काफ़िर-16
अगली सुबह पहले मैने अपनी जीप का स्थायी पर्मिट
बनवाया और फिर आलिया को लेकर मुश्ताक डार के आफिस की ओर चल दिया था। आज सुबह ही मैने
महसूस किया था कि मेरी वर्दी तो बिना कहे ही उतर गयी थी। मुश्ताक डार का आफिस उच्चवर्गीय
इलाके मे था। मै पहले भी अम्मी के साथ वहाँ जा चुका था परन्तु आज उस आफिस की भव्यता
देखने लायक थी। लड़के और लड़कियाँ अपने काम मे लगे हुए थे। मै सीधा अकाउन्टेन्ट के कमरे
की ओर चला गया था। वृद्ध सा आदमी मेज पर पड़े हुए रजिस्टर मे खोया हुआ था। …आदब चचाजान,
मै समीर बट अपनी अम्मी के साथ बिलिंग के लिए आया करता था। पहचाना आपने। उसने अपना चश्मा
ठीक करते हुए मेरी ओर देखा और फिर मुस्कुरा कर सिर हिला कर कहा… समीर। अरे तुम तो बहुत
बड़े हो गये। आज अम्मी नहीं आयी। …चचाजान, आज अम्मी की जगह मेरी बहन आलिया आयी है। आलिया
ने भी जल्दी से आदाब किया और मेरे साथ बैठ गयी थी। …कल चार ट्रक माल दिया था उसका बिल
देने के लिए आया हूँ। अम्मी ने कहा था कि आप जैसा बताएँगें उतने का बिल काट कर आपको
दे दूँ। मै बिल बुक साथ लाया हूँ। आप बता दीजिए। यह कह कर मैने
इन्वोइस की कापी उसकी ओर बढ़ा दी थी। उसने जल्दी से एक नया रजिस्टर निकाला और उस पर
एन्ट्री करके कहा… बेटा, चार इन्वोइस अभी देता हूँ। तुम आठ लाख का बिल बना दो। यह बोल
कर उसने किसी को आवाज दे कर बुलाया तो एक लड़की फौरन कमरे मे आकर उसके सामने खड़ी हो
गयी थी। …बट फार्म्स के नाम पर चार इन्वोइस बना कर लाओ। यह कह कर उसने मेरी दी हुई
इन्वोइस उसको पकड़ा दी थी।
कुछ देर के बाद वही लड़की हाथ मे आठ इन्वोइस
लेकर आयी और उस वृद्ध के हाथ मे पकड़ा कर चली गयी थी। उसने आठों इन्वोइस मेरी ओर बढ़ा
दी थी। मैने सभी इन्वोइस के नम्बर बिल मे चढ़ा कर आठ लाख का बिल काट कर उसे थमाते हुए
कहा… चचाजान, अम्मी की तबियत ठीक नहीं रहती तो अगली बार से आलिया आया करेगी। आप इसे
पहचान लिजीए। उसने हंसते हुए कहा… बिटिया को मैने पहचान लिया है। आलिया की ओर देख कर
बोला… बिटिया सीधे मेरे पास आ जाना। आलिया ने शुक्रिया किया और खुदा हाफिज़ करके हम
बाहर निकल आये थे। …समीर, चार ट्रक माल के बदले इन्होनें आठ ट्रक का बिल लिया और चार
नयी इन्वोइस हमे पकड़ा दी। यह क्या चक्कर है? …आलिया हमे इसी चक्कर को तो समझना है।
…समीर, एक बात बताऊँ। जो लड़की वह इन्वोइस बना कर लायी थी उसे मै जानती हूँ। वह मुझसे
दो या तीन साल सीनियर थी। मै यकीन से कह सकती हूँ कि वह हमारे स्कूल मे ही पढ़ती थी।
…अच्छा है। इससे दोस्ती बढ़ाओ।
वहाँ से निकल कर हम गोल्डन ट्रांसपोर्ट के
यार्ड की ओर चल दिये थे। …वहाँ क्या करने जा रहे हो? …आलिया, मै एजाज और फरहत से मिलने
जा रहा हूँ। इन दोनो मै जानता हूँ। बस हमारे बीच मे इतनी बात हुई थी क्योंकि तब तक
हम ट्रांसपोर्ट नगर पहुँच गये थे। गोल्डेन ट्रांसपोर्ट कंपनी काफी जाना माना नाम था।
मैने जिससे पूछा उसने मुझे रास्ता दिखाते हुए कहा… जहाँ सबसे ज्यादा ट्रक खड़े मिले
तो समझ लेना वही कंपनी है। कुछ ही देर मे हम उस कंपनी के सामने खड़े हुए थे। तीस चालीस
ट्रक लाईन से खड़े हुए थे। सीजन टाइम था तो सभी व्यस्त दिखाई दे रहे थे। आलिया को जीप
मे छोड़ कर मै उनके आफिस मे चला गया। वह आफिस नहीं एक छोटा सा कमरा था जहाँ पर कुछ लोग
बैठे हुए काम कर रहे थे। एक मेज के सामने खड़े हो कर मैने पूछा… आदाब, जनाब मै बड़ी दूर से आया हूँ। मुझे एजाज और फरहत से मिलना है। वह
कहाँ मिलेंगें। उसने सिर उठा कर मेरी ओर देखते हुए पूछा… वह क्या करते है? मैने जल्दी से कहा… इसका मुझे
पता नहीं बस यह बता सकता हूँ दोनो भाई है। पहलगाम के रहने वाले है। वह सोचने बैठ गया
लेकिन तभी उसके पीछे बैठा हुआ आदमी बोला… अरे यह उसी टेड़े को पूछ रहे है। मै चुप खड़ा
रहा था। उस आदमी ने मुड़ कर पीछे बैठे हुए आदमी से कहा… रोस्टर देख कर बता तो सही कि
टेड़ा बाहर गया है या अपनी बारी का इंतजार कर रहा है। उसने रजिस्टर चेक करके जवाब दिया…
मियाँ वह ट्रक लेकर बाहर गया है। शाम तक वापिस आएगा। …उसका भाई? …कौन फरहत? मैने जल्दी
से सिर हिला दिया। …मियाँ वह यहीं कहीं होगा। बाहर जाकर ठेकेदार से पूछ लो। कमरे से बाहर निकल कर मै ठेकेदार को ढूँढने मे लग
गया था। किस्मत की बात थी कि जब मैने किसी जाते हुए हम्माल को रोक कर पूछा… भाईजान,
ठेकेदार कहाँ है? उसने रुक कर मुझे इशारे से बताते हुए बोला… ठेकेदार…वह पल भर के लिए
चुप हो गया और फिर मुझसे बोला… मियाँ तुम्हारी शक्ल जानी पहचानी सी लग रही है। कहाँ
से आये हो? अब उसको ध्यान से देखने पर मुझे भी ऐसा ही महसूस हो रहा था। …फरहत! उसने
मुझे गौर से देखा और फिर एकाएक बोला… समीर।
हम बात करते हुए बाहर आ गये थे। उससे पता चला
था कि वह भी ट्रक ड्राईवर है। कल रात को ही वह मुजफराबाद से लौटा
था। अगले दो दिन उसका रेस्ट था। वह सेब से भरा ट्रक लेकर मुजफराबाद पहुँचाता
था और लौटते हुए अपने ट्रक मे अफगानी मेवे लेकर आता था। आलिया को देख कर तो वह हैरान
हो गया था। …मियाँ सब बच्चे कितने बड़े हो गये थे। …फरहत भाई आपकी मदद चाहिए। …बोलो
मियाँ। …आप किसका माल लेकर मुजफराबाद गये थे? वह एक क्षण के लिए
बोलते हुए रुक गया था। …क्यों क्या काम है? …मै और आलिया वहाँ जाकर कुछ सेब के खरीददारों
से मिलने की सोच रहे है। रफीक चचाजान से बात हुई थी। वह बता रहे थे कि अगर अपने ट्रक
लेकर सेब बेचने का काम खुद करें तो इस काम को फैलाया जा सकता है। फरहत एक नजर चारों
ओर डाल कर धीरे से बोला… मियाँ इस पचड़े मे तुम मत पड़ो। यह बड़े लोगों का खेल है। वह
इस काम मे किसी और को घुसने नहीं देते। साले रास्ते मे ट्रक लुटवा देते है वर्ना सीमा
पुलिस के चक्कर मे फंसवा देते है। सीमा के दोनो साईड बहुत मोटा पैसा चलता है, इसीलिए इस काम मे हाथ मत
डालो। कभी मेरे साथ चल कर देखना तो तुम्हें सब समझ मे आ जाएगा। …फरहत भाई वैसे यह बड़े
लोग कौन है। आप तो अब्बा को जानते है। फरहत ने सिर हिलाते हुए कहा… हाँ, तुम्हारे अब्बा
की बहुत चलती है। फिर कुछ सोच कर बोला… मियाँ, कुल मिला कर छह-सात बड़े सेब के व्यापारी
है और उतने ही ट्राँन्सपोर्टर है। इनके अलावा दर्जन भर छोटे व्यापारी है जिनके बहुत
पुराने संबन्ध सीमा पार से है लेकिन उनका माल भी यही छ्ह-सात ट्रान्सपोर्टर उठाते है।
मै सारा चक्कर समझने की कोशिश मे था इसलिए
मैने पूछा… मियाँ तुम कैसे माल लेकर सीमा पार जाते हो? उसने जेब से एक कार्ड निकाल
कर दिखाते हुए बोला…सीमा पुलिस को यह कार्ड दिखा कर हम सीमा पार करते है। घुसने के
बाद चौबीस घंटे मे हमे वापिस लौटना पड़ता है। यही काम वहाँ से आने वाले ट्रक को भी करना
पड़ता है। उसने मुझे कश्मीर रेजीडेन्ट कार्ड दिखाया था। काफी देर से बात कर रहे थे तो
वह बोला… समीर मियाँ, घर चलो। मै हाजिरी लगवा कर घर ही जा रहा था। …चलो मियाँ, मै तुम्हे
तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ। एजाज भाई का पता चला था कि वह माल लेकर गये हुए है। शाम
तक आएँगें। फरहत जीप मे बैठते हुए बोला… हाँ एजाज भाई आज सुबह ही जम्मू गये है। कल
सुबह तक लौट आएँगें। रास्ते मे उसने सभी मुख्य व्यापारियों और ट्राँस्पोर्टरों के नाम
भी बता दिये थे। फरहत और एजाज पास-पास ही रहते थे। …पहलगाम आना जाना नहीं होता? …कहाँ
टाइम मिलता है समीर भाई। जब माल लेने या डालने उस तरफ जाना होता तब कुछ देर वहाँ रुक
कर सबसे मिल लेता हूँ। कुछ इधर-उधर की बात करके एजाज और उसका फोन नम्बर लेकर हमने उसको
घर के पास छोड़ दिया था। उसने घर चलने के लिए बहुत जोर दिया था परन्तु फिर किसी दिन
का वादा करके हम दोनो अम्मी से मिलने के लिए चल दिये थे।
आज घर सूना पड़ा हुआ था। शाम हो चली थी। अम्मी
बाहर लान मे बैठी हुई थी। हम दोनो उनके पास जाकर बैठ गये थे। अम्मी ने नौकर को आवाज
लगा कर चाय लाने के लिए कह दिया था। मैने आठों इन्वोइस अम्मी के हाथ मे रखते हुए कहा…
अम्मी, मुश्ताक डार की आठ लाख की बिलिंग हुई है। अम्मी इन्वोईस देख कर बोली… आलिया, कैसा लगा यह काम?
…अम्मी, बहुत आसान काम है। यह काम मै बड़े आराम से कर सकती हूँ। माल को गिन कर ट्रक
मे लदवा कर ड्राइवर से इन्वोइस ले लो और अगले दिन उनके आफिस जाकर बिल दे दो। इस काम
मे क्या मुश्किल है। मगर अम्मी एक बात मुझे समझ मे नहीं आई। हमने उन्हें चार ट्रक माल
दिया था तो फिर उन्होंने हमसे आठ ट्रक माल की बिलिंग क्यों करवाई? समीर बात कर रहा
था इसीलिए मै कुछ नहीं बोली परन्तु इसके बारे मे समीर भी कुछ नहीं बता सका। मै चाय
पीते हुए अम्मी का चेहरा देख रहा था। वह बोलने मे झिझक रही थी। मैने बीच मे बोलते हुए
कहा… अम्मी, आज मैने आलिया को डार के अकाउन्टेन्ट से भी मिलवा दिया है। मैने उसको बता
भी दिया है कि अब से अम्मी की जगह यह आया करेगी। एक बार फिर से आलिया ने अम्मी से वही
सवाल पूछा तो अम्मी ने हिचकते हुए बोलना आरंभ किया… हम इनको चार ट्रक माल देते है।
यह लोग हमे आठ ट्रक के पैसे दे देते है। यह सारा काम बैंक के जरिए से होता है। जब पैसा
हमारे अकाउन्ट मे आ जाता है तब हम तीन लाख कैश निकाल कर उनको दे देते है।
आलिया जल्दी से बोली… कमाल है अम्मी वह एक
लाख का नुकसान क्यों झेल रहे है? अम्मी ने झल्लाते हुए कहा… इससे हमे क्या? हमारे सेब
के पैसे मिल गये और उपर से एक ट्रक माल के पैसे अलग से मिल गये। इसमे हमारा घाटा क्या
है। यहाँ सभी सेब के व्यापारी इसी प्रकार की बिलिंग कर रहे है। समीर अब तू ही इसे समझा
कि फिजूल की बातों मे दिमाग न लगाये। जैसा चल रहा है चलने दे वर्ना ज्यादा सवाल-जवाब
करेगी तो इसको भेजना बन्द कर दूँगी। …अम्मी, यह बेचारी पहली बार काम कर रही है। इसके दिमाग मे जितने
भी सवाल आएँगें तो हमे इसे समझाना पड़ेगा। आप चिन्ता मत करिए यह दिखने मे सीधी लगती
है पर बिजनिस के मामले मे बेहद शातिर है। आज इसकी बातें सुन कर तो मै भी दंग रह गया
था। एक डिब्बे मे इतने सेब आते है और एक ट्रक मे इतने डिब्बे रख सकते है। एक किलो के
हिसाब से इतने पैसे बनते है। आज यह और न जाने क्या-क्या सीख कर आयी है। अच्छा अम्मी
अब चलते है। अंधेरा हो गया है। हम जुमे को बडगाम चले जाएँगें। अम्मी जब बैंक मे यह
पैसे आ जाएँ तो बता दीजिएगा। तीन लाख निकाल कर उन्हे दे आएँगे।
अम्मी जल्दी से बोली… समीर वह पैसे हम उनके आफिस मे नहीं जमा कराते है। तुम्हारे अब्बा
वह पैसे ले जाते है। आज सुबह ही वह चार लाख लेकर गये है। कुछ देर उनसे बात करके हम
दोनो वापिस कोम्पलेक्स लौट आये थे।
डार, बट, हुसैन और लोन हमारे सेब के खरीदार
थे। यह सभी नाम मुझे इन्वोइस जाँचने के कारण मिले थे। जुमे को लोन सेब खरीदने के लिये
बढगाम आने वाला था। एक बार उसकी बिलिंग भी देख लेते है। अगर वहाँ पर भी ऐसा होता है
तो फिर उनकी कार्यप्रणाली के बारे मे कुछ ठोस सुबूत के आधार पर कार्यवाही की जा सकती
है। रात को खाना खाने के बाद हम दोनो सारी बातों पर चर्चा करने बैठ गये थे। अब्बा के
पास पैसे पहुँचने का मतलब है कि जमात-ए-इस्लामी और हिजबुल मुजाहीदीन के पास अप्रत्यक्ष
रुप से पैसा पहुँच रहा था। यह बड़ी खतरनाक बात थी। मेरे पास अब
ब्रिगेडियर चीमा को बताने लिए काफी कुछ इकठ्ठा हो गया था। हम सोने जा रहे थे कि आलिया
का फोन बज उठा था। शाहीन का फोन था। कुछ देर बात करने के बाद आलिया ने कहा… अगर चाहे
तो हमारे साथ इस जुमे को बडगाम चल। हम अपने सेब के बाग पर घूमने जा रहे है। इतनी बात
करके उसने मेरी ओर फोन बढ़ाते हुए कहा… वह तुमसे बात करना चाहती है। …हैलो। …समीर, आज
तुम्हारे अब्बा आये थे। वह दो लाख रुपये मेरे अब्बा को देकर गये है। अब्बा ने उन पैसों
मे से डेड़ लाख रुपये चार लोगों बाँटे है। मौलवी इकरार एहमद और मौलवी सैफुद्दीन को पचास-पचास
हजार रुपये दिये थे। पच्चीस हजार बारामुल्ला का जमील अहमद को दिये थे। शोपियाँ के अबरार
अहमद को भी पच्चीस हजार दिये है। …हाजी साहब ने यह पैसे किस काम के लिए दिये है? …यह
पता नहीं चल सका लेकिन तुम्हारे अब्बा पिछले महीने हुई पत्थरबाजी के बारे मे बात कर
रहे थे। …शाहीन, कुछ मदरसों के बारे मे पता किया? …अभी नहीं। इसका भाईजान के आने के
बाद पता चलेगा। वह पाकिस्तान गये हुए है। …ठीक है। अपना ख्याल रखना। बेफिजूल किसी खतरे
मे मत पड़ना। इतनी बात करके मैने फोन काट दिया था।
अगले दिन सुबह मै अपने आफिस मै बैठा हुआ था।
बहुत सी जानकारी मेरे दिमाग मे घूम रही थी परन्तु एक बात मेरी समझ से बाहर थी कि डार
वगैराह लोग यह नुकसान कैसे पूरा कर रहे थे। मेरे सामने सब कुछ खुल चुका था परन्तु अभी
भी कुछ कड़ियाँ अनसुलझी रह गयी थी। मेरी छठी इंद्री मुझे बार-बार ट्रांस्पोर्टरों की
ओर इशारा कर रही थी। मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि इनकी भुमिका पर से कैसे पर्दा हटाया
जाए। मुझे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। मेरे फोन की घंटी बज उठी थी। …हैलो। …मेजर पता
चला कि आज तुम आफिस मे हो। क्या मेरे आफिस मे आ सकते हो। …यस सर। मै उठ कर ब्रिगेडियर
चीमा के कमरे की ओर चल दिया था। मेरा दिमाग अभी भी ट्रांसपोर्टरों मे उलझा हुआ था।
दरवाजे पर दस्तक देकर खोल कर अन्दर चला गया और ब्रिगेडियर चीमा के सामने सावधान की
मुद्रा मे खड़े होकर सैल्युट करके विश्राम की मुद्रा मे खड़ा हो गया था।
ब्रिगेडियर चीमा ने मेरी ओर देख कर बोले… कैसा
काम चल रहा है? …सर, कुछ कड़ियाँ अभी भी उलझी हुई है। पैसों की ट्रेल तो पता लग गयी
है लेकिन एक कड़ी मिसिंग है। यह बोल कर मैने सेब की इन्वोइस से लेकर हाजी मंसूर तक की
कहानी सुना दी थी। ब्रिगेडियर चीमा कुछ सोच कर बोले… मेजर तुम्हारे पास ट्रेडर्स के
नाम है और ट्रांसपोर्टर्स के नाम है। एमआई सारी इंटेल रिपोर्ट्स तैयार करती है। इंटेल
रिपोर्ट्स का डेटाबेस चेक करोगे तो हो सकता है कि कोई पैटर्न दिख जाए। …यस सर। उस दिन
हमारे बीच बस इतनी बात हुई थी। वहाँ से मै सीधा इंटेल रिपोर्ट्स के डेटा सेन्टर चला
गया था। सारा दिन मै उन सारे नामों को खोजता रहा परन्तु कोई खास जानकारी हाथ नहीं लगी
थी। मैने अब ट्रांस्पोर्ट कंपनियों के नाम चेक करना शुरु किया।
पहला नाम एजाज ट्रांस्पोर्ट का सर्च मे डालते ही एक लंबी लिस्ट सामने आ गयी थी। दो
तीन बार एजाज ट्रांस्पोर्ट के ट्रक्स ड्रग्स ले जाते हुए पकड़े गये थे। दो तीन बार अवैध
रुप से आये हुए पाकिस्तानियों को ले जाते हुए पकड़े गये थे। एक
बार अवैध हथियारों को लाते हुए पकड़े गये थे। हर बार ड्राईवर ने अपना जुर्म कुबूल कर
लिया था जिसकी वजह ट्रांस्पोर्ट कंपनी या उसके मालिक के उपर कोई आँच नहीं आयी थी। ट्रांस्पोर्ट
का पैटर्न मेरे सामने आ गया था। ऐसे ही मैने सभी ट्रांस्पोर्ट कंपनी के नाम से खोजना
आरंभ किया तो शाम तक सब कुछ मेरे सामने साफ हो गया था।
घर लौटते हुए एजाज और फरहत से कैसे काम लेना
चाहिए मुझे समझ मे आ गया था। रात को एक बार फिर से आलिया के साथ बैठ कर मिली हुई जानकारी
पर चर्चा हुई थी। …समीर जब सब पता चल गया है
तो इन लोगो पकड़ते क्यों नही? …इनको अभी पकड़ेंगें तो बड़ी मछली साफ बच कर निकल जाएगी।
अगर अभी रेड डाली तो डार का सारा इल्जाम वह अकाउन्टेन्ट अपने उपर ले लेगा और डार साफ
बच कर निकल जाएगा। इन लोगो के पीछे किसका हाथ है पहले उसका नाम जानना जरूरी है। आलिया
के समझ मे सारी बात आने लगी थी। …समीर कल मुझे डार के आफिस के बाहर शाम को छोड़ देना।
आफिस समाप्त होने के बाद मै उस लड़की से मिलने की कोशिश करुँगी। वह लड़की हमे दूसरे लोगों
के बारे मे बहुत कुछ बता सकती है। इतनी बात करके हम दोनो सोने चले गये थे।
सुबह उठते ही सबसे पहला फोन फरहत का आया… समीर
भाई, हमारे सिर पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा है। एजाज भाई को जम्मू मे पुलिस ने पकड़ लिया
है। उनके ट्रक मे सेब की पेटियों के साथ एक पेटी मे कुछ हथियार मिले है। फिलहाल पुलिस
उनसे पूछताछ मे लगी हुई है। एजाज भाई का क्लीनर समय रहते पुलिस को चकमा देकर भाग कर
यहाँ आ गया था। उसी से पता चला कि भाईजान पकड़े गये है। समीर, आपके अब्बा का सरकार मे
काफी रसूख है। उनसे बात करके एजाज भाई को छुड़वाईए वर्ना सब बर्बाद हो जाएगा। यह बोल
कर वह रो पड़ा था। …वह क्लीनर कहाँ है? …यहीं मेरे पास बैठा है। वह हमारा चचाजाद भाई
है। पुलिस उसको तलाश कर रही है। समीर, हमे इस मुसीबत से बचाओ। मैने कुछ सोच कर कहा…
क्लीनर को लेकर हमारे घर पर आ जाओ। मै देखता हूँ कि क्या किया जा सकता है। गोल्डन ट्रांस्पोर्ट
का मालिक कौन है? …अब्दुल रज्जाक सैयद। वह विधान सभा के सदस्य है। …कोई बात नहीं तुम
उसको लेकर मेरे घर पर आ जाओ। मैने फोन काट कर जल्दी से उठा और आलिया के नग्न नितंब
पर चपत जड़ कर कहा… जल्दी से उठ जाओ। हमे घर जाना है। रफीक मियाँ के बड़े लड़के एजाज को
पुलिस ने पकड़ लिया है। आलिया जल्दी से उठी और कपड़े पहन कर चलने के लिए तैयार हो गयी
थी। कुछ ही देर मे हम अपने घर की ओर जा रहे थे।
सुबह हमे देखते ही अम्मी भी हैरान हो गयी थी।
…अम्मी अभी कोई यहाँ आया तो नहीं है? …किसको आना था? मैने सारी बात अम्मी को बता कर
कहा… अब आप ही बताईए कि क्या करना है? अम्मी भी यह सुन कर परेशान हो उठी थी। …समीर,
तुम इनके चक्कर मे मत पड़ो। तुम्हारी नौकरी ऐसी है कि बेफिजूल मे तुम्हारे लिए कोई आफत
खड़ी न हो जाए। …अम्मी, पुलिस जब छानबीन करेगी तो वह एजाज के साथ फरहत और रफीक मियाँ
को भी नहीं छोड़ेगी। पहले वह सब को उठा कर ले जाएगी और फिर पता नहीं उन्हें कब छोड़ेगी।
अम्मी यह सुन कर और भी ज्यादा परेशान हो गयी थी। हम बात ही कर रहे थे कि सहमे हुए फरहत
और क्लीनर लोहे का गेट खोल कर अन्दर आते हुए दिखाई दिये। अम्मी और आलिया को वहीं छोड़
कर उन दोनो को मै अपने कमरे मे ले गया था।
मैने बैठते ही सबसे पहला प्रश्न उस क्लीनर
से पूछा… तुम्हारा नाम क्या है? …फैयाज अख्तर। …हाँ अब शुरु से
बताओ कि क्या हुआ था? …भाईजान हम वह ट्रक लेकर
जम्मू जा रहे थे कि शहर मे घुसने से पहले एक सीआरपीएफ के नाके पर चेकिंग के लिए हमारा
ट्रक रुकवा दिया गया था। एजाज भाई ने हमेशा की तरह कागज दिखा दिये परन्तु पुलिस वालों
ने जबरदस्ती ट्रक खुलवा का चेकिंग आरंभ कर दी थी। मै ट्रक से उतर कर एक किनारे मे खड़ा
हो गया था और एजाज भाई पुलिस के साथ कन्टेनर की चेकिंग करवा रहे थे। अचानक शोर हुआ
कि ट्रक मे हथियार मिले है तो सारे पुलिस वाले उस ओर दौड़ गये थे। बस उसी भगदड़ का लाभ
उठा कर मै सड़क से उतर कर झाड़ियों के पीछे जाकर छिप गया था। पुलिस वालों ने ट्रक जब्त
कर लिया और एजाज भाई को मारते हुए अपनी जीप मे बैठा कर ले गये थे। अम्मी और आलिया भी
मेरे कमरे आ गयी थी और वह चुपचाप सारी कहानी सुन रही थी।
कुछ सोच कर मैने पूछा… दूसरी गाड़ियों की चेकिंग
का क्या हुआ? …भाईजान उन्होंने जाने से पहले वहाँ से अपना चेक पोस्ट हटा दिया था।
उसके बाद किसी भी ट्रक की चेकिंग नहीं हुई थी। मै किसी तरह अपनी जान बचा कर रात ही
रात मे श्रीनगर जाने वाले एक ट्रक से यहाँ पहुँच गया था। मैने फरहत से पूछा… क्या इसे
कुछ दिनों के लिए यहाँ से दूर भेज सकते हो? …यह अपने घर जा सकता है। …नहीं, पुलिस सबसे
पहले इसके घर जाएगी। …इसे पहलगाम भेज दे? …नहीं, एजाज की तफ्तीश करते हुए पुलिस तुम्हारे
यहाँ और पहलगाम सबसे पहले जाएगी। कुछ सोच कर फिर उसने कहा… कुछ दिनों के लिए इसे मै
गंदरबल भेज सकता हूँ। …हाँ इसे वहीं भेज दो। पुलिस तुमसे भी पूछताछ करने आएगी तो साफ
कह देना कि सालों पहले एजाज अपने परिवार के साथ अलग हो गया था। …समीर भाई, एजाज बच
तो जाएगा न। …सबसे पहले तुम अपने मालिक अब्दुल रज्जाक के पास जाकर सारी बात बता दो।
उसके बाद देखते है कि अब्दुल मियाँ उसको छुड़ाने का कोई प्रयत्न करते है कि नहीं। …भाईजान
पहले जब भी ऐसा हुआ है तो उन्होंने अपने हाथ झाड़ दिये थे। आखिर मे सारा दोष ड्राईवर
के सिर मढ़ दिया गया था। …एक बार तुम कोशिश करके तो देखो। तब तक मै कोई रास्ता निकालने
की कोशिश करता हूँ। इतनी बात करके फरहत और फैयाज वापिस चले गये थे।
…समीर, इस पचड़े मे मत पड़ो। अम्मी ने जब से
सब कुछ सुना था तभी से वह बड़ी फिक्रमन्द लग रही थी लेकिन ट्रांसपोर्टरों की असलियत
जानने का मेरे लिए यह सुनहरा मौका था। …अम्मी, मै किसी से इस बारे मे बात नहीं करने
वाला। मै बस जानना चाहता हूँ कि यह ट्राँस्पोर्टर कंपनी किस चक्कर मे है। आलिया अब
से यह काम देखेगी तो मै नहीं चाहता कि कोई ऐसी समस्या हमारे सामने आए। मेरा तर्क सुनकर
अम्मी चुप हो गयी थी। वह जानती थी कि आजकल हमारे फार्म से भी सेब से भरे ट्रक निकल
रहे थे। …अम्मी कल हम दोनो बडगाम चले जाएँगें। यह बोल कर हम दोनो वापिस अपने कोम्पलेक्स
लौट गये थे। अपने आफिस पहुँच कर मैने 15 कोर की जम्मू बेस पर तैनात आप्रेशन्स के सीओ
से बात करके एजाज के बारे मे पुलिस से जानकारी लेने के लिए बोल कर अपने काम मे लग गया
था। गोल्डन ट्रांस्पोर्ट कंपनी का मालिक अब्दुल रज्जाक सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख
सदस्यों मे से एक था। उसका काम काफी फैला हुआ था। उसके तीन पाँच सितारा होटल श्रीनगर,
पहलगाम और जम्मू मे चल रहे थे। उसके अलावा उसकी एक कंस्ट्रकशन कंपनी सरकारी ठेके भी
लेती थी। सारी जानकारी इकठ्ठी करने के बाद मै ब्रिगेडियर चीमा से मिलने चला गया था।
…सर, अब्दुल रज्जाक सैयद के बारे मे आप क्या
जानते है? …वह दो मुखी साँप है। बहुत दिनों से उसके पाकिस्तानी संबन्धों के कारण वह
एमआई के रेडार पर है। उसके बारे मे क्यों पूछ रहे हो? …सर, मेरे पास पुख्ता खबर है
कि उसकी ट्राँसपोर्ट कंपनी सीमा पार से हथियार अवैध रुप से लाती
है और यहाँ पर अलगावादियों को मुहैया कराती है। …मेजर, यह उसका एक काम नहीं है। एमआई
को शक है कि वह अफ़गानी ड्र्ग्स के वितरण मे भी संलग्न है। बस कोई पुख्ता सुबूत नहीं
मिल पाने के कारण अभी तक हम उस पर हाथ नहीं डाल सके है। हम भी कोई ऐसा कदम उसके खिलाफ
नहीं उठा सकते क्योंकि वह सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख फाईनेन्सरों मे से एक है। …सर
तो क्या किया जाए। अगर सुबूत मिल भी जाएँगें तो भी वह साफ बच कर निकल जाएगा क्योंकि
यहाँ की सरकार उसके हाथ मे है। …तुम ठीक कह रहे हो। वर्तमान सरकार के बदलते ही हम उसको
उठा सकते है अगर हमारे पास उसके खिलाफ पर्याप्त सुबूत होंगें। हमें तो यह भी पता है
कि उसके हर ठेके मे मुख्यमंत्री का हिस्सा होता है। इसी के कारण सारा सरकारी महकमा
भी उसकी ओर से अपनी आँखें मूंद लेता है। उनसे सारी बात समझ कर मै वापिस अपने आफिस मे
बैठ कर सोच रहा था कि कमाल है सब कुछ जानने के बाद भी हम उसके खिलाफ कुछ भी करने मे
अस्मर्थ थे।
मै आफिस से निकलने वाला था कि तभी जम्मू से
एजाज की सारी रिपोर्ट मिल गयी थी। उसके ट्रक मे काफी मात्रा मे आरडीएक्स और डिटोनेटर्स
मिले थे। तीन चीनी मेक की आटोमेटिक राईफल और बारह मेगजीन के साथ कुछ ग्रेनेड व पिस्तौलें
भी डिब्बे मे मिली थी। फिलहाल एजाज से पूछताछ चल रही है लेकिन अभी तक उसने किसी का
नाम नहीं दिया है। इश्तियाक गनी लोन नाम के केस आफीसर का नाम देख कर मुझे गहरा धक्का
लगा था। मै सारी रिपोर्ट के बारे मे सोचते हुए घर पहुँच गया था। आलिया चलने के लिए
तैयार बैठी हुई थी। कुछ ही देर मे हम दोनो डार के आफिस की ओर चल दिये थे। आफिस के बाहर
आलिया को छोड़ कर मै थोड़ी दूरी बना कर पेड़ के नीचे जीप खड़ी करके एजाज की रिपोर्ट के
बारे मे सोचने बैठ गया था। सारी मिली हुई जानकारी देखने के पश्चात मुझे लगने लगा था
कि सब कुछ एक सुनियोजित योजना के अनुसार हुआ था। अब तक की मिली हुई जानकारी के अनुसार
मै यह तो समझ गया था कि लोन परिवार और सैयद परिवार एक प्रकार से कारोबारी प्रतिद्वन्द्वी
थे। हालात कुछ ऐसा दिखा रहे थे कि मुझे लगने लगा था कि लोन परिवार ने जानबूझ के सैयद
के अवैध कारोबार पर चेकिंग के बहाने प्रहार किया था। मै इसके बारे मे गहरायी से सोच
रहा था कि तभी मेरी नजर आलिया पर पड़ी जो तेज कदमों से चलती हुई एक स्थानीय बस मे चढ़
गयी थी।
मै कुछ दूरी बना कर उस बस के पीछे चल दिया।
वह बस रुकते-रुकाते आगे बढ़ती जा रही थी। उस्मान कोलोनी के स्टाप पर बस रुकी और मेरी
नजर आलिया और उसी लड़की पर पड़ी जो बस से उतर कर कोलोनी की दिशा मे बातें करती हुई जा
रही थी। कुछ देर के बाद आलिया कोलोनी से निकलती हुई दिखी तो मैने जीप को उसकी दिशा
मे मोड़ कर उसके पास पहुँच कर रोक दी थी। वह जल्दी से जीप मे बैठी और हम घर की दिशा
मे बढ़ गये थे। …क्या वही थी? …हाँ, यह वही थी। इससे तो आज मेरी दोस्ती हो गयी है। किसी
दिन इसे घर पर बुलाऊँगी तब आगे की बात करूँगी। मैने तुरन्त कहा…ऐसी गलती कभी मत करना
क्योंकि कोम्पलेक्स मे तो उसे कभी लाया नहीं जा सकता। …समीर मै इसे अपने घर बुलाने
के लिए कह रही हूँ। अम्मी को भी लगेगा कि डार के आफिस की एक लड़की मेरी स्कूल की सहेली
तो वह भी थोड़ी निश्चिंत हो जाएँगी। हम बात करते हुए कोम्पलेक्स की ओर जा रहे थे। अचानक
उसने शरारती अंदाज मे मेरी ओर देखते हुए कहा… वह तुम्हारे बारे मे पूछ रही थी। मैने
उसको अनसुना करते हुए कहा… एजाज की रिपोर्ट मुझे मिल गयी है। फिलहाल उसका छूटना नामुमकिन
लग रहा है।
मै बात भले ही कर रहा था परन्तु मेरे दिमाग
मे एक योजना जन्म ले चुकी थी। ब्रिगेडियर चीमा से बात करके मै यह तो समझ गया था कि
इन लोगो पर ऐसे हाथ डालना तो मुश्किल होगा परन्तु अगर किसी कारण दोनो को भिड़ा दिया
जाए तो फिर इनको धर दबोचना आसान हो जाएगा। …क्या सोच रहे हो? …अभी शाम हुई है तो क्यों
न फरहत के घर चल कर उस से मिल लिया जाए? …उसके घर चलो इसी बहाने एजाज के परिवार से
भी मिल लेंगें। हम कोम्पलेक्स जाने के बजाय फरहत के घर की ओर चल दिये थे। फरहत का घर
शहर के बाहर सड़क के किनारे एक छोटी सी कच्ची कोलोनी मे था। मैने जीप को सड़क से उतार
कर कच्चे मे खड़ा करके फरहत को फोन लगा कर बाहर बुला लिया था। चंद मिनट के बाद ही वह
बाहर सड़क पर आ गया था। …फरहत क्या तुम आज अब्दुल रजाक से मिले थे? …कहाँ समीर भाई।
वह तो किसी से नहीं मिलता लेकिन हमारी युनियन के अध्यक्ष के साथ मै उनके मैनेजर से
मिला था। उसने तो अपने हाथ झाड़ दिये थे। उसने तो सारा दोष एजाज भाई के उपर मढ़ दिया
है। आप लोग घर चलिए। वहीं पर बैठ कर बात करेंगें। मैने टालने की कोशिश की परन्तु फरहत
ने जिद्द पकड़ ली थी।
हम दोनो फरहत के साथ संकरी सी गलियों मे से
होते हुए उसके घर पहुँच गये थे। एक कमरे का मकान था। वह जल्दी से अपने घर मे घुसा और
जमीन पर जल्दी से गद्दे को बिछा कर उसने हमारे बैठने का इंतजाम कर दिया था। फरहत की
बीवी हमारे लिए चाय बनाने मे लग गयी थी। …फरहत, आज मैने एजाज भाई के बारे मे पता लगाया
है। उनको कैन्ट के थाने मे रखा गया है। उनके पास बहुत से हथियार मिले है इसीलिए उनका
बच कर निकलना फिलहाल नामुमकिन है। अगर अब्दुल रज्जाक ने इसका खुलासा नहीं किया तो काफी
लंबे समय के लिए उन्हें जेल मे रहना पड़ेगा। तभी फरहत की पर्दानशींन बीवी चाय लेकर आ
गयी थी। …भाईजान सलाम। फिर उसने आलिया को भी झुक कर सलाम किया और हमारे सामने बैठ गयी
थी। मै कुछ और बोलता कि तभी फरहत उठते हुए बोला… मै अभी आता हूँ आप लोग चाय पीजिए।
वह घर से बाहर चला गया था। आलिया उस पर्दानशीं से बात करने मे व्यस्त हो गयी थी। किस्मत
ने मुझे एक मौका दिया था और मै सोच रहा था कि कैसे फरहत को अपनी रणनीति मे जोड़ा जाए?
कुछ देर के बाद फरहत ने कमरे मे प्रवेश किया
और उसके पीछे एक पर्दानशीं स्त्री गोदी मे एक बच्चे को लिये अन्दर आ गयी थी। फरहत ने
कहा… समीर भाई, यह एजाज भाई की बीवी जन्नत है। जन्नत ने झुक कर
सलाम किया और हमारे सामने आकर बैठ गयी थी। मैने उसकी ओर देखा तो उससे नजर मिलते ही
मै झेंप गया था। मुझे उसकी आँखों मे हवस नजर आयी थी। फरहत घबरायी हुई आवाज मे बोला…
समीर, भाभी को भी एजाज भाई के बारे मे बता दो। मैने नजरें चुराते हुए उसके सामने भी
वही बात दोहराते हुए कहा… अगर आपको रुपये पैसों की जरुरत पड़े
तो निसंकोच माँग लिजिएगा। वह भरी हुई आँखों से बोली… अब आप लोगों का ही सहारा है। आलिया
ने उसे सांत्वना देते हुए कहा… आप बेफिक्र रहिए। हम से जो बन पड़ेगा हम जरुर करेंगें। मैने जितनी बार निगाह उठाकर उसकी ओर देखा तो वह मुझे
घूरती हुई लगी थी। …अच्छा अब हम चलते है। फरहत भाई के पास मेरा नम्बर है। कोई भी तकलीफ
हो तो मुझे खबर कर दीजिएगा। यह कह कर मै उठ कर खड़ा हो गया था।
मुझे उठते हुए देख कर सभी खड़े हो गये। एक छोटे से कमरे मे सभी के खड़े होने से एकाएक
वहाँ भीड़ सी हो गयी थी। हम जैसे ही कमरे से बाहर निकल रहे थे कि तभी जन्नत अपने जिस्म को मुझसे सटाते हुए तेजी से बाहर निकल गयी थी। मै
और आलिया जब बाहर आये तो वह अपने घर की ओर इशारा करते हुए बोली… हमारे घर भी चलिए।
आलिया ने जल्दी से कहा… अंधेरा होने वाला है हम फिर कभी आएँगें। यह कह कर वह आगे बढ़
गयी थी। एक बार मैने मुड़ कर उसकी ओर देखा तो उसकी आँखें हमारा पीछा कर रही थी। मै जल्दी
से आगे बढ़ गया।
फरहत हमे जीप तक छोड़ने आया था। मैने चलने से
पहले फरहत से कहा… जैसे हालात दिख रहे है उसमे एजाज भाई को बचाने की सिर्फ एक सूरत
नजर आ रही है। वह काम सिर्फ तुम कर सकते हो। फरहत ने जल्दी से कहा… मुझे बताओ क्या
करना है। …मुझे लगता है कि एजाज भाई एक साजिश के शिकार हो गये है। अगर हम किसी तरह
उस साजिश को बेनकाब कर सकें तो उसी हालत मे एजाज भाई बच सकते है अन्यथा चौदह साल की कैद
से उन्हें कोई नहीं बचा सकता। …समीर भाई कैसे? …फरहत आप यहाँ से सामान लेकर पाकिस्तान
जाते है और वहाँ से सामान लेकर यहाँ आते है। आपने कभी भी सामान के बारे मे जानने की
कोशिश नहीं की होगी। अगर आप अब से जो भी सामान लेकर जा रहे है या ला रहे है उसकी जाँच
कर ले तो शायद एजाज भाई को बचाया जा सकता है। …यह कैसे हो सकता है। सभी डिब्बे सीलबन्द
होते है। खोल कर देखने मे तो मै भी फँस सकता हूँ। …इसके लिए मेरे पास एक रास्ता है।
अगर कुछ देर के लिए किसी जगह पर पाकिस्तान की ओर आते हुए ट्रक को रोक दिया जाए तो बीस
मिनट मे पता चल सकता है कि ट्रक के अन्दर रखे हुए किस डिब्बे मे हथियार या ड्र्ग्स
है।
फरहत कुछ देर सोचने के बाद बोला… जहाँ तक ट्रक
रोकने की बात है वह तो मै रोक सकता हूँ। परन्तु मेरे साथ एक और आदमी भी होता है। उसका
क्या करुँगा? …यह तो तुम्हें सोचना है। मै तो तुम्हारी मदद उस डिब्बे को ढूँढने मे
कर सकता हूँ। वह कुछ देर सोचता रहा फिर बोला… मै सुपरवाईजर से बात करके फैयाज को अपने
ट्रक पर लगा लेता हूँ। मैने भी सिर हिलाते हुए कहा… यही ठीक रहेगा। जब भी तुम पाकिस्तान
से सामान लेकर आ रहे हो तो मुझे फोन पर बता देना कि कहाँ रुके हुए हो। मै वहीं पहुँच
जाऊँगा। दो चार बार अगर उनका अवैध माल हमने पकड़ लिया तो एजाज भाई को आसानी से छुड़ाया
जा सकता है। …समीर भाई, यही ठीक रहेगा। मै आपको फोन कर दूँगा। कल सुबह ही मुजफराबाद
के रास्ते पर जाकर देख लेता हूँ कि कौन सी जगह ट्रक को खड़ा किया जा सकता है। सड़क पर
तो ट्रक खड़ा नहीं किया जा सकता क्योंकि कंपनी के ट्रक को सड़क पर खड़ा हुआ देख कर आते-जाते
दूसरे ट्रक रुक कर सवाल-जवाब करेंगें। हमारे बीच सब कुछ तय होने के बाद मैने जीप आगे
बढ़ा दी थी।
…समीर यह क्या चक्कर है? … यह तुम्हारे सवाल
का जवाब ढूँढने की कोशिश है। …कौन सा सवाल? …यही कि भला एक कंपनी हरेक ट्रक पर एक ट्रक
की कीमत का नुकसान क्यों और कैसे उठा रही हैं। आलिया चुप हो कर बैठ गयी थी। अचानक वह
मेरी जाँघ को धीरे से सहलाती बोली… समीर, तुम्हें जन्नत कैसी
लगी? उसका हाथ धीरे-धीरे मुझे उत्तेजित करने मे जुटा हुआ था। कोम्पलेक्स का गार्ड गेट
देखते से ही मैने उसका हाथ हटाते हुए कहा… मुझे वह चाल-चलन से ठीक नहीं लग रही थी।
बात करते हुए हम गेट पर पहुँच गये थे। दो सुरक्षाकर्मी हमारी जीप को चेक करने के लिए
आये और जीप को जाँचने के बाद बेरियर उठाने का इशारा कर दिया था। अंधेरा हो गया था।
फ्लैट पर पहुँचते ही दोनो अर्दली अपना काम समेट कर जा चुके थे। खाना खाते हुए मैने
उसे अपनी योजना से अवगत कराते हुए कहा… हमे उसका माल नहीं पकड़वाना अपितु जब्त अवैध
सामान को उसके प्रतिद्वंद्वी के गोदाम मे पहुँचा कर उनके बीच मे लड़ाई करवानी है। उनके
बीच की लड़ाई के कारण सारी साजिश का पर्दाफाश हो जाएगा। …समीर उस समान को कैसे पकड़ोगे?
…हमारी फौज के पास कुत्तों की युनिट है जो बारूद और ड्र्ग्स जो सूँघ कर पहचान लेते
है। …ओह…तो कुता सूँघ कर उन डिब्बे को पहचान लेगा। मैने सिर्फ सिर हिला दिया था। अब
आलिया को मेरी योजना समझ मे आ गयी थी।
बहुत ही खूबसूरत अंक था जहां बहुत कुछ एक साथ घटा। और समीर को एक मुखबिर भी शायद मिल गया है और जन्नत को देख कर लगता है कुछ तो गड़बड़ है।
जवाब देंहटाएंदोस्त कश्मीर ने बहुत कुछ गड़बड़ देखी है। अगर गड़बड़ नहीं होगी तो कहानी आगे कैसे बढ़ेगी। आगे देखिये होता है क्या…
हटाएंमुझे तो अब हर लड़की विश कन्या ही लगती है, लगता है समीर अब पाकिस्तान जाए गा,वहा बी कोई हसीना मिले गी और जबरदस्त एक्शन होगा
जवाब देंहटाएंहरमन भाई आप तो खुद ही कहानी के प्लाट पर काम कर रहे है। इस कहानी मे विषकन्या और पाकिस्तान तो अलग नहीं हो सकते परन्तु फौज है तो एक्शन होना जरुरी है।
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