साथ बात हुई थी। मै समझ गया था कि मकबूल बट की गरदन अब फारुख के हाथ
मे आ गयी थी। कुछ देर उनके साथ बैठ कर मै रात को वापिस अपने घर की ओर चल दिया था।
मेरे मन एक संतोष
था कि मेरे एक ही वार से मकबूल बट की सारे जीवन की राजनीतिक विरासत उसके हाथ से फिसल
कर अब फारुख के हाथ मे चली गयी थी। उस रात मै बिस्तर पर लेट कर अपनी माँ के दुख और
अम्मी की मजबूरी के बारे मे सोच रहा था। अगले दिन जुमा था उसका ख्याल आते ही कुछ सोच
कर मैने शाहीन का नम्बर मिलाया …हैलो। …बोलिये समीर। …क्या कोई मेहमान हाजी साहब के
पास आया हुआ है? …घर पर तो कोई नहीं है। क्यों? …कुछ नहीं। अगर कोई नया चेहरा दिखे
तो फौरन मुझे खबर कर देना। …तुम्हारे भाईजान को तो हमने रिहा कर दिया अब तो हाजी साहब
तो खुश होंगें। …समीर, मै उन्हें कभी माफ नहीं कर सकती। …मुझ पर विश्वास है न। पहले
हया नाम की लड़की का पता लगाना है। उसके बाद हम दोनो मिल कर अब्दुल्लाह और हया को सजा
देंगें। तुम कैसी हो? …ठीक हूँ। …अच्छा याद रखना कि कोई नया मेहमान आये तो मुझे तुरन्त
खबर करना। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।
ठीक समय पर मै जामिया
मस्जिद पहुँच गया था। जुमे की नमाज के कारण आज काफी भीड़ नजर आ रही थी। मै भी भीड़ मे
शामिल हो गया था। सभी के साथ वुजू करके मै अन्दर चला गया और एक कोने मे जाकर सभी के
साथ शामिल हो गया था। कुछ देर के बाद जब काफी भीड़ हो गयी तब हाजी मंसूर की आवाज माईक
पर गूंजी… जनाब आज की तखरीर के लिए मेरे अजीज बड़ी दूर से आये है। उनको सुनने के लिए
कुछ देर इंतजार कीजिए। मेरी नजर नमाजियों की भीड़ मे फारुख को ढूँढने
मे लगी हुई थी। उसकी शक्ल को अब तक भूला नही था तो मेरी आँखे उसको तलाश कर रही थी।
तभी एक अनजानी आवाज लाउडस्पीकर पर गूँजी…
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम।
बिरादर मै आज आपको
नबी का पैगाम याद कराने के लिये आया हूँ। गज्वा-ए-हिंद का समय मुकर्रर हो गया है। निज़ाम-ए-मुस्तफा
को हिंद मे स्थापित करने के लिए हमे आज और अभी से ही नबीं के लश्कर के साथ जुड़ना होगा।
इस लश्कर मे शरीक होने वाले मोमिन के लिए नबीं ने बताया है कि उसे आग भी जला नहीं सकेगी
इसीलिए हमारी जीत तो तय है। तुम चाहे सुन्नी हो या शिया, देवबंदी हो या बरेलवी, अहले
हदीस हो या अहमदी, अशअरी हो या इस्माईली, लेकिन यह मत भूलो कि हम सभी मोमिन है जो अल्लाह
को मानते है। यही हमारी एकता गज्वा-ए-हिन्द की ताकत है जो यहाँ निज़ाम-ए-मुस्तफा को
स्थापित करने मे मदद करेगी।
बिरादर, गज्वा-ए-हिन्द
के लिए हदीसो मे पाँच निर्देश दिये गये है। पहला निर्देश है कि हर संभव तरीके से जनसांख्यिकीय
संरचना मे बदलाव करना। पिछले दो दशक से हम लगातार इस काम मे जुटे हुए है। हमने घाटी
को मुश्रिकों से आजाद तो करा दिया परन्तु आज भी भारतीय फौज यहाँ पर अपने नापाक पाँव
जमा कर बैठी हुई है। अब वक्त आ गया है कि काफिरों की फौज को यहाँ से बेदखल किया जाए।
इन्होंने हमारी बहनों और बच्चियों के साथ जो कुकृत्य किया है उसका बदला लेने का समय
आ गया है। इसमे हमारी मदद के लिए उम्मा खड़ी हुई है। अल्लाह हमारे साथ है और हर हालत
मे हमारी फतेह होगी। इस जिहाद मे हम सभी को एक होकर मुश्रिकों की फौज पर कहर बन कर
टूटना है।
मोमिनो दूसरा निर्देश
है कि हमे हिंद की लोकतांत्रिक व्यवस्था मे राजनीति और प्रशासन मे जनसंख्या के बल पर
हिस्सेदारी के लिए लगातार संघर्ष करना है। हमारे बच्चों को ज्यादा से ज्यादा संख्या
मे राजनीति और सरकारी ओहदों पर काबिज होना पड़ेगा। हमें काफिरों के कानून का इस्तेमाल
करके ही उन्हें पीछे धकेल कर अपने बच्चों के लिए रास्ता बनाना होगा। अपने दुश्मन को
पहचानो। वह असंख्य जाति मे बँटे हुए है। वह भाषाओं मे बँटे हुए है। वह असंख्य पंथ और
विचारों मे बँटे हुए है। काफिरों के बीच इन्हीं दरारों को खाई मे तब्दील करके उनकी
नींव को खोखला करने मे हमे ज्यादा समय नहीं लगेगा। मोमिन भाईयों जाग जाओ और आवाज दो
हम एक है।
मेरे बिरादर तीसरा
निर्देश है कि भारतीय सभ्यता के विरुद्ध मोर्चा खोल कर काफिरों के बीच डर और आतंक का
माहौल बनाने का है। उनके धार्मिक स्थलों पर तोड़-फोड़ करके दंगा करा के उनके बीच मे डर
का माहौल बनाना हमारी प्राथमिकता है। उनकी प्रशासनिक व्यवस्था को गोलियों और बम्ब विस्फोट
द्वारा पंगु बना कर उनके घरों और कारोबार पर जबरदस्ती कब्जा करना है। उनके दिलों मे
मोमिनों का डर बैठना चाहिए। इसके लिए सीमा पार बैठे हुए मोमिनों की गैर सरकारी फौज
तैयार बैठी हुई है। वह बस हमारे इशारे का इंतजार कर रहे है।
अल्लाह के बन्दो चौथा
निर्देश धर्म परिवर्तन का है। काफिरों की लड़कियों और औरतों को बहला फुसला कर इस्लाम
धर्म कुबूल करवाओ। अगर वह धर्म परिवर्तन के लिए तैयार नहीं होती तो उन्हें जबरदस्ती
कुबूल करवाओ। इसके लिए हमारे जवानों को आगे बढ़ना चाहिए। अल्लाह ने हमे चार बीवी रखने
की आजादी है। हर मोमिन को चाहिए कि चार मे से एक बीवी तो काफिर होनी चाहिए। मौलवियों
को अपने मदरसों मे लव जिहादी तैयार करने चाहिए। गरीबों को पैसों का लालच देकर धर्म
परिवर्तन करवाओ और अमीरों को डरा कर जबरदस्ती उनसे इस्लाम धर्म कुबूल करवाओ।
आखिरी निर्देश शरिया
को लागू करने का है। सबसे पहले इस कानून का पालन हम मोमिनों को करना चाहिए। अपने सारे
घरेलू और बाहरी झगड़े और विवाद शरिया के अनुसार सुलझायें। इसके लिए मौलवियों को विशेष
इंतजाम करना चाहिए। हमे सरकार पर दबाव डालना चाहिए कि हर जिले मे एक सरकारी शरिया कोर्ट
स्थापित होना चाहिए। जो मोमिन सरकारी कोर्ट या पुलिस द्वारा अपने विवाद सुलझाने को
प्राथमिकता देता है तो हमारे समाज को उसका बहिष्कार कर देना चाहिए।
बिरादर, रब्बा-ओ-अल-अमीन
ने तुम्हें एक रास्ता दिखाया है। इतने साल से काफिरों और किताबवालों के हाथों से मर
रहे हो और बेईज्जत हो रहे हो। क्या कभी सोचा है क्यों? इसका एक ही कारण है कि मुस्लिम
ने दीन का रास्ता छोड़ दिया है। उसने खुदा को भुला दिया है। अपनी भूल सुधारने के लिए
अल्लाह ने तुम्हें यही एक मौका अता किया है। नबीं के गज्वा-ए-हिन्द के लश्कर से जुड़ने
के लिये तैयार हो जाओ। इसी के लिए आज से चौथी जुम्मे रात को एक इज्तिमा का आयोजन हो
रहा है। इसका उद्देश्य कश्मीर को आज़ाद कराने का नही अपितु हिंद मे निजाम-ए-मुस्तफा
स्थापित करना है। अल्लाह रहमदिल है। इस लड़ाई मे हमारी जीत निश्चित है। आमीन। इस लड़ाई
मे जो शहादत देगा वह सीधा जन्नत जाएगा जहाँ बहात्तर हूरें उसका बड़ी बेसब्री से इंतजार
कर रही है।
नारा-ए-तदबीर अल्लाह-ओ-अकबर।
जामिया मस्जिद की
दीवारे उस नारें से थर्रा रही थी।
बहुत ही जबरदस्त अंक।
जवाब देंहटाएंजबर दस्त अंक,मैंने 4 बार पढ़ ली
जवाब देंहटाएंअल्फा और हरमन भाई आप दोनो का एक ही प्रकार का कमेन्ट देख कर सोचा कि आप दोनो को एक ही जवाब द्वारा धन्यवाद दे दूँ तो बेहतर होगा। उस दशक मे कश्मीर आईएसआई की साजिशों का केन्द्र बना हुआ था।
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